मथुरा: सद्गुरु ऋतेश्वर महाराज की पदयात्रा में उमड़ा भक्तों का सैलाब, प्रेममंदिर से आनंदम धाम तक भक्ति का उत्साह

मथुरा में सद्गुरु ऋतेश्वर महाराज की पदयात्रा में हजारों भक्त प्रेममंदिर से आनंदम धाम तक शामिल हुए।

Tue, 02 Dec 2025 12:15:48 - By : Palak Yadav

मथुरा और वृंदावन की पावन धरती पर धार्मिक आस्था का माहौल एक बार फिर पूरी तरह उमंग में नजर आया जब सद्गुरु ऋतेश्वर महाराज ने प्रेममंदिर से बाराह घाट स्थित आनंदम धाम आश्रम तक अपनी पदयात्रा की शुरुआत की। कार्तिक मास के शुभ अवसर पर निकली इस पदयात्रा ने हजारों भक्तों को आकर्षित किया। श्रद्धालु सुबह से ही प्रेममंदिर परिसर में जुटने लगे और जैसे ही सद्गुरु ऋतेश्वर ने पदयात्रा शुरू की, पूरा मार्ग जयकारों और आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया। यह पदयात्रा संत प्रेमानंद महाराज की प्रसिद्ध रात्रिकालीन पदयात्रा के बाद शहर में शुरू हुई दूसरी प्रमुख धार्मिक यात्रा है जिसमें दूर दूर से भक्त बड़ी संख्या में भाग लेने पहुंचे।

श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए आश्रम के अनुयायियों ने मार्ग पर सुदृढ़ व्यवस्था की थी ताकि पदयात्रा बिना किसी अवरोध के सुचारू रूप से आगे बढ़ सके। प्रेममंदिर से लेकर रमणरेती और परिक्रमा मार्ग होते हुए बाराह घाट तक दोनों ओर रस्सियों से रेलिंग बनाई गई ताकि भक्त सुरक्षित दूरी से दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त कर सकें। जैसे ही सद्गुरु ऋतेश्वर आगे बढ़ते, भीड़ उत्साह और भक्ति भाव के साथ आगे बढ़ती जाती। भक्त उनके चरणों में प्रणाम कर आशीर्वाद लेते और पूरा मार्ग आध्यात्मिक भाव से सराबोर होता रहा। शाम सात बजे शुरू हुई इस पदयात्रा के दौरान हर कदम पर भजन और मंत्रोच्चार की गूंज सुनाई दी जिसने पूरे माहौल को पूर्णतया भक्तिमय बना दिया।

यह पदयात्रा प्रेममंदिर परिसर से निकलकर रमणरेती पुलिस चौकी और परिक्रमा मार्ग से होकर आगे बढ़ी। मार्ग में भक्तों ने दीप जलाकर स्वागत किया और पुष्पवर्षा कर अपनी श्रद्धा व्यक्त की। भक्तों के चेहरे पर उत्साह और भक्ति दोनों स्पष्ट दिखाई दे रहे थे। सद्गुरु ऋतेश्वर एक एक श्रद्धालु को आशीर्वाद देते हुए धीरे धीरे अपने आश्रम की ओर बढ़ते रहे और भीड़ निरंतर बढ़ती गई। उनके साथ चल रहे अनुयायी भी व्यवस्था बनाए रखने में सक्रिय रहे। कई बुजुर्ग श्रद्धालु, महिलाएं और युवा भी इस पदयात्रा में शामिल हुए और इसे एक दिव्य अनुभव बताया।

रात्रि के समय आनंदम धाम आश्रम पहुंचने पर पदयात्रा का समापन हुआ जहां भक्तों ने सामूहिक प्रार्थना और कीर्तन में हिस्सा लिया। कार्तिक मास में आयोजित यह पदयात्रा धार्मिक महत्व और श्रद्धा का एक और प्रतीक बन गई है। भक्तों का मानना है कि इस यात्रा में शामिल होने से मन की शांति और आध्यात्मिक शक्ति का अनुभव मिलता है। संत प्रेमानंद की रात्रिकालीन पदयात्रा की तरह ही यह नई यात्रा भी तीर्थनगरी में आस्था और विश्वास का नया स्वरूप बनकर उभर रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसी पदयात्राएं न केवल धार्मिक महत्व रखती हैं बल्कि समाज को एकजुट करने का भी कार्य करती हैं और आध्यात्मिक चेतना को गहराई तक पहुंचाती हैं।

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