गोरखपुर: खजनी क्षेत्र के सरया तिवारी गांव में स्थित प्राचीन नीलकंठ महादेव मंदिर की भूमि को लेकर लंबे समय से चला आ रहा विवाद रविवार को एक अद्भुत घटना के बाद समाप्त हो गया। लगभग 90 डिसमिल क्षेत्रफल वाली इस भूमि पर अब तक मंदिर ट्रस्ट या देवभूमि के नाम अंकन नहीं हुआ था। स्थानीय ग्रामीणों के एक वर्ग का आरोप था कि इस पवित्र स्थल की जमीन पर कुछ लोग कब्जा जमाने की कोशिश कर रहे हैं। इस संबंध में पीड़ित पक्ष ने संपूर्ण समाधान दिवस पर लिखित शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की।
शिकायत के आधार पर राजस्व टीम, जिसमें कांगो देवनारायण मिश्रा और लेखपाल राजू रंजन शर्मा शामिल थे, मौके पर पहुंची और भूमि की पैमाइश कर चूना गिराकर निशानदेही की। पैमाइश के दौरान कुछ लोगों ने इसका विरोध किया और जेसीबी से निर्माण कार्य रोकने की कोशिश की। इसी बीच, मौके पर मौजूद लोगों के अनुसार, एक अत्यंत प्राचीन और विशालकाय नाग देवता भूमि पर प्रकट हुए। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि नाग देवता राजस्व टीम द्वारा गिराए गए चूने के निशानों के साथ-साथ आगे बढ़े और उसी सीमा तक पहुंचे जहां तक निशानदेही हुई थी, फिर लौटकर अचानक अदृश्य हो गए।
ग्राम प्रधान प्रतिनिधि धरणीधर राम त्रिपाठी, बृजेश त्रिपाठी, गजेंद्र त्रिपाठी, शिवाकांत त्रिपाठी, लालमोहन गौड़, संतोष शर्मा, विजय यादव, सुदामा यादव और अमरेश राम त्रिपाठी सहित कई ग्रामीणों ने बताया कि इस घटना को देखकर सभी विरोध करने वाले लोग शांत हो गए और भूमि पर निर्माण कार्य के लिए सहमति दे दी। इसके बाद खुदाई का काम शुरू हुआ, जो पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।
स्थानीय लोगों का मानना है कि यह नाग देवता मंदिर के रक्षक हैं और उनका प्रकट होना इस बात का संकेत है कि भूमि का उपयोग धार्मिक उद्देश्यों के लिए ही होना चाहिए। अब ग्रामीणों में इस भूमि के मंदिर ट्रस्ट के नाम अंकन और विकास कार्य को लेकर नई उम्मीद जागी है। प्रशासन भी आगे की कानूनी प्रक्रिया पूरी कर भूमि को मंदिर के नाम करने पर विचार कर रहा है।
यह घटना न केवल विवाद का शांतिपूर्ण अंत बन गई, बल्कि ग्रामीणों के लिए आस्था और एकता का भी प्रतीक बन गई है। क्षेत्र में अब इस प्राचीन नीलकंठ महादेव मंदिर के पुनर्निर्माण और विकास की चर्चाएं तेज हो गई हैं।
गोरखपुर: नाग देवता के चमत्कार से सुलझा, नीलकंठ महादेव मंदिर भूमि विवाद

गोरखपुर के खजनी स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर का भूमि विवाद नाग देवता के प्रकट होने से चमत्कारिक रूप से सुलझा, जिससे सभी विरोध समाप्त हुए।
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