Mon, 24 Nov 2025 12:43:01 - By : Garima Mishra
वाराणसी में वायु प्रदूषण का स्तर इस समय गंभीर चिंता का विषय बन गया है। तीन साल बाद पहली बार ऐसा हो रहा है कि हवा लगातार 15 दिनों से मध्यम यानी येलो लेवल में बनी हुई है। रविवार को भी एयर क्वालिटी इंडेक्स 151 से 144 के बीच दर्ज किया गया, जिससे शहर में सांस संबंधी बीमारियों से जूझ रहे लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
चिकित्सकों का कहना है कि लगातार बढ़ते प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, सीओपीडी और कमजोर फेफड़ों वाले मरीजों पर पड़ रहा है। विशेषज्ञों ने ऐसे लोगों से घर में रहने और बाहर निकलते समय मास्क पहनने की सलाह दी है।
नवंबर के शुरुआती चार दिन और फिर सात और आठ नवंबर को प्रदूषण का स्तर सामान्य या उससे नीचे था। एक और दो नवंबर को तो यह डार्क ग्रीन लेवल में 36 और 40 तक दर्ज हुआ। हालांकि नौ नवंबर के बाद से प्रदूषण बढ़ता गया और ए क्यू आइ फिर सौ के ऊपर चला गया। इसके बाद लगातार हवा का स्तर पीत श्रेणी में ही रहा और 14 नवंबर को यह 164 पर पहुंच गया, जो चालू महीने का सबसे खराब दिवस रहा।
इसके पहले अक्टूबर में भी वायु प्रदूषण ने शहर को प्रभावित किया था। 11 अक्टूबर से 23 अक्टूबर तक हवा की गुणवत्ता अधिकांश दिनों में येलो लेवल में रही और एक्यूआइ 156 तक पहुंचा था। 24 अक्टूबर के बाद कुछ दिन सुधार देखने को मिला, लेकिन नवंबर आते ही हालात फिर बिगड़ गए।
रविवार को शहर में सबसे दूषित हवा भेलूपुर क्षेत्र में दर्ज हुई, जहां एक्यूआइ 157 रहा। इसके बाद अर्दली बाजार में 146, बीएचयू में 131 और मलदहिया क्षेत्र में 130 का स्तर रिकॉर्ड किया गया।
दिलचस्प तथ्य यह है कि पिछले वर्ष 2024 में वाराणसी की हवा ज्यादातर दिनों में ग्रीन लेवल में थी। समीर ऐप के आंकड़ों के अनुसार उस वर्ष लंबे समय तक हवा साफ रही और सिर्फ कुछ ही दिन ए क्यू आइ मध्यम श्रेणी में दर्ज किया गया। हालांकि 25 सितंबर को बीएचयू में अचानक एक्यूआइ 335 दर्ज किया गया था लेकिन बाद में इसे उपकरण की खराबी बताया गया।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार लंबे समय तक धूलकणों, मौसम और स्थानीय उत्सर्जन के कारण हवा अधिक प्रदूषित बनी हुई है। प्रशासन ने भी लोगों से आवश्यक सावधानी बरतने और अनावश्यक वाहन चलाने से बचने की अपील की है।