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आगरा में पत्नी की साजिश, पति पर बेटी से दुष्कर्म का झूठा आरोप

आगरा में पत्नी की साजिश, पति पर बेटी से दुष्कर्म का झूठा आरोप

आगरा में एक महिला ने पति पर बेटी से दुष्कर्म का झूठा आरोप लगाकर जेल भिजवाया, बेटी ने सच्चाई बताई तो पति रिहा हुआ और महिला पर जांच के आदेश हुए।

आगरा में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहां एक महिला ने अपने ही पति पर बेटी से दुष्कर्म का झूठा आरोप लगाकर उसे जेल भिजवा दिया। इस साजिश के पीछे महिला की मंशा पति से पैसे ऐंठने की थी। लेकिन कहानी में मोड़ तब आया जब उसकी नाबालिग बेटी ने खुद थाने पहुंचकर सच्चाई उजागर कर दी और अदालत में अपने पहले दिए गए बयान से पलट गई। बेटी ने बताया कि उसकी मां ने उस पर झूठे आरोप लगाने का दबाव बनाया था। अदालत ने महिला के पति को निर्दोष पाते हुए जेल से रिहा कर दिया और अब महिला के खिलाफ जांच के आदेश जारी किए हैं।

मामला ट्रांस यमुना क्षेत्र का है जहां रहने वाले एक राजमिस्त्री ने बताया कि उसकी मुलाकात करीब पांच वर्ष पहले फिरोजाबाद के नारखी निवासी एक महिला से हुई थी। राजमिस्त्री भी मूल रूप से फिरोजाबाद के पचोखरा इलाके का रहने वाला है। महिला की पहले शादी हो चुकी थी और उससे दो बेटियां और एक बेटा था। दोनों के बीच प्रेम संबंध विकसित हुए और उन्होंने कोर्ट मैरिज कर ली। इसके बाद वे ट्रांस यमुना क्षेत्र में किराए के मकान में अपने बच्चों के साथ रहने लगे। पति ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए एक वर्ष पहले अपनी पत्नी की बड़ी बेटी की शादी भी कराई।

राजमिस्त्री का आरोप है कि बड़ी बेटी की शादी के बाद पत्नी का व्यवहार बदल गया और उसने साजिश रचनी शुरू कर दी। सात अक्टूबर को महिला ने कहा कि वह अपनी बहन के घर किसी कार्यक्रम में जा रही है, लेकिन वह वहां न जाकर अपने पूर्व पति के पास पहुंची। दोनों ने राजमिस्त्री से पैसे ऐंठने की योजना बनाई। इस साजिश के तहत महिला गुपचुप अपने घर लौटी और नाबालिग बेटी को कार में बैठाकर ले गई। फिर बेटी को धमकाकर पिता पर दुष्कर्म का झूठा आरोप लगाने के लिए मजबूर किया गया।

इसके बाद महिला ने फिरोजाबाद के नारखी थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें पिता पर पाक्सो एक्ट, मारपीट और दुष्कर्म जैसी गंभीर धाराओं में आरोप लगाया गया। पुलिस ने बिना देर किए जीरो एफआईआर दर्ज की और 17 अक्टूबर को आरोपी पिता को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

लेकिन सच्चाई तब सामने आई जब नाबालिग बेटी ने मां की गिरफ्त से भागकर 27 अक्टूबर को थाने में जाकर पूरी कहानी बताई। उसने कहा कि उसकी मां ने उसे धमकाकर झूठ बोलने को कहा था। बेटी ने पुलिस को बताया कि उसके पिता निर्दोष हैं और उन्होंने उसके साथ कभी गलत व्यवहार नहीं किया। मेडिकल रिपोर्ट में भी किसी प्रकार के दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई थी।

28 अक्टूबर को न्यायालय में बयान दर्ज कराने के दौरान जब बेटी ने अपने पिता को देखा तो फूट-फूटकर रो पड़ी और अदालत के सामने पूरी सच्चाई रख दी। उसने स्पष्ट रूप से कहा कि मां के दबाव में आकर उसने झूठा बयान दिया था। न्यायालय ने नाबालिग के बयान और मेडिकल रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए महिला के पति को बरी करने का आदेश दिया और उसी दिन उसे जेल से रिहा कर दिया गया।

थानाध्यक्ष रोहित कुमार ने बताया कि प्रारंभिक जांच के दौरान आरोप गंभीर प्रतीत हो रहे थे, इसलिए आरोपी को जेल भेजा गया था। लेकिन बाद की विवेचना में यह स्पष्ट हुआ कि आरोप झूठे थे। एसएसआई सत्यपाल सिंह नागर द्वारा की गई जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर न्यायालय ने 12 दिन बाद आरोपी की रिहाई का आदेश दिया। अब पुलिस ने महिला के खिलाफ जांच शुरू कर दी है और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।

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