अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद बढ़ी सुरक्षा चुनौती, आतंकी साजिशों का खतरा

राम मंदिर निर्माण के बाद अयोध्या में सुरक्षा एजेंसियां आतंकी धमकियों से चिंतित हैं, दिल्ली धमाके से चिंता बढ़ी।

Fri, 14 Nov 2025 12:43:12 - By : Palak Yadav

अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद से सुरक्षा एजेंसियों के सामने सबसे गंभीर चुनौती लगातार मिल रही धमकियों और आतंकी षडयंत्रों से निपटना बन गई है। सुप्रीम कोर्ट के नवंबर 2019 के फैसले के बाद इस पूरे मामले का स्वरूप सिर्फ धार्मिक या राजनीतिक नहीं रहा, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय बन गया है। पुलिस के अभिलेख बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई मामले दर्ज हुए हैं जिनमें मंदिर को नुकसान पहुंचाने और उसकी जगह फिर से पुराने ढांचे का निर्माण कराने की मंशा से धमकी दी गई। यह स्थिति बार बार राम नगरी को असहज करती रही है और सुरक्षा एजेंसियों को उच्च अलर्ट पर रहने के लिए मजबूर करती है।

दिल्ली में हुए हालिया धमाके का कथित तौर पर पुराने विवाद से संबंध सामने आने के बाद अयोध्या में चिंता और बढ़ गई है, खासकर इसलिए क्योंकि कुछ ही दिनों में मंदिर परिसर में ध्वजारोहण का कार्यक्रम प्रस्तावित है जिसमें प्रधानमंत्री के शामिल होने की संभावना है। छह दिसंबर को आने वाली बरसी को देखते हुए खुफिया एजेंसियों ने पहले ही संकेत दिए थे कि आतंकी समूह इस अवधि के आसपास किसी बड़ी वारदात की साजिश कर सकते हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने माना है कि अगर समय रहते सतर्कता न बरती जाती तो राम नगरी भी संभावित निशाने पर हो सकती थी।

पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार पिछले वर्षों में राम जन्मभूमि ट्रस्ट को कई बार धमकी भरे संदेश मिले। अप्रैल में ट्रस्ट की आधिकारिक मेल आईडी पर एक संदेश भेजा गया जिसमें मंदिर परिसर को निशाना बनाने की बात कही गई थी। इसकी प्राथमिकी साइबर क्राइम थाना में दर्ज कर जांच शुरू की गई, लेकिन आठ माह बीतने के बाद भी यह पता नहीं चल सका कि संदेश कहां से भेजा गया था। अगस्त 2024 में ट्रस्ट के हेल्पडेस्क नंबर पर भी एक धमकी मिली थी। जांच में इसका कनेक्शन भागलपुर तक पहुंचा और पुलिस ने वहां से दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन उनके पीछे कौन लोग सक्रिय थे यह अब तक स्पष्ट नहीं हो सका। फरवरी 2023 में मंदिर से जुड़े एक स्थानीय व्यक्ति के मोबाइल पर भी धमकी आई थी जिसकी जांच अब भी जारी है। इन मामलों ने प्रशासन को यह समझा दिया है कि यह कोई अकेला प्रयास नहीं, बल्कि समय समय पर दोहराई जाने वाली संगठित रणनीति का हिस्सा है।

इसी अवधि में कई अंतरराष्ट्रीय और देश विरोधी समूहों की भूमिका भी सामने आई है। अल कायदा और जैश ए मोहम्मद जैसे संगठन कई बार ऐसे बयान जारी कर चुके हैं जिनमें अयोध्या से जुड़ी घटनाओं का उल्लेख रहा है। दो वर्ष पहले एक अंतरराष्ट्रीय जिहादी समूह ने अपनी पत्रिका में यह दावा किया था कि वह मंदिर को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा। पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के नेटवर्क की जांच में भी यह बात सामने आई कि उसका एजेंडा अयोध्या को रणनीतिक नजरिए से इस्तेमाल करने का था और इस दिशा में उसने कुछ स्थानीय व्यक्तियों को सक्रिय करने की कोशिश भी की थी। वर्ष 2018 में एक आतंकी संगठन के प्रमुख का कथित ऑडियो सामने आया था जिसमें राम मंदिर निर्माण पर बड़े स्तर पर हिंसा की धमकी दी गई थी।

अयोध्या इससे पहले भी आतंकी गतिविधियों का सामना कर चुकी है। पांच जुलाई 2005 को राम जन्मभूमि परिसर पर हमला हुआ था जिसमें सुरक्षा बलों ने सभी आतंकियों को ढेर कर दिया था। वर्ष 2007 में कचहरी परिसर में हुए सीरियल ब्लास्ट ने भी शहर को गहरी चोट दी थी। इन घटनाओं के बाद से सुरक्षा व्यवस्था लगातार मजबूत की जाती रही है। आधुनिक निगरानी तकनीक, बम निरोधक दस्तों की तैनाती, अंतरराज्यीय समन्वय और खुफिया तंत्र की सक्रियता ने संभावित खतरों को समय रहते रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अयोध्या से जुड़ी धमकियां सिर्फ सुरक्षा का मुद्दा नहीं हैं, बल्कि यह सामाजिक सौहार्द, धार्मिक सद्भाव और संवैधानिक व्यवस्था की परीक्षा भी हैं। प्रशासन और पुलिस यह सुनिश्चित करने में लगे हैं कि किसी भी कार्यक्रम में बाधा न आए और राम नगरी अपनी परंपरागत शांति बनाए रख सके। ध्वजारोहण कार्यक्रम से पहले मंदिर परिसर में सुरक्षा की और अधिक परतें जोड़ी जाएंगी और सभी संवेदनशील क्षेत्रों में सतर्कता बढ़ाई जाएगी ताकि किसी प्रकार की चूक न हो।

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