Tue, 02 Dec 2025 15:56:50 - By : Tanishka upadhyay
लखनऊ: प्रदेश सरकार ने अयोध्या को वैश्विक सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। रामलला की नगरी में प्रस्तावित विश्वस्तरीय मंदिर संग्रहालय को और भव्य रूप देने के लिए कैबिनेट ने इसके क्षेत्रफल को दोगुने से अधिक बढ़ाने का निर्णय लिया है। अब यह संग्रहालय 25 एकड़ के बजाय 52.102 एकड़ भूमि में विकसित किया जाएगा। इसके लिए सरकार टाटा संस को अतिरिक्त 27.102 एकड़ भूमि उपलब्ध कराएगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में कुल 21 प्रस्तावों पर विचार किया गया, जिनमें से 20 प्रस्तावों को मंजूरी मिली। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि टाटा ट्रस्ट ने अपने सीएसआर फंड के माध्यम से अयोध्या में एक अत्याधुनिक मंदिर संग्रहालय बनाने और उसके संचालन की इच्छा जताई है। इसके लिए कंपनी एक्ट 2013 की धारा आठ के तहत एक गैर लाभकारी एसपीवी बनाया जाएगा, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार दोनों के प्रतिनिधि शामिल रहेंगे।
सरकार पहले ही 25 एकड़ भूमि 90 वर्षों के लिए एक रुपये वार्षिक शुल्क पर टाटा संस को सौंप चुकी है। अब संग्रहालय को व्यापक स्वरूप देने के लिए अतिरिक्त भूमि हस्तांतरित की जाएगी। यह भूमि आवास एवं शहरी नियोजन विभाग से पर्यटन विभाग के पक्ष में हस्तांतरित कर दी जाएगी।
संग्रहालय का उद्देश्य भारतीय संस्कृति, प्राचीन मंदिर कला, सभ्यता और ऐतिहासिक धरोहरों को आधुनिक तरीके से प्रस्तुत करना है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रोजेक्ट अयोध्या को वैश्विक धार्मिक पर्यटन के मानचित्र पर और मजबूत करेगा। इससे स्थानीय स्तर पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और पर्यटन से जुड़ी आर्थिक गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
सरकार का मानना है कि यह संग्रहालय युवाओं, शोधकर्ताओं, विदेशी सैलानियों और भारतीय संस्कृति में रुचि रखने वाले आगंतुकों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र साबित होगा। अयोध्या के तेजी से बदलते स्वरूप में यह परियोजना एक नई पहचान और आधुनिक सांस्कृतिक ढांचे की दिशा में अहम भूमिका निभाएगी।