News Report
TRUTH BEHIND THE NEWS

काशी तमिल संगमम् 4.0 का भव्य शुभारंभ, नमो घाट पर दिखा उत्तर-दक्षिण का अद्भुत संगम

काशी तमिल संगमम् 4.0 का भव्य शुभारंभ, नमो घाट पर दिखा उत्तर-दक्षिण का अद्भुत संगम

काशी तमिल संगमम् 4.0 का नमो घाट पर भव्य शुभारंभ, 'तमिल करकलाम' थीम के साथ उत्तर-दक्षिण का सांस्कृतिक संगम।

काशी में काशी तमिल संगमम् के चौथे संस्करण का भव्य शुभारंभ आज नमो घाट पर हुआ। उद्घाटन के साथ ही पूरा काशी दक्षिण भारत की संस्कृति से सराबोर दिखाई दिया और दोनों क्षेत्रों के लोगों का अभूतपूर्व संगम देखने को मिला। यह आयोजन उत्तर और दक्षिण भारत को भावनात्मक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से जोड़ने का एक अनूठा प्रयास है, जिसका उद्देश्य दोनों सभ्यताओं के बीच संवाद, समझ और पारस्परिक सम्मान को और मजबूत करना है। काशी तमिल संगमम् 4.0 का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि, केंद्रीय मंत्री डॉ एल मुरुगन, पुडुचेरी के उप राज्यपाल के कैलाशनाथन और उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक की उपस्थिति में दोपहर 2 बजकर 30 मिनट पर शुरू हुआ।

इस बार संगमम् की थीम तमिल करकलाम यानी तमिल सीखें रखी गई है, जिसके माध्यम से देश भर में शास्त्रीय तमिल भाषा और उसकी सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा गया है। आयोजन में शामिल होने के लिए तमिलनाडु से 1400 से अधिक प्रतिनिधि काशी पहुंचे हैं। काशी की गलियों, घाटों और मंदिरों में तमिल युवाओं और कलाकारों की आवाजाही से आज पूरा शहर दक्षिण भारतीय परंपरा की अनुभूति कर रहा है। उद्घाटन समारोह में काशी और तमिलनाडु के पारंपरिक कलाकारों ने एक साथ मंच साझा किया, जिससे भारत की सांस्कृतिक एकता और विविधता का अद्भुत प्रदर्शन देखने को मिला।

आयोजन की शुरुआत से पहले शनिवार की सुबह छात्रों का पहला दल विशेष ट्रेन से कन्याकुमारी, चेन्नई और तिरुचिरापल्ली से काशी के लिए रवाना हुआ था। यह दल मंगलवार को काशी भ्रमण के बाद शाम को उद्घाटन समारोह में शामिल हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मन की बात कार्यक्रम में काशी तमिल संगमम् की महत्ता पर बात करते हुए कहा था कि यह मंच उन सभी लोगों के लिए विशेष है जिन्हें तमिल संस्कृति और भाषा से प्रेम है। प्रधानमंत्री ने देशवासियों से अपील की है कि एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को और मजबूत करने के लिए इस आयोजन से जुड़ें।

प्रतिनिधियों के काशी पहुंचने पर उन्हें सबसे पहले हनुमान घाट ले जाया गया जहां उन्होंने गंगा स्नान किया और दक्षिण भारतीय मंदिरों में दर्शन पूजन किया। यहां उन्हें काशी की दक्षिण भारतीय विरासत और इतिहास के बारे में भी जानकारी दी गई। इसके बाद प्रतिनिधि श्री काशी विश्वनाथ धाम पहुंचे जहां उन्होंने बाबा विश्वनाथ का दर्शन किया और मां अन्नपूर्णा रसोई में प्रसाद ग्रहण किया। साथ ही बीएचयू में आयोजित विभिन्न अकादमिक सत्रों में भी भाग लिया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने एक दिवसीय काशी प्रवास के दौरान दोपहर में काशी पहुंचे। पुलिस लाइन हेलीपैड से सर्किट हाउस के लिए रवाना होने के बाद वे शाम को नमो घाट पहुंचे जहां उद्घाटन समारोह सम्पन्न हुआ। इसके बाद मुख्यमंत्री काल भैरव मंदिर और श्री काशी विश्वनाथ धाम में दर्शन पूजन के लिए गए और देर शाम लखनऊ लौट गए। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी सुबह ही काशी पहुंचकर पूरे कार्यक्रम की तैयारियों का निरीक्षण किया।

तमिलनाडु और काशी के प्राचीन सभ्यतागत संबंधों को नई दिशा देने के लिए इस आयोजन के साथ एक और ऐतिहासिक पहल की गई है। दो दिसंबर से तेनकाशी तमिलनाडु से ऋषि अगस्त्य वाहन अभियान के नाम से सांस्कृतिक कार रैली शुरू होगी जिसका समापन 10 दिसंबर को काशी में होगा। 50 से अधिक कारों और 100 से अधिक प्रतिभागियों के साथ यह रैली 2460 किलोमीटर की यात्रा के दौरान चोल, पांड्य, पल्लव, चालुक्य और विजयनगर काल की सभ्यताओं को उजागर करेगी। यह अभियान पांड्य शासक आदि वीर पराक्रम पांडियन को श्रद्धांजलि के रूप में आयोजित हो रहा है जिनकी ऐतिहासिक यात्रा ने दक्षिण और उत्तर भारत के बीच सांस्कृतिक एकता का संदेश दिया था।

रैली के दौरान शास्त्रीय तमिल साहित्य, सिद्ध चिकित्सा, और साझी विरासत को बढ़ावा देने के लिए कई प्रदर्शनी और कार्यक्रम आयोजित होंगे। एक विशेष एलईडी डिस्प्ले वाहन विभिन्न भारतीय भाषाओं में प्राचीन ग्रंथों और ऐतिहासिक स्थलों को प्रदर्शित करेगा। संभावना है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान प्रयागराज से इस रैली में शामिल होकर काशी तक कार चलाकर आएंगे।

यह संगमम् केवल सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं बल्कि शिक्षा, नवाचार और परंपरा को जोड़ने वाला एक व्यापक आयोजन है जिसमें केंद्रीय शिक्षा, संस्कृति, सूचना एवं प्रसारण, पर्यटन, कपड़ा, खाद्य प्रसंस्करण और MSME मंत्रालयों के साथ भारतीय रेलवे और उत्तर प्रदेश सरकार भी सहयोग कर रहे हैं। इसे आईआईटी मद्रास और बीएचयू मिलकर कार्यान्वित कर रहे हैं।

काशी तमिल संगमम् 4.0 का यह संस्करण भारतीय संस्कृति की विविधता और एकता का अद्भुत संगम साबित होगा और आने वाले वर्षों में उत्तर और दक्षिण भारत के संबंधों को और सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

FOLLOW WHATSAPP CHANNEL
News Report Youtube Channel

LATEST NEWS