Wed, 24 Sep 2025 11:24:43 - By : Shriti Chatterjee
वाराणसी: जिसे देश की सांस्कृतिक राजधानी कहा जाता है, अपने प्राचीन मंदिरों और धार्मिक स्थलों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। इस ऐतिहासिक शहर में मदनपुरा-जंगमबाड़ी क्षेत्र स्थित है दुर्गाबाड़ी माता मंदिर, जहाँ मां दुर्गा की प्रतिमा 258 वर्ष पूर्व यानी 1767 में स्थापित की गई थी। यह मंदिर आज भी दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भक्ति और आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र बना हुआ है।
इस नवरात्रि के अवसर पर मंदिर परिसर में विशेष पूजा और आराधना का माहौल देखा जा सकता है। बंगाल की संस्कृति से जुड़ा यह मंदिर, मुखर्जी परिवार द्वारा सेवित किया जाता है, जो इसके स्थापना के समय से जुड़े हैं। परिवार के अनुसार, विजयदशमी के दिन जब मूर्ति को उठाने का प्रयास किया गया तो देवी ने अपने स्थान पर रहने की इच्छा व्यक्त की और तब से यह प्रतिमा यहीं विराजित है।
मुखर्जी परिवार बताते हैं कि श्रद्धालु नवरात्रि में विशेष रूप से माता दुर्गा की पूजा करने आते हैं। भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए उन्हें गुड़, चना और अन्य भोग अर्पित करते हैं। प्रतिमा को हार के रूप में कपड़े और कागज का माला पहनाया जाता है, और उनके समीप भोग और पुष्प रखे जाते हैं। पूरे वर्ष विधिपूर्वक पूजा होती है, लेकिन नवरात्रि के दौरान श्रद्धालुओं का उत्साह और आस्था और भी स्पष्ट दिखाई देती है।
मंदिर परिसर में बंगाली भाषा में इसके इतिहास और विशेषताओं का उल्लेख किया गया है। मंदिर में मौजूद श्रद्धालु मीरा ने बताया कि न केवल वाराणसी, बल्कि दूर-दराज से भी लोग इस समय माता दुर्गा के दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। बंगाल समुदाय की यहां विशेष आस्था देखी जाती है और सभी श्रद्धालु विधिपूर्वक पूजा कर अपनी इच्छाओं की पूर्ति की कामना करते हैं।
इस नवरात्रि, दुर्गाबाड़ी माता मंदिर में मां दुर्गा के जयकारों और भक्तों की भक्ति के बीच यह प्रतिमा अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखे हुए है।