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वाराणसी हवाई यात्रियों की अनदेखी पर DGCA के बाद अब एयरपोर्ट निदेशक ने उठाया सवाल

वाराणसी हवाई यात्रियों की अनदेखी पर DGCA के बाद अब एयरपोर्ट निदेशक ने उठाया सवाल

वाराणसी में हवाई यात्रियों को इंडिगो की लापरवाही से परेशानी, एयरपोर्ट निदेशक ने एयरलाइंस पर उपेक्षा का आरोप लगाया।

वाराणसी में हवाई यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन विमानन कंपनियों द्वारा यात्रियों को दी जाने वाली सुविधाएं उसी गति से विकसित नहीं हो सकी हैं। हाल के दिनों में इंडिगो एयरलाइन द्वारा क्रू मेंबर की उपलब्धता को लेकर की गई लापरवाही से बड़ी संख्या में यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। डीजीसीए के निर्देशों के बावजूद कंपनी द्वारा संचालन व्यवस्था में सुधार न करने के बाद अब इस मुद्दे पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।

लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा के निदेशक पुनीत गुप्ता ने कहा कि एयरलाइंस के संचालन में आई इस अव्यवस्था से यात्रियों को जिस असुविधा का सामना करना पड़ा है, वह उनकी उपेक्षा का परिणाम है। उन्होंने साफ कहा कि यात्री अक्सर अपने अधिकारों से अनजान रहते हैं। यदि लोग अपने अधिकारों को समझना शुरू कर दें, तो विमानन कंपनियां मनमानी नहीं कर पाएंगी और यात्रियों को उचित सुविधाएं मिलेंगी।

निदेशक ने यह भी कहा कि निजी विमानन कंपनियों को सूचना अधिकार के दायरे में लाने की जरूरत है क्योंकि सरकारी विभागों से तो लोग आसानी से जानकारी मांग लेते हैं, लेकिन निजी कंपनियों के मामले में यह पारदर्शिता नहीं है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव जरूरी है ताकि यात्रियों को समय पर सही और स्पष्ट जानकारी मिल सके।

उन्होंने बताया कि इंडिगो के कई विमानों में संकट का मुख्य कारण यह रहा कि एक क्रू मेंबर के कार्य समय की सीमा आठ घंटे निर्धारित है, लेकिन इसके अनुसार पर्याप्त संख्या में क्रू मेंबर नियुक्त नहीं किए गए। विमान का समय पर प्रस्थान, देरी या उड़ान रद्द होने की सूचना यात्रियों को पहले मिलनी चाहिए ताकि वे अपनी यात्रा योजना में आवश्यक बदलाव कर सकें। कई बार टिकट रद्द होने पर यात्रियों को टिकट का पैसा तो मिल जाता है, लेकिन एयरपोर्ट पहुंचने से लेकर वापस लौटने तक होने वाला खर्च पूरी तरह उन पर ही पड़ता है, जिसका कोई प्रावधान एयरलाइंस में नहीं है। इससे यात्रियों और एजेंटों दोनों को नुकसान उठाना पड़ता है।

निदेशक ने यह भी कहा कि पिछले पांच वर्ष में विमानन कंपनियों ने लगभग तीन हजार विमान खरीदे हैं, लेकिन इसके अनुसार क्रू और अन्य तकनीकी कर्मचारियों की संख्या नहीं बढ़ाई गई है। इस स्थिति को सुधारने के लिए नीति स्तर पर बदलाव जरूरी है, ताकि एयरलाइंस पर नियंत्रण रखा जा सके और यात्रियों को बेहतर सुविधा दी जा सके। उन्होंने बताया कि विमानन क्षेत्र में रोजगार की बड़ी संभावनाएं हैं, लेकिन इस दिशा में भी गंभीर कदम उठाने की जरूरत है। एक पायलट तैयार करने में एक से डेढ़ करोड़ रुपये का खर्च आता है, इसलिए मानव संसाधन विकास भी इस क्षेत्र की प्राथमिकता होनी चाहिए।

निदेशक ने कहा कि अगर हवाई अड्डों पर बेहतर सुविधाएं दी जाएं तो यात्रियों की संख्या और बढ़ेगी। उन्होंने उदाहरण दिया कि वर्ष 2010 में जब मुंबई और दिल्ली एयरपोर्ट प्राइवेट हाथों में दिए गए थे, तब वहां यात्रियों को दी जाने वाली सुविधाओं में बड़ा सुधार देखने को मिला था। वाराणसी एयरपोर्ट के विस्तारीकरण की योजना भी वर्ष 2010 से लंबित थी, जिसका काम अब लगभग पंद्रह वर्ष बाद शुरू हो पाया है।

उन्होंने जोर दिया कि अब समय आ गया है कि एयरलाइंस और यात्रियों दोनों को यात्रा व्यवस्था में सुधार की जिम्मेदारी समझनी चाहिए। बेहतर सुविधाएं, स्पष्ट संचार और जवाबदेही ही भविष्य की विमान सेवा को सुचारू बना सकती हैं।

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