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वाराणसी: युवा आध्यात्मिक समिट में सत्येंद्र बारी की पुकार, नशा छोड़ो, भारत जोड़ो

वाराणसी: युवा आध्यात्मिक समिट में सत्येंद्र बारी की पुकार, नशा छोड़ो, भारत जोड़ो

वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में युवा आध्यात्मिक समिट का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य युवाओं को नशा, असंयम और दिशाहीनता से बचाकर राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरित करना है।

वाराणसी: आध्यात्मिकता की नगरी काशी एक बार फिर राष्ट्र निर्माण के लिए नई चेतना का केंद्र बनी, जहां रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में भारत सरकार द्वारा आयोजित ‘युवा आध्यात्मिक समिट’ का आयोजन हो रहा है। यह समिट 18 जुलाई से शुरू होकर 21 जुलाई तक चलेगी। इस आयोजन में देशभर से आए युवाओं, समाजसेवियों, आध्यात्मिक गुरुओं और जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिसमें राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य सत्येंद्र बारी भी शामिल थे।

न्यूज रिपोर्ट से बातचीत में सत्येंद्र बारी ने समिट की सराहना करते हुए कहा कि यह आयोजन आज के युवाओं को नशा, असंयम और दिशाहीनता से बचाने के लिए एक सशक्त मंच है। उन्होंने चिंता जताई कि “नशा युवाओं के जीवन को निगल रहा है, जिससे देश की रीढ़ कमजोर हो रही है। ऐसे समय में यह समिट एक मार्गदर्शक प्रकाश स्तंभ की तरह कार्य कर रही है, जो युवाओं को आत्मबोध, संयम और राष्ट्रसेवा के मार्ग पर प्रेरित करती है।”

इस चार दिवसीय युवा आध्यात्मिक समिट का उद्देश्य न केवल युवाओं को आध्यात्मिक मूल्यों से जोड़ना है, बल्कि उन्हें समाज के प्रति जिम्मेदार नागरिक बनाने का भी है। समिट में ध्यान, योग, सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ, वैदिक विज्ञान, आत्मचिंतन और युवा संवाद जैसे विविध सत्रों का आयोजन किया जा रहा है, जहां देश के प्रख्यात संतों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, चिंतकों और मनोवैज्ञानिकों ने युवा मन को संबोधित किया।

रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में हो रहे इस आयोजन का वातावरण पूरी तरह आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण रहा। देश के विभिन्न हिस्सों से आए युवाओं ने न केवल अपने अनुभव साझा किए, बल्कि विचारों का भी आदान-प्रदान हुआ। सत्येंद्र बारी ने इस दौरान युवाओं से सीधे संवाद कर उन्हें नशामुक्त जीवन अपनाने, सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक रहने और अपने भीतर की ऊर्जा को राष्ट्रहित में लगाने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा, “देश को मजबूत बनाने के लिए जरूरी है कि हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को सिर्फ शिक्षा ही नहीं, बल्कि जीवन के मूल्यों की भी शिक्षा दें। आध्यात्मिकता कोई संकीर्ण धार्मिक भावना नहीं, बल्कि जीवन को संतुलित और उद्देश्यपूर्ण बनाने की जीवनशैली है।”

गौरतलब है कि यह समिट पिछले कुछ वर्षों से युवा कल्याण मंत्रालय और विभिन्न आध्यात्मिक संस्थाओं के सहयोग से आयोजित की जाती रही है, पर इस बार इसका स्वरूप और प्रभाव पहले की अपेक्षा कहीं अधिक व्यापक और प्रभावशाली रहा है। समिट के आयोजकों का मानना है कि भारत यदि फिर से विश्वगुरु बनना चाहता है तो उसे अपनी युवा शक्ति को दिशा देनी ही होगी। और यह दिशा आध्यात्मिक जागरण से होकर जाती है।

इस समिट के माध्यम से काशी एक बार फिर अपने पारंपरिक और सांस्कृतिक वैभव के साथ आधुनिक युवाओं को एक नई प्रेरणा देने वाला केंद्र बन गया है। सत्येंद्र बारी जैसे जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी ने इस आयोजन को और अधिक प्रभावशाली बना दिया। समिट के समापन सत्र में युवाओं द्वारा प्रस्तुत साझा संकल्प "नशा मुक्त भारत, हमारा संकल्प" ने इस आयोजन को न केवल यादगार, बल्कि दिशा देने वाला ऐतिहासिक क्षण बना दिया।

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