वाराणसी: राजघाट पुल पर मरम्मत हेतु मेगा ब्लॉक, हजारों यात्रियों की बढ़ी मुश्किलें

वाराणसी के 137 साल पुराने राजघाट पुल पर मरम्मत के चलते 13 जनवरी तक पूर्ण ब्लॉक, हजारों यात्रियों को भारी परेशानी हो रही है।

Thu, 25 Dec 2025 13:36:09 - By : Palak Yadav

वाराणसी में करीब अठारह साल बाद राजघाट पुल पर लिए गए मेगा ब्लॉक के चलते यातायात व्यवस्था पूरी तरह बदल गई है और इसका सीधा असर चंदौली और बनारस के बीच रोजाना आवाजाही करने वाले हजारों लोगों पर पड़ रहा है। राजघाट पुल जिसे डफरिन ब्रिज और मालवीय पुल के नाम से भी जाना जाता है उस पर लोक निर्माण विभाग ने मरम्मत कार्य के लिए 13 जनवरी तक पूर्ण ब्लॉक लिया है। यह पुल करीब 137 साल पुराना है और इस दौरान पुल पर मौजूद 71 ड्रेनेज स्पाउट एक्सपेंशन ज्वाइंट बदले जा रहे हैं। मंगलवार रात करीब 11 बजे से ही पीडब्ल्यूडी की टीम ने काम शुरू कर दिया था।

मरम्मत कार्य को देखते हुए वाराणसी ट्रैफिक पुलिस ने मेगा डायवर्जन प्लान लागू कर दिया है और राजघाट पुल को पूरी तरह नो व्हीकल जोन घोषित कर दिया गया है। अब इस पुल से केवल पैदल यात्रियों और साइकिल सवारों को ही गुजरने की अनुमति है। इस फैसले के बाद चंदौली से वाराणसी को जोड़ने वाले इस लाइफ लाइन पुल पर निर्भर लोग खासे परेशान नजर आए। किसी का परीक्षा छूटने का डर था तो किसी को ऑफिस में देरी पर जवाबदेही का सामना करना पड़ा। कई लोगों ने कहा कि सरकार को पहले वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए थी और उसके बाद ही इतना बड़ा ब्लॉक लागू करना चाहिए था।

बुधवार सुबह से ही पुल के दोनों ओर पैदल चलने वालों की लंबी कतारें लग गईं। पड़ाव चौराहे और सूजाबाद चौकी के पास यातायात पुलिस ने बैरिकेडिंग कर रखी थी और बड़े बड़े बोर्ड लगाए गए थे जिन पर सभी प्रकार के वाहनों के प्रतिबंध की सूचना दी गई थी। इसके बावजूद कई दो पहिया और चार पहिया वाहन चालक पुल की ओर जाने की जिद करते नजर आए जिन्हें पुलिसकर्मियों ने समझा बुझाकर वापस भेजा। सुबह करीब नौ बजे तक हालात ऐसे थे कि पचास से अधिक मोटरसाइकिल सवार सूजाबाद चौकी के पास खड़े दिखे जबकि पैदल यात्री धीरे धीरे पुल पार कर रहे थे।

पुल बंद होने को लेकर मंगलवार रात भी हंगामे की स्थिति बनी। एसीपी ट्रैफिक ओमवीर सिंह सिरोही के अनुसार पुल को रात बारह बजे बंद किया जाना था लेकिन ग्यारह बजे बोल्डर लगाकर रास्ता बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। इसी दौरान पड़ाव की ओर से कुछ बाइक पुल पर घुस गईं जिससे रास्ता दोबारा खोलना पड़ा और पूरी प्रक्रिया में समय लगा। अंततः रात करीब साढ़े बारह बजे पुल को पूरी तरह बंद किया गया। इसी बात को लेकर कुछ लोग नाराज हो गए और पुलिस से बहस करते नजर आए।

स्थानीय लोगों और यात्रियों का कहना है कि पुल की मरम्मत जरूरी है लेकिन इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। मॉर्निंग वॉकर नारायण यादव ने बताया कि रोज आने जाने वालों को तो आदत है लेकिन बाहर से आने वाले यात्री थक कर बीच बीच में बैठते हुए पुल पार कर रहे हैं। संजय यादव ने कहा कि ट्रेन और फ्लाइट पकड़ने वालों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है क्योंकि डायवर्जन को लेकर पहले से साफ जानकारी नहीं दी गई। सूजाबाद के रहने वाले पैंसठ वर्षीय नईम अहमद जो आर्मी बैज बनाने का काम करते हैं उन्होंने बताया कि पहले ऑटो से काम पर जाते थे लेकिन अब ऑटो बंद होने से उन्हें बुढ़ापे में पैदल पुल पार करना पड़ रहा है।

कई मार्मिक दृश्य भी सामने आए। जितेंद्र सिंह अपनी बेटी की खिचड़ी लेकर चंदौली से गाजियाबाद जा रहे थे लेकिन पड़ाव पहुंचने पर उन्हें पैदल जाने को कहा गया। सिर पर भारी बोझ लिए वे असमंजस में दिखे कि समय पर ट्रेन पकड़ पाएंगे या नहीं। इसी तरह पूजा नाम की महिला भी सिर पर सामान रखकर पैदल निकल पड़ीं और बोलीं कि अब क्या करें मजबूरी है। चंदौली के राजकीय इंटर कॉलेज में पढ़ाने वाली सरिता पटेल ने कहा कि रोज ड्यूटी पर आने वालों के लिए हालात बेहद मुश्किल हो गए हैं और कम से कम बलुआ पुल जैसे किसी विकल्प को अस्थायी रूप से चालू किया जाना चाहिए था।

छात्राओं की परेशानी भी कम नहीं रही। मुगलसराय की रहने वाली हिमांशी गुप्ता का हरिश्चंद्र कॉलेज में परीक्षा थी और वह नौ बजकर सत्ताइस मिनट पर राजघाट पुल पर थीं जबकि दस बजे पेपर शुरू होना था। वहीं बसंत कॉलेज की छात्रा प्रियंका सिंह ने कहा कि यदि दो पहिया वाहनों को अनुमति मिल जाती तो छात्रों को काफी राहत मिलती। हालांकि कुछ लोगों ने यह भी माना कि पुल जर्जर हो चुका है और मरम्मत जरूरी है ताकि भविष्य में कोई बड़ा हादसा न हो।

यातायात पुलिस के अनुसार मरम्मत कार्य अति आवश्यक था और बाइक समेत सभी वाहनों पर प्रतिबंध इसलिए लगाया गया ताकि काम में किसी तरह का व्यवधान न हो। अधिकारियों का कहना है कि थोड़े दिन की परेशानी के बाद स्थिति बेहतर होगी। फिलहाल 13 जनवरी तक लागू डायवर्जन के तहत नमो घाट से पड़ाव चौराहे तक केवल पैदल आवाजाही होगी जबकि वाहन सामने घाट और विश्व सुंदरी पुल होकर भेजे जा रहे हैं। प्रशासन का दावा है कि यह कदम जनता की सुरक्षा को ध्यान में रखकर उठाया गया है लेकिन आम लोगों की मांग है कि भविष्य में ऐसे बड़े निर्णयों से पहले ठोस वैकल्पिक व्यवस्था जरूर की जाए।

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