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अयोध्या में मतदाता सूची के 12 प्रपत्र लापता, निर्वाचन प्रक्रिया पर उठे सवाल

अयोध्या में मतदाता सूची के 12 प्रपत्र लापता, निर्वाचन प्रक्रिया पर उठे सवाल

अयोध्या में मतदाता सूची पुनरीक्षण के दौरान तहसील से 12 गणना प्रपत्र गायब हुए, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई और पारदर्शिता पर सवाल उठे।

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में मतदाता सूची के विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण के दौरान तहसील से 12 गणना प्रपत्र गायब होने की सूचना ने प्रशासन और राजनीतिक वर्ग में हलचल मचा दी है। बूथ संख्या 130 आईटीआई बेनीगंज से संबंधित इन फॉर्मों का न मिलना समाजवादी पार्टी के बीएलए की शिकायत के बाद सामने आया। घटना के बाद समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री तेजनारायण पांडेय पवन ने जिला निर्वाचन अधिकारी निखिल टी फुंडे से मुलाकात की और मामले की गंभीरता से अवगत कराया। यह मुद्दा जैसे ही सामने आया, जिले में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई और मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया की पारदर्शिता पर प्रश्न उठने लगे।

शिकायत के अनुसार बीएलओ और बीएलए की बैठक में जब गणना प्रपत्रों की स्थिति पूछी गई तो संबंधित फॉर्म उपलब्ध नहीं कराए गए। बीएलए रोहित यादव भल्लू ने बताया कि कई बार मांगने के बाद भी गणना प्रपत्र नहीं मिला। उन्हें यह भी बताया गया कि इन फॉर्मों की फीडिंग नहीं की जा सकी और उन्हें अनुपस्थित श्रेणी में डाल दिया गया है। इससे मतदाता सूची के अद्यतन कार्य पर सीधा प्रभाव पड़ता है और इसकी सही प्रक्रिया को लेकर सवाल खड़े होते हैं। समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल में महानगर कमेटी के महासचिव हामिद जाफर मीसम सहित कई पदाधिकारी मौजूद रहे।

पूर्व मंत्री द्वारा मामले की जानकारी देने के बाद जिला निर्वाचन अधिकारी ने संबंधित निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी से तत्काल वार्ता की और प्रकरण के निस्तारण की प्रक्रिया शुरू कराई। निर्वाचन अधिकारी ने आश्वासन दिया कि गणना प्रपत्रों के गायब होने के कारणों की जांच की जाएगी और यदि किसी स्तर पर लापरवाही पाई जाती है तो कार्रवाई भी सुनिश्चित की जाएगी। प्रतिनिधिमंडल में श्रीचंद यादव, शावेज जाफरी, मंसूर इलाही, लाल बहादुर शुक्ल, राम अंजोर यादव, राम करन यादव, इश्तियाक खान, कामिल हसनैन और रोहित यादव मौजूद रहे।

प्रदेशभर में चल रहे मतदाता सूची सत्यापन अभियान के तहत गणना फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 11 दिसंबर निर्धारित की गई है। बीएलओ लगातार मतदाताओं से फॉर्म जल्द भरकर जमा करने की अपील कर रहे हैं ताकि सूची में सही और पूर्ण जानकारी दर्ज की जा सके। ऐसे समय में प्रपत्रों का गायब होना केवल प्रशासनिक चुनौती ही नहीं, बल्कि पारदर्शिता और विश्वसनीयता के लिए भी गंभीर प्रश्न खड़ा करता है। मतदाता सूची लोकतांत्रिक व्यवस्था का आधार है और इसमें किसी भी प्रकार की त्रुटि आगामी चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है।

अयोध्या में सामने आए इस प्रकरण ने यह संकेत भी दिया है कि मतदाता पंजीकरण और सत्यापन की प्रक्रिया को और अधिक व्यवस्थित तथा सुरक्षित बनाने की आवश्यकता है। इस घटना का समाधान प्रशासन की प्राथमिकता है ताकि मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य समय पर और निष्पक्ष तरीके से पूरा हो सके। फिलहाल गणना फॉर्मों की खोज जारी है और प्रशासन इसे जल्द सुलझाने के प्रयास में लगा हुआ है। समाजवादी पार्टी ने इस मामले को गंभीरता से उठाते हुए पारदर्शिता की मांग की है, वहीं निर्वाचन अधिकारी ने आश्वासन दिया है कि पूरी प्रक्रिया को नियमों के अनुरूप और व्यवस्थित रखा जाएगा।

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