Thu, 13 Nov 2025 13:43:14 - By : Palak Yadav
लखनऊ में आयोजित जनजाति भागीदारी उत्सव में बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनजाति समाज की संस्कृति, परंपरा और योगदान को सम्मान देने के उद्देश्य से कार्यक्रम का औपचारिक शुभारंभ किया। इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में हुए इस आयोजन में उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि एक से पंद्रह नवंबर तक मनाया जा रहा जनजाति गौरव पखवाड़ा पूरे देश में जनजाति समुदाय की विरासत को सामने लाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह उत्सव न केवल जनजाति समाज की सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का मंच है बल्कि इसके जरिए यह संदेश भी दिया जा रहा है कि समाज का हर वर्ग राष्ट्र की मुख्य धारा में समान रूप से शामिल है। इस कार्यक्रम में देश के बाईस राज्यों से आए कलाकार अपनी लोककलाओं और परंपरागत प्रस्तुतियों के साथ हिस्सा ले रहे हैं। अरुणाचल प्रदेश इस वर्ष का पार्टनर राज्य है और इसके कलाकारों ने भी उत्सव में अपनी समृद्ध सांस्कृतिक पहचान का प्रदर्शन किया। उत्सव में हस्तशिल्प प्रदर्शनी, कला प्रदर्शनी और पारंपरिक व्यंजनों का मेला भी लगाया गया है जिससे आगंतुकों को जनजाति समुदाय की विविधतापूर्ण जीवन शैली और परंपराओं को करीब से समझने का अवसर मिल रहा है।
मुख्यमंत्री योगी ने अपने संबोधन में कहा कि यह वर्ष भारत के इतिहास में कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। सरदार पटेल की एक सौ पचासवीं जयंती के साथ ही यह वर्ष भगवान बिरसा मुंडा के एक सौ पचास वर्ष पूरे होने का भी समय है। यही नहीं, राष्ट्रगीत वंदे मातरम को भी इस वर्ष एक सौ पचास वर्ष पूरे हुए हैं। उन्होंने कहा कि ये सभी अवसर हमें अपनी जड़ों और अपनी राष्ट्रीय एकता की भावना को फिर से मजबूत करने का अवसर देते हैं क्योंकि स्वाधीनता से लेकर संविधान तक हर चरण में जनजाति समाज ने अपना योगदान दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा ने अपने जीवन में इस मूल विचार को आगे बढ़ाया कि देश हमारा है और इसका शासन भी हमारा होना चाहिए। ब्रिटिश शासन के विरोध में उनके आंदोलन ने जनजाति समाज को स्वतंत्रता के संघर्ष में एक नई दिशा दी। रांची की जेल में उनकी पच्चीस वर्ष की आयु में हुई मृत्यु आज भी देश के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से पूरे देश में जनजाति गौरव पखवाड़ा मनाया जा रहा है ताकि जनजाति समाज की परंपराओं और संस्कृति को सही स्थान मिल सके। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में जनजाति समाज की जनसंख्या भले ही कुल आबादी की तुलना में कम है लेकिन सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि उनके लिए आरक्षित पद अब खाली न रहें। पहले पुलिस भर्ती सहित कई विभागों में जनजाति वर्ग की सीटें भर नहीं पाती थीं लेकिन अब सभी पद भरे गए हैं। यह दर्शाता है कि शिक्षा और सरकारी सेवाओं में उनकी भागीदारी लगातार बढ़ रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने प्रदेश में रहने वाले सभी जनजाति समुदायों के अधिकार सुरक्षित करने और उन्हें सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ दिलाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए थारू, मुसहर, चेरो, कोल और गौड़ सहित अन्य समुदायों को आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य बुनियादी सुविधाओं के लिए चलाए जा रहे अभियानों से जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश की ज्यादातर जनजाति जातियां उन सुविधाओं का उपयोग कर रही हैं जो पहले तक केवल सीमित वर्ग तक पहुंच पाती थीं। सरकार की कोशिश है कि कोई भी समुदाय मुख्य धारा से दूर न रह जाए और जनजाति समाज की पहचान और उपलब्धियों को राष्ट्रीय स्तर पर उचित सम्मान मिले। आयोजन में मौजूद दर्शकों ने भी जनजाति कलाकारों की प्रस्तुतियों और प्रदर्शनी में दिखाई गई कला को खूब सराहा और पूरे दिन कार्यक्रम के दौरान उत्साह बना रहा।