उत्तर प्रदेश में चुनाव से पहले बड़ा बदलाव, मतदाताओं को अनिवार्य रूप से भरना होगा गणना फॉर्म

उत्तर प्रदेश में चुनाव से पहले सभी मतदाताओं को अब गणना फॉर्म भरना होगा, बीएलओ घर-घर जाकर जानकारी एकत्र करेंगे।

Wed, 08 Oct 2025 11:58:55 - By : Shriti Chatterjee

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में आगामी चुनाव से पहले चुनाव प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। प्रदेश के सभी मतदाताओं को अब गणना फॉर्म भरना अनिवार्य होगा। इसके लिए घर-घर बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) जाएंगे और प्रत्येक मतदाता से आवश्यक विवरण लेंगे। यह कदम बिहार में अपनाई गई मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया की तर्ज पर किया जा रहा है।

यूपी के मुख्य चुनाव अधिकारी नवदीप रिणवा ने सभी संबंधित अधिकारियों को एसआईआर की प्रक्रिया के लिए प्रशिक्षण दे दिया है। वर्ष 2003 की मतदाता सूची को वेबसाइट ceouttarpradesh.nic.in पर अपलोड किया जा रहा है। इस सूची का उपयोग विधानसभा और लोकसभा चुनाव में किया जाता रहा है।

प्रक्रिया के तहत बीएलओ प्रि-प्रिंटेड गणना फॉर्म दो प्रतियों में मतदाताओं को देंगे। एक प्रति मतदाता अपने साइन करके बीएलओ को सौंपेंगे, जबकि दूसरी प्रति बीएलओ अपने रिकॉर्ड में रखेंगे। यदि किसी मतदाता का नाम 2003 की मतदाता सूची में मौजूद है, तो उसका विवरण बीएलओ द्वारा फॉर्म के साथ जोड़ दिया जाएगा, ताकि मतदाता को कोई असुविधा न हो। 2003 की सूची से पुष्ट मतदाताओं के नाम फाइनल सूची में शामिल किए जाएंगे।

मतदाताओं को अपने विवरण सत्यापित कराने के लिए कुछ आवश्यक दस्तावेज जमा करने होंगे। जिनका नाम 2003 की वोटर लिस्ट में नहीं है और जन्म 1 जुलाई 1987 से पहले हुआ है, उन्हें आयोग द्वारा मान्य 11 दस्तावेजों में से कोई एक बीएलओ को देना होगा। वहीं, जन्म 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच हुए मतदाताओं को अपना एक दस्तावेज और माता या पिता का एक मान्य दस्तावेज प्रस्तुत करना होगा। यदि माता-पिता का नाम 2003 की मतदाता सूची में है, तो उसका विवरण भी प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाएगा।

दूसरी ओर, 2 दिसंबर 2004 के बाद जन्म लेने वाले मतदाताओं को अपने और माता-पिता दोनों का कोई एक मान्य दस्तावेज दिखाना होगा। यह जन्मकालीन वर्गीकरण नागरिकता संबंधी अधिनियम में समय-समय पर हुए संशोधनों को ध्यान में रखकर तय किया गया है।

वर्तमान में उत्तर प्रदेश में लगभग 15 करोड़ 42 लाख मतदाता हैं। अनुमान है कि लगभग 70 प्रतिशत मतदाताओं का सत्यापन 2003 की मतदाता सूची के आधार पर हो जाएगा। चुनाव आयोग का प्रयास है कि इस प्रक्रिया के जरिए मतदाता सूची को अधिक सटीक और पारदर्शी बनाया जाए, ताकि आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में मतदान प्रक्रिया सुचारू रूप से पूरी हो सके।

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