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वाराणसी: लंबित मुकदमों के निस्तारण को 13 दिसंबर को लोक अदालत, मिलेगा त्वरित न्याय

वाराणसी: लंबित मुकदमों के निस्तारण को 13 दिसंबर को लोक अदालत, मिलेगा त्वरित न्याय

वाराणसी में 13 दिसंबर को जिला न्यायालय परिसर में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन होगा, जिसमें लाखों लंबित मुकदमों के त्वरित निस्तारण का लक्ष्य रखा गया है।

वाराणसी जिले में लंबित मुकदमों के निस्तारण को गति देने और लोगों को त्वरित न्याय उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन 13 दिसंबर को जिला और सत्र न्यायालय परिसर में किया जाएगा। इस लोक अदालत को लेकर प्रशासन और न्यायालय दोनों स्तरों पर तैयारियां शुरू हो गई हैं। अधिकारियों ने बताया कि इस वर्ष की यह आखिरी लोक अदालत होगी और इसलिए इसके लिए विशेष लक्ष्य तय किया गया है। जिला न्यायालय ने सभी विभागों को पत्र भेजकर उन मामलों की सूची तैयार करने को कहा है जिन्हें सुलह समझौते के आधार पर निपटाया जा सकता है। इस राष्ट्रीय लोक अदालत में लगभग एक लाख मामलों के निस्तारण का लक्ष्य रखा गया है, जबकि जिला न्यायालय स्तर पर कम से कम पचास हजार मामलों का निपटारा करने का प्रयास किया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि यदि पक्षकार सहयोग करते हैं तो यह संख्या और भी बढ़ सकती है।

अपर जिला जज आलोक कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत की नई तारीख हाईकोर्ट और शासन से संवाद के बाद तय की गई है। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था लोगों के लिए काफी उपयोगी साबित होती है क्योंकि इसमें न केवल उनका समय बचता है बल्कि मुकदमेबाजी का खर्च और तनाव भी कम हो जाता है। नवागत जिला जज संजीव शुक्ला की अध्यक्षता में लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा और इस बार मामलों की श्रेणी का दायरा भी व्यापक रखा गया है। न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि यह लोक अदालत पूरी तरह से पक्षकारों की सहमति पर आधारित होगी और किसी पर किसी तरह का दबाव नहीं डाला जाएगा।

इस लोक अदालत में दीवानी मामलों, फौजदारी मामलों, राजस्व विवादों और मोटर दुर्घटना प्रतिकर वादों के साथ साथ चेक बाउंस से जुड़े मामलों का भी निस्तारण किया जाएगा। इसके अलावा प्री लिटिगेशन के तहत आने वाले वैवाहिक विवाद भी इस लोक अदालत के दायरे में शामिल होंगे ताकि परिवार से जुड़े मामलों को लंबी मुकदमेबाजी में उलझने से बचाया जा सके। अधिकारियों का कहना है कि ऐसे मामलों में अक्सर सुलह की संभावना अधिक रहती है और लोक अदालत के माध्यम से समाधान होने पर पक्षकारों के बीच आपसी संबंध भी सुधर जाते हैं। यह तरीका दोनों पक्षों के लिए लाभकारी होता है क्योंकि इसमें किसी की जीत या हार नहीं होती, बल्कि मामले का आपसी सहमति से अंत हो जाता है।

लोक अदालत की विशेषता यह भी है कि यहां होने वाला निर्णय अंतिम माना जाता है और इसे किसी अन्य अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है, क्योंकि यह पूरी तरह पक्षकारों की सहमति से लिया गया निर्णय होता है। इस प्रक्रिया में कोई भी शुल्क नहीं लगता और सामान्य वादों की तुलना में यह एक आसान और सुगम प्रक्रिया है जो आम जनता को न्याय दिलाने में बड़ा सहायक बनती है। पिछले वर्षों में हजारों लोग इस सुविधा का लाभ उठा चुके हैं और इसी कारण इस बार भी बड़ी संख्या में लोग अपने मामलों के निस्तारण के लिए लोक अदालत में पहुंचने की तैयारी कर रहे हैं। न्यायालय प्रशासन ने कहा है कि इस बार अदालत में कई बेंचों का गठन किया जाएगा ताकि सभी श्रेणी के मामलों को तेजी से सुनकर निस्तारित किया जा सके।

न्यायालय ने सभी विभागों को निर्देश दिया है कि वे लंबित मामलों की विस्तृत सूची प्रस्तुत करें और ऐसे मामलों को प्राथमिकता दें जिनमें समाधान की संभावना अधिक है। कई विभागों ने अपने कर्मचारियों को यह भी निर्देश दिया है कि वे पक्षकारों से बातचीत कर उन्हें लोक अदालत की प्रक्रिया के बारे में अवगत कराएं और उन्हें इसमें शामिल होने के लिए प्रेरित करें। अधिकारियों का कहना है कि लोक अदालत का सबसे बड़ा लाभ यही है कि यह एक संवाद आधारित व्यवस्था है जिसमें दोनों पक्ष अपनी बात खुलकर रख सकते हैं और कानूनी उलझनों से बचते हुए एक समाधान तक पहुंच सकते हैं। आने वाले दिनों में न्यायालय परिसर में सूचना पटल भी लगाए जाएंगे ताकि लोग अपने मामले की स्थिति और लोक अदालत के विवरण को आसानी से जान सकें। न्यायालय का यह प्रयास न्याय को सरल और सुलभ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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