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वाराणसी: सुशासन दिवस पर रामनगर में गूंजा भारत रत्न अटल के त्याग और तपस्या का इतिहास

वाराणसी: सुशासन दिवस पर रामनगर में गूंजा भारत रत्न अटल के त्याग और तपस्या का इतिहास

वाराणसी के रामनगर में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती सुशासन दिवस के रूप में मनाई गई, जहाँ उनके आदर्शों को याद किया गया।

वाराणसी(रामनगर): भारतीय राजनीति के पुरोधा, शब्दों के जादूगर और सुशासन के पर्याय माने जाने वाले भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती आज वाराणसी के रामनगर में पूरी भव्यता और वैचारिक गहराई के साथ मनाई गई। गुरुवार की सुबह 11 बजे, रामनगर के भीटी ग्राम सभा स्थित पंचवटी मैदान का आदिशक्ति स्थल उस समय देशभक्ति और श्रद्धा के भाव से सराबोर हो गया, जब पूर्व मंडल अध्यक्ष अजय प्रताप सिंह के नेतृत्व में क्षेत्र के गणमान्य नागरिकों और कार्यकर्ताओं ने 'सुशासन दिवस' के रूप में अटल जी को याद किया। यह कार्यक्रम केवल एक औपचारिकता न होकर राष्ट्र निर्माण के प्रति संकल्प लेने का एक पवित्र अनुष्ठान बन गया, जहाँ उपस्थित जनसमूह ने अटल जी के दिखाए मार्ग पर चलने की शपथ ली।

कार्यक्रम का शुभारंभ अटल जी के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इस अवसर पर मुख्य वक्ता और कार्यक्रम के आयोजक पूर्व मंडल अध्यक्ष अजय प्रताप सिंह ने अपने ओजस्वी संबोधन में अटल बिहारी वाजपेयी जी के विराट व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अटल जी भारतीय लोकतंत्र के वो ध्रुव तारा थे, जिन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में कभी भी मूल्यों से समझौता नहीं किया। अजय प्रताप सिंह ने जोर देते हुए कहा कि अटल जी ने अपने कुशल नेतृत्व और दूरदर्शी नीतियों से न केवल भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाया, बल्कि पोखरण से लेकर कारगिल तक, और स्वर्णिम चतुर्भुज योजना से लेकर अंत्योदय तक, विकास की एक ऐसी गाथा लिखी जो आज भी सुशासन का मानक है। उन्होंने याद दिलाया कि अटल जी के कार्यकाल में पारदर्शिता, जवाबदेही और जन-कल्याण को ही सत्ता का मूल मंत्र माना गया था, और आज हमें उसी ‘सुशासन’ को अपने जीवन और कार्यशैली में उतारने की आवश्यकता है।

सभा में उपस्थित वक्ताओं ने अटल जी के बहुआयामी व्यक्तित्व को याद करते हुए कहा कि वे केवल एक सफल राजनेता ही नहीं, बल्कि एक बेहद संवेदनशील कवि और प्रखर वक्ता भी थे। उनकी कविताएँ हार न मानने की जिजीविषा और राष्ट्रप्रेम का अलख जगाती थीं। वक्ताओं ने चर्चा की कि कैसे विरोधी भी उनकी वाकपटुता और संसद में उनके द्वारा रखे गए तर्कों का सम्मान करते थे। कार्यक्रम के दौरान माहौल उस समय भावुक हो गया जब वक्ताओं ने अटल जी की उन पंक्तियों को याद किया जो हर भारतीय को विपरीत परिस्थितियों में भी डटे रहने की प्रेरणा देती हैं। इस दौरान यह बात भी प्रमुखता से उभरी कि उनका जीवन आज की युवा पीढ़ी के लिए एक खुली किताब की तरह है, जिससे सीख लेकर राष्ट्र को परम वैभव तक पहुँचाया जा सकता है।

कार्यक्रम के समापन सत्र में उपस्थित सभी लोगों ने सामूहिक रूप से प्रशासनिक सुधारों, जनसेवा, ईमानदारी और राष्ट्रहित के प्रति समर्पण का संकल्प लिया। आदिशक्ति स्थल पर गूंजते नारों के बीच यह तय किया गया कि अटल जी के सुशासन के मंत्र को जन-जन तक पहुँचाया जाएगा।

इस भव्य आयोजन में प्रमुख रूप से महानगर उपाध्यक्ष किसान मोर्चा सुनील श्रीवास्तव और मंत्री सुनील सिंह ने भी अपने विचार रखे। इनके अलावा पंकज बारी, मंजय पाल, पवन सिंह, ललित सिंह, गणेश, सुरेंद्र नारायण श्रीवास्तव, विनय श्रीवास्तव, ऋषभ श्रीवास्तव, जुगनू भारती, शिवम तिवारी और विनोद गुप्ता सहित बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक और कार्यकर्ता उपस्थित रहे। सभी ने नम आँखों और गर्व से भरे सीने के साथ भारत माँ के इस सच्चे सपूत को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

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