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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भाषण पर घमासान, अमिताभ ठाकुर ने की FIR दर्ज करने की मांग

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भाषण पर घमासान, अमिताभ ठाकुर ने की FIR दर्ज करने की मांग

पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के वाराणसी में दिए गए भाषण पर आपत्ति जताते हुए, लखनऊ के गोमतीनगर थाने में एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति में उस समय नई हलचल मच गई जब आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हालिया वाराणसी भाषण पर आपत्ति जताते हुए एफआईआर दर्ज कराने की मांग की। उन्होंने शुक्रवार को गोमतीनगर, लखनऊ के थाने में एक औपचारिक शिकायत पत्र जनसुनवाई पोर्टल के माध्यम से भेजा और मुख्यमंत्री पर गंभीर धाराओं के तहत आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की।

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शिकायत में अमिताभ ठाकुर ने आरोप लगाया है कि योगी आदित्यनाथ द्वारा वाराणसी के बसंत महिला महाविद्यालय में दिए गए भाषण और उस भाषण के चुनिंदा हिस्सों, जिन्हें मुख्यमंत्री के यूट्यूब चैनल और सोशल मीडिया (एक्स) अकाउंट पर साझा किया गया है, में कुछ ऐसे कथन हैं जो भारतीय न्याय संहिता की धारा 196, 197, 299 और 302 के तहत प्रथम दृष्टया आपराधिक कृत्य प्रतीत होते हैं। उन्होंने कहा कि इन बयानों में सामाजिक विभाजन और वर्गीय वैमनस्य को भड़काने का तत्व स्पष्ट रूप से मौजूद है।

अमिताभ ठाकुर ने इस संदर्भ में अपने शिकायत पत्र की प्रतिलिपि उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, डीजीपी, लखनऊ पुलिस कमिश्नर और वाराणसी पुलिस कमिश्नर को भी भेजी है, ताकि संबंधित प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों द्वारा समुचित विधिक कार्रवाई की जा सके। उन्होंने कहा कि एक जनप्रतिनिधि, विशेषकर पांच बार के सांसद और दो बार के मुख्यमंत्री जैसे संवैधानिक पद पर रह चुके व्यक्ति से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपने शब्दों और सार्वजनिक वक्तव्यों में पूरी जिम्मेदारी और संयम का पालन करें।

उन्होंने जोर देकर कहा कि योगी आदित्यनाथ के स्तर से दिया गया यह भाषण केवल संवैधानिक मर्यादा का उल्लंघन ही नहीं, बल्कि सामाजिक ताने-बाने को भी प्रभावित कर सकता है। उन्होंने इसे जनहित से जुड़ा गंभीर मामला बताते हुए तत्काल एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्यवाही शुरू करने की मांग की है।

यह प्रकरण इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि अमिताभ ठाकुर स्वयं एक पूर्व आईपीएस अधिकारी रहे हैं और प्रशासनिक प्रक्रिया तथा विधिक प्रावधानों की गहरी समझ रखते हैं। वर्ष 2021 में जबरन सेवा निवृत्ति दिए जाने के बाद उन्होंने सामाजिक मुद्दों पर मुखर भूमिका निभाई है और आजाद अधिकार सेना की स्थापना कर राज्य में सक्रिय राजनीति की राह पकड़ी है।

इस शिकायत के सामने आने के बाद राजनीतिक हलकों में सरगर्मी बढ़ गई है। सत्ताधारी दल की ओर से अभी तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को हाथों-हाथ लेते हुए मुख्यमंत्री के बयानों की आलोचना शुरू कर दी है।

अब देखना होगा कि पुलिस इस शिकायत पर क्या रुख अपनाती है और प्रशासनिक स्तर पर क्या कार्रवाई होती है। परंतु यह स्पष्ट है कि अमिताभ ठाकुर द्वारा की गई यह शिकायत न सिर्फ कानूनी, बल्कि राजनीतिक स्तर पर भी आने वाले दिनों में बहस का बड़ा विषय बन सकती है।

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