Thu, 27 Nov 2025 11:24:15 - By : Shriti Chatterjee
सप्तसागर दवा मंडी में बुधवार को उस समय हलचल बढ़ गई जब पुलिस कमिश्नर के निर्देश पर गठित एसआईटी ने कोडीन युक्त कफ सीरप के अवैध कारोबार की जांच के लिए अचानक पहुंचकर कई मेडिकल फर्मों पर छापेमारी शुरू कर दी. टीम ने पूरा समय रिकॉर्ड खंगालने, दस्तावेज देखने और व्यापारियों से पूछताछ में लगाया. कार्रवाई का मकसद उन सभी कड़ियों को जोड़ना है जिनके सहारे यह गैरकानूनी नेटवर्क लंबे समय से पूर्वांचल में सक्रिय था. जांच आगे बढ़ते ही यह साफ होता जा रहा है कि आरोपी शुभम जायसवाल और उसके पिता भोला का कारोबार काफी बड़े दायरे में फैला हुआ था. दोनों अभी भी फरार हैं और पुलिस उनकी तलाश में कई राज्यों तक पहुंच चुकी है.
एसआईटी ने शैली ट्रेडर्स के संचालक पिता पुत्र की भूमिका की जांच करते हुए उन 28 फर्मों और सप्लाई चेन की गहन पड़ताल की जिनसे वे जुड़े रहे. टीम के अध्यक्ष एडीसीपी काशी सरवणन टी के साथ पहुंची पुलिस ने लाइसेंस से लेकर बिलिंग व्यवस्था, दवाओं के भंडारण से लेकर एक्सपायरी दवाओं के रिकॉर्ड तक हर दस्तावेज की जांच की. प्रतिबंधित दवाओं की खरीद फरोख्त और बिना बिल के लेनदेन पर दो टूक चेतावनी दी गई कि ऐसी किसी भी गतिविधि पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. जांच के दौरान एसआईटी को कई जगह खामियां मिलीं जिनके आधार पर आगे की कार्रवाई की तैयारी की जा रही है.
मंगलवार को भी एसआईटी की टीम कई फर्मों के दस्तावेजों की जांच कर चुकी थी और अब कुछ और मेडिकल संस्थानों को चिह्नित किया जा रहा है. शुभम और उसके पिता भोला प्रसाद द्वारा संचालित नेटवर्क की पूरी जानकारी हासिल करने के लिए पुलिस बैंकिंग लेनदेन, बीमा से जुड़े दस्तावेज और चार्टर्ड एकाउंटेंट से प्राप्त रिकॉर्ड की जांच कर रही है. दोनों के पुराने मामलों को भी खंगाला जा रहा है ताकि यह समझा जा सके कि इस तस्करी के लिए फर्जी बिलिंग का इस्तेमाल कैसे और कहाँ किया गया.
लखनऊ स्थित ड्रग मुख्यालय से पूरे प्रकरण की निगरानी की जा रही है और पुलिस टीमें बिहार तथा झारखंड तक भेजी गई हैं. जांच में सामने आया है कि शैली ट्रेडर्स की आड़ में शुभम और उसके पिता पूर्वांचल के करीब 250 स्टाकिस्टों से जुड़े रहे और फर्जी बिलिंग के माध्यम से कोडीन युक्त कफ सीरप की अवैध आपूर्ति कराते रहे. इस मामले में 15 नवंबर को कोतवाली थाने में शैली ट्रेडर्स के प्रोपराइटर पिता पुत्र समेत 28 फर्मों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. वहीं चंदौली, सोनभद्र, गाजियाबाद और जौनपुर में भी इस मामले से जुड़ी मुकदमेबाजी जारी है.
इन सभी कार्रवाइयों के बावजूद अभी तक पुलिस को शुभम जायसवाल की कोई ठोस लोकेशन नहीं मिल सकी है. परेशानी यह भी है कि अलग-अलग जगह दर्ज एफआईआर में पिता पुत्र का नाम और पता अलग अलग दर्ज है जिससे जांच और जटिल हो गई है. इसके बावजूद एसआईटी का दावा है कि नेटवर्क की अधिकांश कड़ियां सामने आ चुकी हैं और जल्द ही दोनों आरोपियों तक पहुंचने की उम्मीद है. इस मामले ने दवा कारोबार से जुड़ी पारदर्शिता, निगरानी व्यवस्था और लाइसेंसिंग प्रक्रिया की गंभीर चुनौतियों को एक बार फिर उजागर किया है.