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आगरा में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ा, प्रमुख इलाकों में एक्यूआई बेहद खराब श्रेणी में पहुंचा

आगरा में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ा, प्रमुख इलाकों में एक्यूआई बेहद खराब श्रेणी में पहुंचा

आगरा में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार चिंताजनक बना हुआ है, कई प्रमुख इलाकों में एक्यूआई 'बेहद खराब' श्रेणी में दर्ज किया गया है।

आगरा में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है और अब स्थिति चिंताजनक हो गई है। शहर के कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बेहद खराब स्तर पर पहुंच गया है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ रहा है। ताजमहल के आसपास, संजय प्लेस, बाग फरजाना, आगरा फोर्ट रेलवे स्टेशन और हाथी घाट जैसे प्रमुख इलाकों में हवा में प्रदूषक तत्वों की मात्रा खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है। हवा में मौजूद सूक्ष्म कण PM2.5 और PM10 की मात्रा में हुई वृद्धि के कारण सांस संबंधी दिक्कतें और अन्य बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ा है।

शहर में सोमवार और मंगलवार को हुई हल्की बूंदाबांदी के बाद कुछ समय के लिए वायु गुणवत्ता में सुधार जरूर देखा गया था, लेकिन जल्द ही हालात फिर बिगड़ गए। आगरा स्मार्ट सिटी के सेंसरों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार शहर के आठ प्रमुख स्थानों पर वायु गुणवत्ता बहुत खराब रही जबकि दस अन्य स्थानों पर हवा की गुणवत्ता खराब श्रेणी में दर्ज की गई। बाग फरजाना, कलाकृति और आगरा फोर्ट स्टेशन के आसपास प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक पाया गया, जहां हवा में घुला धुआं और धूल का असर स्पष्ट रूप से महसूस किया जा सकता है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक संजय प्लेस, मनोहरपुर, शास्त्रीपुरम, सेक्टर तीन-बी आवास विकास कालोनी, रोहता और शाहजहां गार्डन स्थित मॉनिटरिंग स्टेशनों पर प्रदूषण के अलग-अलग स्तर दर्ज किए गए। संजय प्लेस और शास्त्रीपुरम में हवा की गुणवत्ता मध्यम स्तर पर रही, जबकि बाकी जगहों पर यह संतोषजनक बताई गई। हालांकि स्मार्ट सिटी के सेंसरों ने वास्तविक स्थिति को अधिक गंभीर बताया है, जो सीपीसीबी के आंकड़ों की तुलना में ज्यादा खराब दिखाई दी।

ईदगाह चौराहा, श्मशान घाट, सदर भट्टी, छीपीटोला चौराहा, संजय टॉकीज, अर्जुन नगर तिराहा, मुतविर मस्जिद, नामनेर चौराहा और आईएसबीटी जैसे स्थानों पर भी वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी में दर्ज की गई है। इन क्षेत्रों में सुबह और शाम के समय धूल, वाहन धुआं और कचरा जलाने से निकलने वाले धुएं का प्रभाव अधिक दिखाई देता है।डॉक्टरों ने शहरवासियों को चेतावनी दी है कि इस मौसम में बाहर निकलते समय विशेष सावधानी बरतें। फेफड़ों की बीमारियों, अस्थमा और हृदय रोग से पीड़ित लोगों को मास्क पहनने और प्रदूषण के समय घर से बाहर निकलने से बचने की सलाह दी गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि खुले में कचरा जलाने, अत्यधिक वाहन उपयोग और निर्माण स्थलों से निकलने वाली धूल इस बढ़ते प्रदूषण के मुख्य कारण हैं।

नगर निगम और प्रशासन ने प्रदूषण कम करने के लिए कई उपाय शुरू किए हैं, जिनमें सड़क किनारे पानी का छिड़काव, खुले में कचरा जलाने पर रोक और औद्योगिक क्षेत्रों की निगरानी शामिल है। हालांकि इन प्रयासों का असर अभी सीमित दिखाई दे रहा है। लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रशासन जागरूकता अभियान चलाने की योजना भी बना रहा है।

आगरा, जो ताजमहल जैसी विश्व धरोहर के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध है, वहां की बिगड़ती वायु गुणवत्ता न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि पर्यटन के लिए भी एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि प्रदूषण नियंत्रण के सख्त कदम जल्द नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में शहर की स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।

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