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IIT BHU गैंगरेप केस: कोर्ट में पीडिता के दोस्त से जिरह जारी, गवाह की विश्वसनीयता पर सवाल

IIT BHU गैंगरेप केस: कोर्ट में पीडिता के दोस्त से जिरह जारी, गवाह की विश्वसनीयता पर सवाल

IIT BHU गैंगरेप मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट में पीड़िता के दोस्त से जिरह हुई, उसकी गवाही से आरोपियों का भविष्य तय होगा।

वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट में IIT BHU गैंगरेप केस की सुनवाई शनिवार को एक महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गई, जहां पीडिता के दोस्त से जिरह की प्रक्रिया जारी रही। यह वही युवक है जिसे घटना की रात पीडिता के साथ देखा गया था और जिसने पूरी वारदात को अपनी आंखों से देखा था। अभियोजन पक्ष उसे इस केस का सबसे मजबूत और एकमात्र चश्मदीद मान रहा है। उसकी गवाही पर ही आरोपियों की सजा या रिहाई काफी हद तक निर्भर करेगी।

सुनवाई के दौरान आरोपी आनंद चौहान के वकील ने जिरह में कई तीखे सवाल किए। उन्होंने बताया कि घटना रात के समय घने अंधेरे में हुई और ऐसे में आरोपियों की पहचान किस आधार पर की गई, यह गंभीर सवाल है। वकील ने उसका मानसिक दबाव, डर और घटना के दौरान की परिस्थितियों पर सवाल उठाते हुए उसकी गवाही की विश्वसनीयता पर संदेह जताया। इसके साथ ही पीडिता और उसके दोस्त के उस सुनसान जगह जाने के कारण पर भी सवाल उठाए गए।

पीडिता के मुताबिक उसके दोस्त को आरोपियों ने पकड लिया था और उसी के सामने दरिंदगी की गई। घटना की भयावहता को देखते हुए छात्रा का यह दोस्त इस केस में सबसे महत्वपूर्ण गवाह बनकर उभरा है। वकीलों का मानना है कि उसकी गवाही से केस की दिशा प्रभावित हो सकती है।

IIT BHU की छात्रा के साथ 31 अक्टूबर 2023 को गैंगरेप की घटना हुई थी। छात्रा ने पुलिस और कोर्ट में दिए अपने बयान में घटना स्थल, आरोपी और पूरी वारदात का विस्तार से जिक्र किया था। कई तारीखों तक उसकी जिरह पूरी नहीं हो सकी, पर पिछले सोमवार को कोर्ट ने आरोपियों के वकीलों को कई अवसर देने के बाद भी जिरह न करने पर उनका अवसर समाप्त कर दिया। इसके बाद केस का फोकस पीडिता के दोस्त की गवाही पर आ गया।

अभियोजन पक्ष ने बताया कि अगली तारीख पर तत्कालीन इंस्पेक्टर लंका, जो इस केस के विवेचक हैं, उन्हें भी कोर्ट में बयान के लिए बुलाया जाएगा। इसके बाद अभियोजन और बचाव पक्ष बहस की प्रक्रिया शुरू करेंगे। सरकारी वकील मनोज कुमार ने कहा कि अभियोजन की कोशिश है कि मजबूत साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट आरोपियों को कडी सजा सुनाए।

इस केस में तीन आरोपी आनंद, कुणाल और सक्षम पहले ही जमानत पर जेल से बाहर आ चुके हैं। तीनों ही भाजपा IT सेल से जुडे हुए थे और कई नेताओं के संपर्क में भी रहे थे। जमानत प्रक्रिया के दौरान हाईकोर्ट में कई बार आरोपियों की याचिकाओं पर सुनवाई हुई और विभिन्न शर्तों के साथ उन्हें जमानत मिली। सक्षम पटेल को गैंगस्टर एक्ट के तहत भी केस का सामना करना पडा था, लेकिन बाद में उसे भी जमानत मिल गई।

इस पूरे मामले की सुनवाई अब निर्णायक दौर में प्रवेश कर रही है। एकमात्र चश्मदीद गवाह की गवाही और विवेचक के बयान के बाद उम्मीद है कि आने वाले महीनों में कोर्ट इस संवेदनशील मामले पर अपना फैसला दे देगा। यह मामला न केवल कानूनी रूप से बल्कि सामाजिक और शैक्षणिक वातावरण के संदर्भ में भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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