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राहुल गांधी ने वोट चोरी को बताया देशद्रोह, चुनाव आयोग पर साधा निशाना

राहुल गांधी ने वोट चोरी को बताया देशद्रोह, चुनाव आयोग पर साधा निशाना

राहुल गांधी ने लोकसभा में वोट चोरी को सबसे बड़ा देशद्रोह बताते हुए चुनाव आयोग और सरकार पर गंभीर आरोप लगाए।

नई दिल्ली : लोकसभा की कार्रवाई मंगलवार को उस समय गर्म हो गई जब नेता विपक्ष राहुल गांधी ने वोट चोरी के मुद्दे को देश के सामने सबसे बड़ा देशद्रोह बताते हुए चुनाव आयोग और सरकार पर तीखा हमला बोला। चुनाव सुधारों पर चल रही बहस में उन्होंने कहा कि चुनाव आयुक्तों को यह भ्रम नहीं रखना चाहिए कि हाल ही में लागू किया गया संरक्षण कानून उन्हें बचा लेगा। उन्होंने कहा कि यदि आवश्यकता पड़ी तो इस कानून को पिछली तिथि से बदला जाएगा और जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी।

राहुल गांधी ने कहा कि चुनाव आयोग विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब नहीं देता और सरकार ने इस संवैधानिक संस्था पर नियंत्रण कर लिया है। उनका आरोप था कि आयोग के कामकाज को प्रभावित कर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब विपक्ष किसी गंभीर मुद्दे पर सवाल पूछता है तो आयोग का रवैया चुप्पी का होता है, जबकि चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता सर्वोपरि होनी चाहिए।

बहस के दौरान उन्होंने चार प्रश्न उठाए, जिनके आधार पर उन्होंने दावा किया कि चुनाव आयोग पर सरकार का प्रभाव स्पष्ट हो जाता है। उनका पहला सवाल था कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से प्रधान न्यायाधीश को क्यों हटा दिया गया। उन्होंने पूछा कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री यह जानने के प्रति इतने उत्सुक क्यों रहते हैं कि चुनाव आयुक्त कौन होगा और नियुक्ति किसे दी जाएगी।

उनका तीसरा सवाल था कि दिसंबर 2023 के कानून में यह प्रावधान क्यों जोड़ा गया कि चुनाव आयुक्त को पद पर रहते हुए किसी भी कार्य के लिए दंडित नहीं किया जा सकता। राहुल गांधी ने कहा कि यह प्रावधान बिना किसी कारण के दिया गया एक विशेष संरक्षण है और इससे जवाबदेही खत्म होती है। चौथा सवाल उन्होंने यह उठाया कि चुनाव का सीसीटीवी फुटेज 45 दिन बाद नष्ट करने की अनुमति देने के लिए कानून में बदलाव क्यों किया गया, जबकि चुनाव प्रक्रिया से जुड़ा कोई भी डिजिटल साक्ष्य लंबे समय तक सुरक्षित रखा जाना चाहिए।

इन सवालों के बाद राहुल गांधी ने चार सुझाव भी सदन में रखे। उन्होंने कहा कि चुनाव से एक महीने पहले मशीन-रीडेबल मतदाता सूची सभी राजनीतिक दलों को उपलब्ध कराई जाए ताकि वे सत्यापन कर सकें। उन्होंने सीसीटीवी फुटेज नष्ट करने वाले प्रावधान को काला कानून बताया और इसे तुरंत वापस लेने की मांग की। उनका तीसरा सुझाव था कि सभी दलों को ईवीएम तक वास्तविक पहुंच मिलनी चाहिए और इसका तकनीकी ढांचा सार्वजनिक होना चाहिए। चौथा सुझाव था कि चुनाव आयुक्तों को दंड से बचाने वाला कानून बदला जाए ताकि किसी भी मनमाने निर्णय पर नियंत्रण लगाया जा सके।

बहस के दौरान बुधवार को सदन का माहौल तब तनातनी भरा हो गया जब राहुल गांधी ने हरियाणा में वोट चोरी का आरोप लगाते हुए मतदाता सूची में गड़बड़ियों का ब्यौरा दिया। उन्होंने ब्राजील की एक महिला का नाम 22 बार मतदाता सूची में दर्ज होने का उदाहरण पेश किया। कई कांग्रेसी सदस्यों ने उसकी तस्वीरें सदन में दिखाईं तो स्पीकर ओम बिरला ने इस पर आपत्ति जताते हुए उन्हें मर्यादा का पालन करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही में किसी की निजी जानकारी या तस्वीर दिखाना उचित नहीं है।

राहुल गांधी के भाषण ने चुनाव आयोग की भूमिका और चुनाव सुधारों पर व्यापक बहस को नई दिशा दे दी है। अब यह देखा जाना बाकी है कि सरकार इन बिंदुओं पर क्या रुख अपनाती है और आयोग इन सवालों का क्या जवाब देता है।

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