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आगरा में जमीन कब्जाने वाले गिरोह पर आरोप पत्र दाखिल, फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार

आगरा में जमीन कब्जाने वाले गिरोह पर आरोप पत्र दाखिल, फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार

आगरा में बेशकीमती जमीनें कब्जाने वाले गिरोह के खिलाफ पुलिस ने आठों मुकदमों में आरोप पत्र दाखिल किए, फोरेंसिक रिपोर्ट अहम।

आगरा: बेशकीमती जमीनों को फर्जी बैनामों के सहारे कब्जाने वाले गिरोह के खिलाफ दर्ज सभी आठ मुकदमों में पुलिस ने आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल कर दिया है। कई महीनों से चल रही जांच अब उस दौर में पहुंच चुकी है जहां फोरेंसिक रिपोर्ट सबसे अहम कड़ी बन गई है। पुलिस को उम्मीद है कि फोरेंसिक लैब में भेजे गए दस्तावेजों की रिपोर्ट इस पूरे फर्जीवाड़े को साबित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इन मुकदमों में चित्र सिंह का नाम प्रमुखता से सामने आया है और कुल मिलाकर 28 से अधिक लोगों को आरोपित बनाया गया है। यह पूरा मामला उस समय उजागर हुआ जब इस वर्ष जनवरी में प्रशासन को शहर की कुछ ऊंची कीमत वाली जमीनों के दस्तावेजों में अनियमितताओं का संदेह हुआ।

प्रशासनिक जांच के दौरान यह सामने आया कि गिरोह ने रिकार्ड रूम के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से जिल्दबही में रखे असली बैनामों को गायब करवा दिया था और उनकी जगह फर्जी दस्तावेज चस्पा करवा दिए थे। दस्तावेजों की इसी अदला बदली के सहारे गिरोह ने शहर की कई महत्वपूर्ण जमीनों पर अवैध कब्जा करने की कोशिश की। जैसे ही यह पूरा मामला सामने आया, शाहगंज थाने में 11 लोगों के खिलाफ कूटरचित प्रपत्र तैयार करने और धोखाधड़ी की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। इसके बाद गठित एसआइटी ने जांच शुरू की और जमीन कब्जाने से जुड़े आठ अलग मुकदमे दर्ज किए गए।

जांच में यह भी साफ हुआ कि इस नेटवर्क के मुख्य कर्ताधर्ता प्रशांत शर्मा और अजय सिसौदिया थे जिन्होंने तहसील में काम करने वाले चित्र सिंह समेत कुछ अन्य लोगों की मदद से यह पूरा खेल चलाया। दस्तावेजों की उपलब्धता, रिकॉर्ड रूम तक पहुंच और वहां जिल्दबही में बदलाव करने की सुविधा इन्हीं लोगों के जरिए संभव हुई। पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल करते समय बताया कि दस्तावेजों की फोरेंसिक जांच रिपोर्ट आने के बाद आरोपियों की भूमिका और भी स्पष्ट हो जाएगी और अदालत में इन साक्ष्यों की महत्ता बढ़ेगी।

अपर पुलिस उपायुक्त सिटी आदित्य ने बताया कि फोरेंसिक रिपोर्ट इस मामले में महत्वपूर्ण साक्ष्य साबित होगी क्योंकि इसी के आधार पर यह स्थापित किया जा सकेगा कि दस्तावेजों में की गई छेड़छाड़ योजनाबद्ध तरीके से की गई थी। उन्होंने कहा कि पुलिस आगे भी इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की भूमिका की जांच कर रही है ताकि पता लगाया जा सके कि इस गिरोह ने कितने समय से और किन किन स्थानों पर इस तरह की जालसाजी की है।

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