Thu, 27 Nov 2025 19:57:56 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कोडिनयुक्त कफ सिरप की अवैध बिक्री और तस्करी में सक्रिय एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश करते हुए लखनऊ एसटीएफ ने गुरुवार को वाराणसी मूल के आरोपी अमित सिंह टाटा को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार आरोपी के कब्जे से दो मोबाइल फोन, एक फॉर्च्यूनर कार (यूपी 65 एफएन 9777), आधार कार्ड, 4,500 रुपये नकद और मोबाइल में संग्रहीत कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए गए हैं। प्रारंभिक जांच में यह पूरा मामला कई राज्यों से जुड़ी व्यापक तस्करी, फर्जी फर्मों और करोड़ों के काले कारोबार की ओर इशारा करता है।
कई राज्यों में फैला हुआ था अवैध कारोबार, शासन ने बनाई थी विशेष जांच समिति
हाल के महीनों में सूचना मिल रही थी कि कोडिनयुक्त फेन्साडील और अन्य कफ सिरप का अवैध भंडारण उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, असम, पश्चिम बंगाल से लेकर बांग्लादेश तक लगातार बढ़ रहा है। यह भी सामने आया कि नशे के रूप में उपयोग किए जाने वाले इस कफ सिरप की पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में भारी मांग है। मामले की गंभीरता को देखते हुए उत्तर प्रदेश शासन ने एसटीएफ और खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रसाधन विभाग की संयुक्त जांच समिति गठित की थी।
पूछताछ में उजागर हुआ पूरा गिरोह, वाराणसी के शुभम जायसवाल और रांची-धनबाद कनेक्शन सामने
एसटीएफ की पूछताछ में अमित सिंह टाटा ने एक बड़े गिरोह का खुलासा किया। उसने बताया कि आजमगढ़ निवासी विकास सिंह के जरिए उसकी मुलाकात वाराणसी के कायस्थ टोला, प्रह्लाद घाट के शुभम जायसवाल से हुई। विकास ने बताया कि शुभम का रांची में ‘शैली ट्रेडर्स’ के नाम से कोडिनयुक्त फेन्साडील का बड़ा कारोबार चलता है।
लालच में आकर अमित सिंह ने इस गिरोह के साथ हाथ मिलाया। विकास सिंह की मध्यस्थता से शुभम और उसके साथियों ने जनवरी 2024 में धनबाद में अमित के नाम से ‘देवकृपा मेडिकल एजेंसी’ नामक फर्म खुलवाई, जबकि फर्म का पूरा लेन-देन शुभम और उसके पार्टनर संभालते थे। अमित ने इस व्यापार में 5 लाख रुपये निवेश किए और उसके बदले उसे लगभग 20–22 लाख रुपये लौटाए गए।
वाराणसी में ‘श्री मेडिकल’ के नाम से भी खुलवाई फर्म, नकद में होता था सारा लेन-देन
अमित ने बताया कि धनबाद की तरह ही वाराणसी में भी उसके नाम से ‘श्री मेडिकल’ नाम की फर्म खुलवाई गई। यहां भी दो–तीन महीनों तक फेन्साडील की सप्लाई कराई जाती रही। सारा भुगतान कैश में होता था, जिसे अमित अपनी पत्नी साक्षी सिंह के बैंक खाते में जमा कर देता था। उसने स्वीकार किया कि सिर्फ उसकी दोनों फर्मों के जरिए गिरोह ने एबॉट कंपनी के अधिकारियों की मिलीभगत से 100 करोड़ रुपये से अधिक का कफ सिरप खरीदा और फर्जी बिलिंग, जैसे नकली खरीद-बिक्री बिल, ई-वे बिल तैयार करके तस्करी में खपाया।
गिरोह के कई सदस्य गिरफ्तार, मास्टरमाइंड दुबई फरार
एसटीएफ की कार्रवाई केवल यहीं तक सीमित नहीं रही। गिरोह के कई अन्य सदस्यों गाजियाबाद और रांची से सौरभ त्यागी, विभोर राणा आदि, को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। लगातार दबाव के कारण गिरोह का मुख्य सरगना शुभम जायसवाल अपने परिवार और साझेदारों वरुण सिंह और गौरव जायसवाल के साथ दुबई भाग गया है। वह अब अपने गिरोह के लोगों से फेसटाइम एप के जरिए संपर्क में रहता है।
जांच में यह भी सामने आया कि शुभम और उसके पार्टनर कई अन्य लोगों के नाम पर भी फर्जी मेडिकल फर्में बनवाते थे। इन्हीं फर्मों के नाम पर कूटरचित बिलिंग और फर्जी ई-वे बिल तैयार कर कोडिनयुक्त फेन्साडील को तस्करों को बेचा जाता था। शुरुआती जांच में एबॉट कंपनी के कुछ अधिकारियों की भी संलिप्तता सामने आई है, जिसकी स्वतंत्र जांच जारी है।
अवैध कारोबार की जड़ तक पहुंचने की तैयारी
एसटीएफ अब गिरोह के वित्तीय लेन-देन, फर्जी फर्मों, तस्करी मार्गों और शामिल अधिकारियों की भूमिका को खंगाल रही है। जांच टीम को उम्मीद है कि गिरफ्तारी और डिजिटल प्रमाणों की मदद से यह नेटवर्क पूरी तरह ध्वस्त किया जा सकेगा। इस कार्रवाई को हाल के वर्षों में कोडिनयुक्त सिरप की तस्करी के खिलाफ सबसे बड़ी सफलता माना जा रहा है।