Tue, 18 Nov 2025 11:46:39 - By : Garima Mishra
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ एक बार फिर चर्चा में है। शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय के निरीक्षण को एक महीना बीत चुका है, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन अब भी बुनियादी सुधारों पर कोई ठोस कदम उठाने में असफल साबित हो रहा है। स्थिति इतनी गंभीर है कि जिस जिम के टूटे और खराब उपकरणों पर शिक्षा मंत्री ने कड़ी आपत्ति जताई थी, वह आज भी ज्यों का त्यों पड़ा है। छात्रों का कहना है कि निरीक्षण के बाद उम्मीद थी कि प्रशासन तेजी से कार्रवाई करेगा, लेकिन महीने भर में बदलाव के नाम पर कुछ भी नहीं किया गया। इस लापरवाही से नाराज होकर छात्रों ने सोमवार को विश्वविद्यालय परिसर में प्रदर्शन किया और अपनी बात जोरदार तरीके से रखी।
प्रदर्शन कर रहे छात्र नेता शिवम यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय की लापरवाही अब छात्रों के लिए असहनीय हो चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार लगातार विश्वविद्यालयों को संसाधन सुधारने के लिए धन उपलब्ध कराती है, लेकिन यहां उस धन का उपयोग सही जगह होने के बजाय भ्रष्टाचार में खप जाता है। उनका कहना था कि जिम में लगाए गए उपकरण इतने कमजोर और घटिया गुणवत्ता के हैं कि छात्रों को फिटनेस सुधारने के बजाय उनसे चोट लगने का खतरा ज्यादा रहता है। शिवम यादव ने बताया कि इस मुद्दे पर कई बार शिकायत की गई, लेकिन किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने इस दिशा में सुधार की पहल नहीं की।
छात्रों का यह भी कहना है कि जिम ही नहीं बल्कि विश्वविद्यालय के कई विभागों में संसाधनों की भारी कमी है। खेल मैदान, प्रयोगशालाएं और कक्षाएं भी खराब स्थिति में हैं। कई प्रयोगशालाओं में उपकरण पुराने और अनुपयोगी पड़े हुए हैं, जिस कारण छात्रों की नियमित पढ़ाई और प्रैक्टिकल कार्य प्रभावित हो रहे हैं। छात्रों ने कहा कि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ जैसे ऐतिहासिक और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में इस तरह की अव्यवस्था बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है और यह संस्थान की साख पर भी असर डालता है।
प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ नारे लगाए और मांग की कि जिम के उपकरणों को तुरंत हटाकर उच्च गुणवत्ता वाले नए उपकरण लगाए जाएं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भ्रष्टाचार में शामिल किसी भी अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई अधिकारी छात्रों के हितों से खिलवाड़ न कर सके। छात्रों ने चेतावनी दी कि यदि सुधार जल्द नहीं किए गए, तो वे अपना आंदोलन और अधिक तेज कर देंगे और आवश्यकता पड़ने पर कुलपति कार्यालय तक मार्च करेंगे। छात्रों ने स्पष्ट कहा कि यह आंदोलन केवल जिम या उपकरणों का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह विश्वविद्यालय की पूरी व्यवस्था को सुधारने के लिए है।