काशी तमिल संगमम 4.0 का नमो घाट पर भव्य शुभारंभ, सांस्कृतिक सेतु को मिली नई ऊँचाई

वाराणसी के नमो घाट पर काशी तमिल संगमम 4.0 का भव्य शुभारंभ हुआ, जो उत्तर-दक्षिण भारत के सांस्कृतिक सेतु को मजबूत करेगा।

Tue, 02 Dec 2025 22:46:18 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

वाराणसी: आज मंगलवार का दिन ऐतिहासिक बन गया, जब नमो घाट पर काशी तमिल संगमम 4.0 का औपचारिक शुभारंभ अत्यंत भव्यता के साथ हुआ। गंगा-किनारे सजे मंच ने उत्तर और दक्षिण भारत की हजारों वर्ष पुरानी सांस्कृतिक एकता को फिर से जीवंत कर दिया। कार्यक्रम में उमड़ा जनसैलाब यह संकेत देता है कि भारतीय संस्कृति की जड़ें कितनी गहरी और व्यापक हैं।

कार्यक्रम में तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, पुडुचेरी के उपराज्यपाल के. कैलासनाथन सहित अनेक विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे। सभी का एयरपोर्ट पर पारंपरिक ढंग से स्वागत किया गया और उसके बाद नमो घाट पर भव्य समारोह में उनका अभिनंदन हुआ।

प्रधानमंत्री के भावों का उल्लेख
तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हृदय में तमिलनाडु और तमिल संस्कृति के प्रति असाधारण सम्मान है। उन्होंने तमिल समाज की सांस्कृतिक पीड़ा को समझा और उसी भावना से काशी तमिल संगमम की यह श्रृंखला शुरू हुई।”

मुख्यमंत्री योगी का संबोधन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महाराज ने कहा कि काशी और तमिलनाडु का रिश्ता हजारों वर्षों से ज्ञान, अध्यात्म और संस्कृति के माध्यम से गहराई से जुड़ा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि “यह संगम केवल दो राज्यों को नहीं जोड़ता, बल्कि दो प्राचीन सभ्यताओं को जोड़ने वाला आध्यात्मिक सेतु है।”
इसी दौरान योगी आदित्यनाथ ने वेदज्ञान की परंपरा को आगे बढ़ाने वाले युवा विद्वान वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे को विशेष सम्मान प्रदान किया।

19 वर्षीय देवव्रत महेश रेखे ने काशी में रचा इतिहास
महाराष्ट्र के रहने वाले 19 वर्षीय देवव्रत महेश रेखे ने काशी में अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल कर इतिहास रच दिया है। इस युवा विद्वान ने शुक्ल यजुर्वेद के लगभग 2,000 मंत्रों का दंडक्रम पारायण मात्र 50 दिनों में पूरा किया, वह भी पूर्णतः निरंतर, बिना किसी व्यवधान के।
वेद अध्ययन की यह पद्धति अत्यंत कठिन मानी जाती है और इसे लगातार इतने दिनों तक पूरा करना असाधारण साधना का परिणाम माना जाता है। इसी उपलब्धि के लिए उन्हें वेदमूर्ति की सम्मानजनक उपाधि प्रदान की गई, जिसे समारोह में विशेष सम्मान के साथ घोषित किया गया।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि “युवा पीढ़ी में इस तरह का गहन वेद अध्ययन भारत की आध्यात्मिक धरोहर का भविष्य सुरक्षित करता है।”

इस वर्ष काशी तमिल संगमम की थीम “तमिल करकलाम आइए तमिल सीखें” रखी गई है। तमिलनाडु से 1400 से अधिक प्रतिनिधि काशी पहुंचे हैं, जो काशी और तमिल संस्कृति के बीच सेतु का काम करेंगे।

आईआईटी मद्रास के “विद्या शक्ति पोर्टल” के माध्यम से उत्तर प्रदेश के 650 स्कूलों के 15,000 छात्रों को तमिल भाषा सिखाई जाएगी। इसके लिए तमिलनाडु के 50 विशेषज्ञ शिक्षक काशी पहुंचे हैं।

दो चरणों में भव्य आयोजन, कमिश्नर एस. राजलिंगम के अनुसार पहला चरण, 2 से 15 दिसंबर तक काशी में। दूसरा चरण, 16 से 31 दिसंबर तक चेन्नई में।

सोमवार देर रात तमिलनाडु से आए प्रथम प्रतिनिधि दल की ट्रेन बनारस स्टेशन पहुँची, जहां जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने उनका अभूतपूर्व स्वागत किया।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने बढ़ाया आकर्षण
उद्घाटन समारोह में भरतनाट्यम, तमिल पारंपरिक नृत्यों और काशी की अपनी कलाओं का अद्भुत मिश्रण देखने को मिला। मंच पर कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर, राज्यमंत्री डॉ. दयाशंकर दयालु, आईआईटी मद्रास निदेशक प्रो. वी. कामकोटि, बीएचयू कुलपति प्रो. अजीत कुमार चतुर्वेदी, सचिव डॉ. विनीत जोशी सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।

तमिल अतिथियों का विस्तृत भ्रमण कार्यक्रम
तमिलनाडु से आए प्रतिनिधि, सबसे पहले हनुमान घाट पर गंगा स्नान, दक्षिण भारतीय परंपरा से जुड़े मंदिरों में दर्शन–पूजन, काशी विश्वनाथ धाम में बाबा विश्वनाथ के दर्शन, मां अन्नपूर्णा रसोई में प्रसाद, बीएचयू परिसर में शैक्षणिक कार्यक्रम और भ्रमण में शामिल होंगे।

भारत की सांस्कृतिक एकता का जीवंत उत्सव
काशी तमिल संगमम ने एक बार फिर सिद्ध किया है कि भारत की विविधता उसकी कमजोरी नहीं, बल्कि उसकी सबसे बड़ी शक्ति है। काशी और तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत का यह संगम आने वाली पीढ़ियों को एक नए दृष्टिकोण और सौहार्द का संदेश देगा।

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