Wed, 10 Dec 2025 00:40:13 - By : SUNAINA TIWARI
नई दिल्ली : मिली जानकारी के अनुसार पाकिस्तान की सेना के मीडिया विंग इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस के डायरेक्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी इस समय कड़ी आलोचना के घेरे में हैं। एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान महिला पत्रकार अबसा कोमन को आंख मारने की उनकी हरकत का वीडियो सामने आने के बाद पाकिस्तान में सेना की छवि और वहां की संस्थागत मर्यादा पर गंभीर सवाल उठ गए हैं। यह घटना तब हुई जब पत्रकार ने जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान से जुड़े सवाल पूछे थे।
वीडियो में देखा जा सकता है कि पत्रकार ने खान पर लगे आरोपों के बारे में सवाल करते हुए पूछा कि मौजूदा परिस्थितियों में क्या कुछ अलग है या क्या आगे किसी बड़े विकास की उम्मीद की जा सकती है। इस पर जनरल चौधरी ने न केवल राजनीतिक टिप्पणी करते हुए खान को मानसिक रूप से अस्थिर कहा बल्कि इसके तुरंत बाद मुस्कुराकर पत्रकार को आंख भी मारी। इस हरकत को सोशल मीडिया पर बेहद आपत्तिजनक बताया जा रहा है और कई यूजर्स इसे संस्थागत आचरण का शर्मनाक उदाहरण कह रहे हैं।
एक्स पर एक उपयोगकर्ता ने लिखा कि यह सब कैमरे के सामने हो रहा है और यह पाकिस्तान के लोकतंत्र की स्थिति पर सवाल उठाता है। एक अन्य ने व्यंग्य करते हुए कहा कि पूरा देश अब मीम बन चुका है। इस वीडियो ने पाकिस्तान के राजनीतिक और सैन्य माहौल में पहले से मौजूद तनाव को और बढ़ा दिया है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान चौधरी ने खान पर कई गंभीर आरोप भी लगाए। उन्होंने बिना नाम लिए कहा कि खान एक ऐसी मानसिकता वाले नेता हैं जो खुद को केंद्र में रखकर सोचते हैं और मानते हैं कि यदि वे सत्ता में नहीं हैं तो देश में कुछ भी नहीं होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जेल में खान से मिलने आने वाले लोगों का इस्तेमाल सेना के खिलाफ नफरत फैलाने के लिए किया जा रहा है।
चौधरी ने आगे कहा कि सेना किसी को भी पाकिस्तान की सेना और जनता के बीच दरार नहीं डालने देगी। उन्होंने इमरान खान को 9 मई 2023 को सैन्य प्रतिष्ठानों पर हुए हमलों से दोबारा जोड़ते हुए आरोप लगाया कि उन्हीं की साजिश के चलते रावलपिंडी हेडक्वार्टर सहित कई स्थानों पर हिंसा हुई थी। यह वही आरोप है जिसे सेना पहले भी उठा चुकी है और जिसके कारण पाकिस्तान की राजनीति में तीखी ध्रुवीकरण लगातार बना हुआ है।
यह घटना तब सामने आई है जब पाकिस्तान की राजनीति पहले से अस्थिर है और सत्ता तथा सेना के बीच तनाव की अनेक परतें मौजूद हैं। महिला पत्रकार के प्रति अनुचित आचरण और उसके साथ राजनीतिक टिप्पणी का मिश्रण इस घटना को और गंभीर बना देता है। इससे पाकिस्तान की पत्रकारिता की स्वतंत्रता, सेना की पेशेवर छवि और लोकतांत्रिक संस्थाओं के भविष्य पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं।