Tue, 24 Jun 2025 20:22:32 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
कानपुर: कभी मां की ममता की मिसालें दी जाती थीं, कहा जाता था कि भगवान हर जगह नहीं हो सकते, इसलिए उन्होंने मां को बनाया। लेकिन अब एक ऐसा समय सामने आ गया है, जहां वही मां अपने ही बेटे के हाथों असहाय होकर दम तोड़ रही है। और यह कोई कहानी या कल्पना नहीं, बल्कि हकीकत है। एक जीवित, कांपती और सिसकती हकीकत, जो उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में रावतपुर इलाके में मंगलवार को घटी।
एक बेटे ने अपनी मां की उसी दुपट्टे से गला घोंटकर हत्या कर दी, जिसे कभी मां ने प्यार से उसके कंधों पर रखा होगा। यह कहानी मां और बेटे के रिश्ते की नहीं, उस रिश्ते के दरकने की है । जहां इंसानियत भी शर्मसार हो गई।
मामूली झगड़ा बना हत्या की वजह
परिवार सामान्य मध्यमवर्गीय है। पिता सुभाष सचान मार्केटिंग की नौकरी करते हैं और काम के सिलसिले में अक्सर शहर से बाहर रहते हैं। इस समय भी वे बरेली में थे। घर में पत्नी उर्मिला सचान थीं, और उनके दो बेटे बड़ा बेटा सत्यम (12वीं कक्षा का छात्र) और छोटा बेटा अमन (11वीं का छात्र)। दोनों आर्मापुर स्थित केंद्रीय विद्यालय-2 में पढ़ते हैं।
मंगलवार सुबह सत्यम स्कूल नहीं गया, जबकि अमन रोज़ की तरह स्कूल के लिए निकला। घर के छोटे-छोटे कामों को लेकर हर दिन की तरह उस दिन भी बंटवारा हुआ था। अमन की जिम्मेदारी बर्तन साफ करने की थी और सत्यम को झाड़ू लगानी थी। लेकिन अमन देर हो रहा था, इसलिए वह बिना बर्तन धोए ही निकल गया।
जब मां उर्मिला ने सत्यम से कहा कि वो बर्तन साफ कर दे, तो वह भड़क गया। झगड़ा हुआ, आवाजें ऊंची हुईं, और उसी क्षण का क्रोध वह पाशविक बन गया। एक झटके में उसने अपनी मां का दुपट्टा लिया और कसकर उनका गला दबा दिया। मां की चीखें, संघर्ष, आंखों में उठती विनती।सब कुछ उस बेटे के सामने हुआ, जिसे कभी मां ने अपने सीने से लगाकर सुलाया था।
मौत के बाद भी नहीं रुका बेटा, शव को छिपा दिया
हत्या के बाद सत्यम डर गया। उसे लगा कि मां की हालत देखकर कोई उसे दोषी ठहराएगा। ऐसे में उसने मां की लाश को बेड के बॉक्स में भर दिया, बाहर से कपड़े डाल दिए और घर में सामान्य व्यवहार करने की कोशिश करता रहा। लेकिन घर में पसरा सन्नाटा बोलने लगा था। दीवारें भी रो रही थीं।
दोपहर तीन बजे के आसपास अमन स्कूल से लौटा। घर में मां नहीं दिखीं तो उसने इधर-उधर देखा। किसी को कुछ पता नहीं था। जब वह मां के कमरे में गया तो बेड के किनारे से दुपट्टे का सिरा बाहर निकला दिखा। शक हुआ। बेड खोला तो मां बेहोश पड़ी थीं। सांसें धीमी थीं, आंखें आधी खुली हुईं, होंठ नीले पड़ चुके थे।
भाई ने बताया पूरी वारदात, मामा और पुलिस को दी सूचना
अमन की दुनिया जैसे थम गई। वह रोते हुए अपने मामा नंद किशोर कटियार के पास गया और पूरी घटना बताई। तुरंत पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस जब मौके पर पहुंची, तो महिला की धड़कनें अभी भी धीमी थीं। बिना देर किए उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद उन्होंने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
आरोपी बेटे की गिरफ्तारी और हैरान कर देने वाला कबूलनामा
पुलिस ने आरोपी सत्यम को मौके से ही हिरासत में ले लिया। पूछताछ में उसने जो कुछ कहा, उसने हर इंसान की आत्मा को झकझोर कर रख दिया। सत्यम ने कहा, “मां की नाक से खून निकल रहा था। मुझे लगा लोग मुझ पर शक करेंगे, इसलिए मैंने उनका गला घोंट दिया और बॉक्स में भर दिया।”
उसके इस कथन ने मानवता की अंतिम रेखा भी पार कर दी। यह कोई पूर्व नियोजित हत्या नहीं थी, पर जो हुआ, वह एक भावनात्मक, मानसिक और नैतिक पतन का प्रतीक था।
मां की ममता, बेटे की बेरहमी
इस घटना ने केवल एक मां की हत्या नहीं की, उसने मां-बेटे के रिश्ते की उस पवित्रता को भी छलनी कर दिया है, जिसे भारतीय संस्कृति सबसे ऊंचा दर्जा देती है। वह मां, जिसने सालों तक इस बेटे को अपने हाथों से खिलाया, पढ़ाया, नहलाया।उसी बेटे ने उसका गला उसी दुपट्टे से घोंट दिया, जिसे मां ने शायद कई बार प्यार से उस पर ओढ़ाया होगा। एक दुपट्टा, जो ममता का प्रतीक था। उसी का गवाह बना एक मां की दर्दनाक मौत का।
छोटे बेटे के आंसुओं में बह गई मासूमियत
इस त्रासदी का सबसे करुण पक्ष वह छोटा बेटा अमन है, जिसकी मासूमियत आज हमेशा के लिए छिन गई। उसने मां को अपनी आंखों के सामने आखिरी बार बेहोश देखा। उसी ने मां की ठंडी देह को बेड से बाहर निकाला। उसी ने अपने ही भाई की सच्चाई बताई। वह आज भी यह समझ नहीं पा रहा कि उसका बड़ा भाई कैसे एक पल में दरिंदा बन गया।