Sat, 02 Aug 2025 20:39:12 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
रक्षाबंधन: रिश्तों की दुनिया में भाई-बहन का संबंध सबसे अनोखा और भावनात्मक होता है, और इसी रिश्ते को सम्मान और श्रद्धा के साथ हर साल मनाया जाता है रक्षाबंधन के पावन पर्व के रूप में। यह त्योहार जहां बहनों के स्नेह की गहराई को दर्शाता है, वहीं भाइयों के संकल्प को भी मजबूती से स्थापित करता है कि वे हर परिस्थिति में अपनी बहन की रक्षा करेंगे। साल 2025 में यह पावन पर्व शनिवार, 9 अगस्त को पूरे देश में हर्षोल्लास से मनाया जाएगा।
✦ रक्षाबंधन 2025 की तिथि, भद्रा काल और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार रक्षाबंधन इस बार विशेष संयोगों के साथ आ रहा है। श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि 9 अगस्त की सुबह 04:04 बजे से प्रारंभ होगी और 10 अगस्त को सुबह 05:59 बजे तक रहेगी। हालांकि राखी बांधने के लिए भद्रा काल का ध्यान रखना आवश्यक है।
✅भद्रा काल समाप्ति: दोपहर 12:10 बजे
✅राखी बांधने का शुभ मुहूर्त: दोपहर 12:10 बजे से शाम 07:10 बजे तक
✅पूर्णिमा तिथि समाप्ति: 10 अगस्त को सुबह 05:59 बजे
✅इस प्रकार, राखी बांधने का सबसे उत्तम समय दोपहर 12:10 बजे के बाद से शाम तक रहेगा, जब भद्रा समाप्त हो जाएगी।
✍️रक्षाबंधन: एक सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक पहचान
रक्षाबंधन महज एक पर्व नहीं, भारतीय जीवनशैली की एक जीवंत परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है। यह दिन भाई-बहन के रिश्ते को सिर्फ भावनात्मक आधार नहीं देता, बल्कि सामाजिक और आध्यात्मिक रूप से भी दोनों के कर्तव्यों को परिभाषित करता है।
राखी केवल धागा नहीं, वह विश्वास का बंधन है, वह सुरक्षा की गांठ है, वह प्रेम का प्रतीक है। बहन जब भाई की कलाई पर राखी बांधती है, तो वह केवल उसकी लंबी उम्र की कामना नहीं करती, बल्कि उसके जीवन की हर सफलता के लिए प्रार्थना भी करती है।
✍️रक्षाबंधन से जुड़ी पौराणिक कथाएं
✅श्रीकृष्ण और द्रौपदी की कथा
महाभारत काल में एक दिन भगवान श्रीकृष्ण को हाथ में चोट लगी और खून बहने लगा। द्रौपदी ने तत्काल अपनी साड़ी का एक हिस्सा फाड़कर उनके हाथ पर बांध दिया। कृष्ण भावविभोर हो गए और वचन दिया कि जब भी द्रौपदी संकट में होंगी, वे उनकी रक्षा करेंगे। यही वचन उन्होंने चीरहरण के समय निभाया।
✅रानी कर्णावती और बादशाह हुमायूं
राजपूत रानी कर्णावती ने बहादुर शाह से युद्ध के दौरान अपनी रक्षा के लिए मुगल सम्राट हुमायूं को राखी भेजी। हुमायूं ने राखी की लाज रखते हुए कर्णावती की सहायता की, यह प्रसंग रक्षाबंधन की सामाजिक शक्ति को दर्शाता है।
✅यम और यमुना
धार्मिक ग्रंथों में वर्णन है कि यमराज ने यमुना को वचन दिया था कि जो भी बहन भाई को राखी बांधेगी, उसके भाई को लंबी उम्र मिलेगी। इसी वजह से यह पर्व आयु, रक्षा और आशीर्वाद से भी जुड़ा हुआ है।
✍️रक्षाबंधन मनाने की पारंपरिक विधि
रक्षाबंधन के दिन भाई-बहन सुबह स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करते हैं। बहनें एक सुंदर थाली सजाती हैं जिसमें राखी, रोली, चावल, दीपक, मिठाई और रक्षा सूत्र होता है। भाई को तिलक लगाकर आरती उतारी जाती है, फिर राखी बांधी जाती है और मिठाई खिलाई जाती है।
भाई, बहन को उपहार देते हैं और जीवनभर उसकी रक्षा करने का संकल्प लेते हैं। यह परंपरा आज भी ग्रामीण और शहरी दोनों परिवेशों में पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ निभाई जाती है।
✍️बहन-भाई के पवित्र रिश्ते को ऐसे बनाएं यादगार
1. स्नेह से भरी चिट्ठी या संदेश दें: भावनाओं को शब्दों में पिरोकर देना आज के डिजिटल युग में भी दिल को छू जाता है।
2. पुरानी यादों को ताज़ा करें: बचपन की फोटो, वीडियो या किसी खास घटना को साझा करना रिश्ता और मजबूत करता है।
3. रक्षाबंधन पर साथ समय बिताएं: किसी मंदिर, पार्क या खास स्थान पर जाकर दिन को यादगार बनाएं।
4. जरूरतमंदों को राखी बांधें: अनाथालयों या सैनिकों को राखी भेजकर त्योहार की भावना को और व्यापक बनाएं।
✍️आधुनिक युग में रक्षाबंधन का परिवर्तित स्वरूप
आज रक्षाबंधन केवल घर की दीवारों तक सीमित नहीं रहा, यह भावनात्मक संबंधों से भी आगे बढ़ गया है। कई बहनें फौज में तैनात सैनिकों को राखी भेजकर उनका सम्मान करती हैं। स्कूलों में बच्चे पुलिसकर्मियों, डॉक्टर्स और समाजसेवकों को राखी बांधते हैं। यह इस पर्व की व्यापकता को दर्शाता है।
इसके अतिरिक्त, अब बहनें भी भाइयों को राखी के साथ उपहार देने लगी हैं, और कुछ परिवारों में बहनों द्वारा भी भाइयों को रक्षा का वचन देने की प्रथा शुरू हुई है, जो समानता और स्नेह के इस पर्व को और भी प्रासंगिक बनाता है।
रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति की आत्मा से जुड़ा पर्व है, जो न केवल एक पारिवारिक पर्व है, बल्कि सामाजिक एकता, नारी सम्मान और कर्तव्यबोध का भी संदेश देता है। 2025 का रक्षाबंधन ऐसे समय में आ रहा है जब परिवारों के साथ समय बिताना, मूल्यों की पुनर्स्थापना और रिश्तों को प्राथमिकता देने की सबसे अधिक आवश्यकता है।
इस रक्षाबंधन आइए, केवल राखी ही न बांधें, बल्कि एक-दूसरे के सपनों, संघर्षों और संवेदनाओं के धागों को भी मजबूती से जोड़ें।