वाराणसी: रामनगर/गंगा किनारे लगातार हो रही डूबने की घटनाओं ने एक बार फिर प्रशासन की लापरवाही और तटों की असुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। शुक्रवार की दोपहर रामनगर थाना क्षेत्र के डोमरी स्थित सतुआ बाबा आश्रम के सामने गंगा नदी में चंदौली के रतनपुर गांव निवासी 20 वर्षीय करण पटेल की मौत ने पूरे इलाके को झकझोर दिया। परिवार का सबसे बड़ा बेटा, घर का आशा-भरोसा, और कुछ ही महीनों बाद शादी की तैयारी कर रहा युवक पलभर में गहरे पानी की लहरों में समा गया।
घटना ने रोका समय, चीखों से गूंज उठा घाट
प्राप्त जानकारी के अनुसार रतनपुर गांव के पांच युवक करण पटेल, खेसारी, अभय, ऋषि और संजय बाइक से डोमरी के सामने गंगा किनारे पहुंचे थे। पीपल के पेड़ के पास बाइक खड़ी कर सभी रेत पार करते हुए नदी किनारे पहुंचे। संजय और अभय बाहर बैठ गए, जबकि करण, खेसारी और ऋषि पानी में उतर गए। कुछ देर बाद ही बहाव तेज होने से करण गहरे पानी में फिसलने लगा।
बाहर बैठा संजय और उसके साथ स्नान कर रहा खेसारी तुरंत पानी में कूद पड़े। बार-बार हाथ बढ़ाया, कई बार उसके करीब भी पहुंचे, लेकिन तेज धारा ने उनके सामने करण को खींच लिया। देखते ही देखते वह लहरों में गायब हो गया। चीखें उठीं पहले दोस्तों की, फिर आसपास मौजूद लोगों की। कुछ ही मिनटों में घाट पर गृहस्थी का सन्नाटा मातमी शोर में बदल गया।
परिवार का रो-रोकर बुरा हाल, दादी बार-बार बेहोश
सूचना मिलते ही करण के पिता विजय पटेल, मां राजकुमारी, दादी शांति देवी और बहनें दौड़ते हुए घाट पर पहुंचीं। जैसे ही उन्हें पता चला कि करण डूब गया है, मां की करुण पुकार और दादी की चीत्कार घाट पर मौजूद हर व्यक्ति के दिल को चीर रही थी। दादी शांति देवी तो रोते-रोते कई बार गिर पड़ीं। दोनों बहनों का विलाप सुनकर हर किसी की आंखें नम हो गईं।
विजय पटेल अपने होश में नहीं थे। बेटा घर का सहारा था, पढ़ाई के साथ पड़ाव के एक मेडिकल स्टोर पर काम भी करता था। पिता की आंखों में सिर्फ एक सवाल था, “हमारा करण क्या किसी गलती का हिस्सा था? नदी किनारे सुरक्षा क्यों नहीं?”
पाँच घंटे की तलाश के बाद मिला शव
पुलिस, एनडीआरएफ और गोताखोरों की टीम तुरंत मौके पर पहुंची। गंगा की तेज धारा और गहराई के कारण खोज अभियान काफी मुश्किल रहा। लगभग पाँच घंटे तक खंगालने के बाद एनडीआरएफ टीम ने कांटा डालकर शव को बाहर निकाला। रोते-बिलखते परिवार को उनके लाल का निर्जीव शरीर सौंप दिया गया। थानाध्यक्ष दुर्गा सिंह के अनुसार, परिवार किसी कानूनी कार्रवाई में नहीं जाना चाहता था, इसलिए पंचनामा कर शव परिजनों को सौंप दिया गया।
10 नवंबर को हुआ था छेका, 27 अप्रैल को होनी थी शादी
करण की मौत की त्रासदी में एक और गहरा घाव यह है कि 10 नवंबर को ही उसका छेका और तिलकोत्सव हुआ था। चंदौली के फतेहपुर गांव में उसकी शादी तय थी। घर में तैयारियां शुरू हो चुकी थीं, रिश्तेदार आने-जाने लगे थे, और परिवार बेटा-बेटी के हाथ पीले होने की आहट से खुश था। लेकिन 27 अप्रैल को होने वाली शादी आज एक अकल्पनीय दर्द की तारीख बन गई। एक ऐसी तारीख, जिसे अब यह परिवार कभी भुला नहीं सकेगा।
सबसे चिंताजनक बात यह है कि उसी स्थान से महज 200 मीटर की दूरी पर गुरुवार को भी जलीलपुर गांव के दो युवकों की गंगा में डूबकर मौत हो चुकी है। लगातार दो दिनों में तीन घरों के चिराग बुझ गए, और पूरे क्षेत्र में मातम छाया हुआ है। दोनों गांव पड़ाव से सटे हैं, इसलिए घटनाओं ने दो समुदायों को गहरे शोक में डुबो दिया है।
गंगा किनारे कहीं भी सुरक्षा घेरा नहीं, चेतावनी बोर्डों की कमी, स्थानीय पुलिस की गश्त बेहद कम या यूं कहे तो है ही नहीं। स्नान के खतरनाक हिस्सों को चिह्नित नहीं किया गया। युवाओं को रोकने या जागरूक करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। घाटों पर न तो लाइफगार्ड हैं, न ही प्राथमिक चिकित्सा की कोई व्यवस्था। सवाल उठता है कि जब पिछले 24 घंटे में ही मौतें हुई थीं, तो उसी क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ाने के क्या कदम उठाए गए? क्या हमारी गंगा के किनारे इतने असुरक्षित हो चुके हैं कि रोज किसी घर का बेटा इन्हीं लहरों में खो जाए?
न्यूज रिपोर्ट पूछ रहा है, सवाल बन कर जनता की आवाज क्या प्रशासन और कितने घर उजड़ने का है, इंतजार। “कब जागेगा सिस्टम, कब लगेगा सुरक्षा घेरा, कब होगी गश्त, कब तक मांओं की चीखें गंगा किनारे गूंजती रहेंगी?”
गंगा जी हमारे आस्था का केंद्र हैं, लेकिन अब भय का प्रतीक बनती जा रही हैं। प्रशासन और पुलिस की जिम्मेदारी है कि इन घटनाओं को केवल आंकड़ों में न बदलने दे, बल्कि सुरक्षा मजबूत करे ताकि किसी और मां का लाल इस बहाव में न खो जाए।
वाराणसी: रामनगर- गंगा जी में डूबकर युवक की मौत, तटों की सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल

रामनगर के डोमरी घाट पर गंगा में डूबे युवक की मौत, असुरक्षित तटों पर प्रशासन की लापरवाही उजागर
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