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मेरठ: चौधरी चरण सिंह विवि में एआई पर कार्यशाला शुरू, विशेषज्ञों ने चुनौतियों पर की चर्चा

मेरठ: चौधरी चरण सिंह विवि में एआई पर कार्यशाला शुरू, विशेषज्ञों ने चुनौतियों पर की चर्चा

मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में एआई पर पांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला शुरू हुई, जहां विशेषज्ञों ने तकनीक के अवसरों और चुनौतियों पर गहन चर्चा की।

मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के गणित विभाग में सोमवार को कृत्रिम बुद्धिमत्ता फ्रंटियर्स फजी ऑप्टिमाइजेशन साइबर सुरक्षा और सिमुलेशन में नवाचार विषय पर पांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला की शुरुआत हुई। उद्घाटन सत्र में देश और विदेश के विशेषज्ञ मौजूद रहे और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर तेजी से निर्भर होते समाज की चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया कि एआई का विकास अवसर भी है और खतरा भी, इसलिए तकनीक को संतुलित ढंग से अपनाना होगा।

नई दिल्ली स्थित इंटर यूनिवर्सिटी एक्सिलरेटर सेंटर के निदेशक प्रो अविनाश चंद्र पांडेय ने कहा कि तकनीक पर निर्भरता इतनी बढ़ गई है कि मानव मस्तिष्क की क्षमता प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा कि कैलकुलेटर और मोबाइल के बाद अब एआई भी सोचने और याद रखने की शक्ति पर असर डाल रहा है। यदि मनुष्य केवल एआई पर निर्भर होकर दिमाग का उपयोग बंद कर देगा तो धीरे धीरे अपनी क्षमता खो देगा।

उन्होंने कहा कि एआई केवल वही बताता है जिसे हम डेटा के रूप में देते हैं, जबकि समय के साथ कई सवालों के जवाब बदल जाते हैं। नई पीढ़ी तक सही जानकारी पहुंचाने में शिक्षकों की भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण रहेगी। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि हम एआई का उपयोग करना नहीं सीखेंगे तो स्थिति उलट सकती है और एआई हमें नियंत्रित करना शुरू कर देगा।

प्रो पांडेय ने बच्चों में बढ़ते गैजेट एडिक्शन और स्लीप डिसरप्शन को बड़ी चुनौती बताया और कहा कि संतुलित तकनीक उपयोग ही समाधान है। उन्होंने कहा कि मोबाइल हमारी हर गतिविधि पर नजर रखता है, इसलिए डेटा सुरक्षा के लिए भविष्य में क्वांटम कंप्यूटिंग की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने 1968 की फिल्म ए स्पेस ओडिसी का उदाहरण देते हुए बताया कि मनुष्य ने जिस उन्नत एआई की कल्पना दशकों पहले की थी, वह अभी भी पूरी तरह साकार नहीं हुई है।

सीसीएसयू के डीन एकेडमिक्स प्रो संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि नई तकनीकें समाज को बदल रही हैं लेकिन इसके जोखिम को समझना भी आवश्यक है। साइबर सुरक्षा और सामाजिक प्रभावों पर उन्होंने विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत जैसे देश में एआई का बढ़ता उपयोग रोजगार सुरक्षा को लेकर भी नए सवाल खड़े करता है।

सृजन संचार के निदेशक शैलेंद्र जायसवाल ने कहा कि तकनीक इतनी तेजी से बदल रही है कि भविष्य की सटीक भविष्यवाणी करना कठिन हो गया है। उन्होंने कहा कि विश्व की लगभग सभी बड़ी कंपनियां एआई आधारित भविष्य पर काम कर रही हैं और आने वाले वर्षों में रोबोटिक्स का दायरा काफी बढ़ेगा।

कार्यशाला के चेयरमैन प्रो मुकेश शर्मा ने बताया कि इस वर्कशॉप में साइबर सुरक्षा, फजी ऑप्टिमाइजेशन, कंप्यूटर विजन, इमेज प्रोसेसिंग और सिमुलेशन पर विस्तृत चर्चा होगी। शोध निदेशक प्रो बीरपाल सिंह ने विश्वविद्यालय के शोध कार्यों की जानकारी दी।

कुलपति प्रो संगीता शुक्ला ने कहा कि तकनीक तभी उपयोगी है जब मनुष्य उसे समझदारी से इस्तेमाल करे। उन्होंने जोर दिया कि दिमाग की शक्ति सबसे ऊपर है और सभी विषयों के छात्रों को एक दूसरे के क्षेत्रों के बारे में जानने का प्रयास करना चाहिए।

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