Tue, 25 Nov 2025 15:29:14 - By : Garima Mishra
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में लेखा संवर्ग से जुड़ा एक अहम मामला चर्चा में है। निगम के अंदर स्थानांतरण नीति की अनदेखी और लंबे समय तक एक ही जिले में तैनाती के आरोपों ने पूरे विभाग में सवाल खड़े कर दिए हैं। सेवानिवृत्त लेखाधिकारी द्वारा प्रबंध निदेशक और चेयरमैन उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड को भेजे गए पत्र में इन आरोपों का विस्तृत उल्लेख किया गया है और निष्पक्ष जांच की मांग की गई है।
शिकायत के अनुसार वाराणसी में लेखा संवर्ग के तीन कार्मिक पिछले 15 से 21 वर्ष तक बिना किसी परिवर्तन के लगातार तैनात रहे। आरोप यह भी है कि पदोन्नति के बाद भी इन कर्मचारियों को उसी जिले के भीतर रखा गया, जो शासन की निर्धारित स्थानांतरण नीति का स्पष्ट उल्लंघन है। सेवानिवृत्त लेखाधिकारी ने बताया कि शशि किरण मौर्या वर्ष 2004 से अब तक वाराणसी में ही कार्यरत हैं। सहायक लेखाकार से लेकर लेखाधिकारी तक की उनकी सभी पदोन्नतियां इसी जिले में मिलीं, जबकि वर्ष 2025 में पदोन्नति के बाद नीति के अनुसार उनका स्थानांतरण अन्य जिले में होना चाहिए था।
इसके बावजूद निगम मुख्यालय ने उन्हें वाराणसी के ही परिक्षेत्रीय लेखा कार्यालय, विद्युत भंडार खंड और विद्युत कार्यशाला मंडल में अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया। शिकायत पत्र में यह भी कहा गया है कि विद्युत भंडार खंड में लेखाधिकारी का कोई स्वीकृत पद मौजूद ही नहीं है, फिर भी उन्हीं से कार्य करवाया जा रहा है, जिससे न केवल नियमों का उल्लंघन होता है बल्कि लेखाकार पद के अधिकारों का भी हनन माना जा रहा है।
इसी तरह अन्य मामलों में भी कर्मचारियों को एक से अधिक इकाइयों का प्रभार देना परोक्ष रूप से अनियमितताओं को जन्म दे सकता है। आरोप है कि छह दिन के कार्यदिवस में कोई भी लेखाकार तीन महत्वपूर्ण इकाइयों की जिम्मेदारी सही तरीके से निभा ही नहीं सकता। इसके साथ ही एक महिला कर्मचारी का नाम भी शिकायत में शामिल किया गया है जो पिछले 20 वर्ष से वाराणसी में ही कार्यरत हैं और इस सत्र में भी उन्हें इसी जिले में तैनाती दी गई है। उनका गृह जनपद भी वाराणसी ही बताया गया है, जिससे स्थानांतरण नीति का उद्देश्य प्रभावित होता है।
सेवानिवृत्त लेखाधिकारी का कहना है कि इस तरह की तैनातियां न केवल नीति का उल्लंघन हैं बल्कि विभागीय पारदर्शिता और वित्तीय अनुशासन पर भी सवाल उठाते हैं। शिकायत में संबंधित अधिकारियों और विभागों को पत्र भेजकर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की गई है ताकि जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सके।
फिलहाल लेखा संवर्ग में जो स्थिति सामने आई है उसने विभागीय कार्यप्रणाली और प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पावर कॉर्पोरेशन इस शिकायत को किस तरह से लेता है और क्या निष्पक्ष जांच के आदेश जारी होते हैं।