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वाराणसी में काशी तमिल संगमम की धूम, घाट वॉक से जन-जागरूकता का संदेश

वाराणसी में काशी तमिल संगमम की धूम, घाट वॉक से जन-जागरूकता का संदेश

वाराणसी में काशी तमिल संगमम की तैयारियों के तहत अस्सी घाट से दशाश्वमेध तक घाट वॉक आयोजित हुआ, जिसका उद्देश्य जन-जागरूकता बढ़ाना था।

वाराणसी में काशी तमिल संगमम की तैयारियां जोर पकड़ने लगी हैं। आयोजन से पहले मंगलवार को घाट वॉक का कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय लोग, सांस्कृतिक समूह और आयोजन से जुड़े प्रतिनिधि शामिल हुए। यह वॉक शाम 4 बजे अस्सी घाट से शुरू हुई और विभिन्न घाटों से गुजरते हुए दशाश्वमेध घाट तक पहुंची। इसके बाद सभी प्रतिभागी पुनः अस्सी घाट लौटे जहां कार्यक्रम का समापन किया गया। इस सांस्कृतिक परिक्रमा का उद्देश्य आगामी काशी तमिल संगमम के महत्व और इसकी योजनाओं के बारे में लोगों को जागरूक करना था।

घाट वॉक की शुरुआत कठघोड़वा नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति से हुई जिसने पूरे वातावरण को लोक सांस्कृतिक रंगों से भर दिया। ढोल की थाप और सजीव लोक नृत्य की शैली ने दर्शकों को आकर्षित किया और इस यात्रा की शुरुआत को और भी विशेष बना दिया। कार्यक्रम में शिक्षा मंत्रालय द्वारा गठित KTS 4 आयोजन समिति के सदस्य आनंद श्रीवास्तव मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उनके साथ काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।

आनंद श्रीवास्तव ने काशी तमिल संगमम की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर बात करते हुए कहा कि काशी और तमिलनाडु के बीच आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंध हजारों वर्षों पुराने हैं। उन्होंने बताया कि तमिल और संस्कृत दोनों ही प्राचीन भाषाएं हैं जिन्हें पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव के डमरू से उत्पन्न माना जाता है। उनका कहना था कि यह महाआयोजन उत्तर और दक्षिण भारत के बीच सांस्कृतिक सेतु का कार्य करेगा और दोनों समाजों के बीच ज्ञान तथा परंपरा का आदान प्रदान और मजबूत होगा।

उन्होंने कहा कि काशी तमिल संगमम केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं बल्कि राष्ट्रीय एकता और समरसता का उत्सव है। इस वर्ष तमिलनाडु से लगभग 1500 प्रतिभागी सात समूहों में वाराणसी आएंगे। इसके साथ ही 50 तमिल भाषा शिक्षक भी यहां पहुंचेंगे जो आयोजन अवधि में वाराणसी के स्कूलों और कॉलेजों में तमिल भाषा का शिक्षण करेंगे। यह प्रयास दो भाषाओं और दो संस्कृतियों के बीच शैक्षणिक आदान प्रदान को और मजबूत बनाएगा।

संयोजकों के अनुसार प्रत्येक समूह दो दिन तक वाराणसी में रहेगा और काशी के प्रमुख घाटों, मंदिरों और ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण करेगा। उनके लिए सांस्कृतिक और आध्यात्मिक कार्यक्रमों की विशेष रूप से योजना बनाई गई है। इसके बाद सभी समूह क्रमशः प्रयागराज और अयोध्या के लिए प्रस्थान करेंगे जहां उन्हें उन स्थलों के सांस्कृतिक महत्व से परिचित कराया जाएगा।

इस वर्ष काशी तमिल संगमम के संचालन और समन्वय की जिम्मेदारी आईआईटी मद्रास और बीएचयू को दी गई है। दोनों संस्थान विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों और उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर आयोजन की सभी गतिविधियों को सफलतापूर्वक पूरा करने की तैयारी कर रहे हैं। घाट वॉक के माध्यम से शहर में यह संदेश दिया गया कि काशी तमिल संगमम एक बड़े सांस्कृतिक मिलन का अवसर है और इसे लेकर वाराणसी पूरी तरह तैयार है।

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