Thu, 25 Dec 2025 11:43:51 - By : Palak Yadav
वाराणसी जिला एवं सत्र न्यायालय के विशेष न्यायाधीश चतुर्थ रविंद्र कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने मकान पर विस्फोटक पदार्थ फेंक कर क्षति पहुंचाने के एक गंभीर मामले में दो आरोपितों को बड़ी राहत दी है। अदालत ने बैजनत्था बिरदोपुर छित्तूपुर भेलूपुर क्षेत्र के निवासी आकाश श्रीवास्तव और शरद यादव को साक्ष्य के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया। न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को ठोस और विश्वसनीय साक्ष्यों के साथ सिद्ध करने में असफल रहा है इसलिए आरोपितों को दोषी ठहराया जाना संभव नहीं है।
मामले की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता सतीश यादव धनंजय यादव और महेंद्र यादव ने प्रभावी ढंग से पक्ष रखा। उन्होंने अदालत को बताया कि अभियोजन की कहानी केवल संदेह और अनुमान पर आधारित है और प्रस्तुत साक्ष्य किसी भी तरह से आरोपितों को घटना से सीधे रूप में नहीं जोड़ते। बचाव पक्ष ने यह भी तर्क दिया कि जांच के दौरान ऐसे कोई पुख्ता तथ्य सामने नहीं आए जिनसे आरोपितों की संलिप्तता निर्विवाद रूप से प्रमाणित हो सके।
अभियोजन पक्ष के अनुसार डॉक्टर इन्दीवर प्रसाद ने तीन जनवरी दो हजार इक्कीस को भेलूपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। तहरीर में कहा गया था कि दो जनवरी दो हजार इक्कीस की रात लगभग बारह बजे उनके आवास के मुख्य गेट के अंदर एक व्यक्ति द्वारा स्कूटी के पास विस्फोटक पदार्थ फेंक कर मौके से भाग जाने की घटना हुई। तेज धमाके की आवाज से परिवार के सदस्य और आसपास के लोग जाग गए थे। भय के कारण कोई भी व्यक्ति तत्काल बाहर नहीं निकला और पूरा घटनाक्रम उनके आवास में लगे सीसी कैमरे में रिकॉर्ड होने का दावा किया गया था।
शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया था कि मोहल्ले के कुछ असामाजिक तत्व उन्हें लगातार परेशान करते रहे हैं और इस संबंध में पहले भी लिखित सूचना दी जा चुकी थी लेकिन कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं होने के कारण ऐसे तत्वों के हौसले बढ़ गए। विवेचना के दौरान पुलिस जांच में आकाश श्रीवास्तव और शरद यादव के नाम सामने आए और उन्हें आरोपित बनाया गया।
लंबी सुनवाई और साक्ष्यों के अवलोकन के बाद अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष आरोपों को संदेह से परे सिद्ध करने में विफल रहा है। उपलब्ध साक्ष्य आरोपितों के खिलाफ निर्णायक नहीं पाए गए। इसी आधार पर न्यायालय ने दोनों आरोपितों को दोषमुक्त करते हुए मामले में उन्हें बड़ी राहत प्रदान की। इस फैसले के बाद आरोपितों के पक्ष में न्यायिक प्रक्रिया के तहत अंतिम रूप से निर्णय सामने आया है।