Sun, 21 Dec 2025 22:02:19 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी/रामनगर: गंगा पर बने सामनेघाट पुल को लेकर एक गंभीर और चिंताजनक स्थिति सामने आई है, जो न केवल यातायात व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही है, बल्कि किसी बड़ी अनहोनी की आशंका को भी जन्म दे रही है। पुल के रामनगर की ओर हाइट गेज की ऊंचाई कम कर दी गई है, जबकि लंका की तरफ हाइट गेज की ऊंचाई में कोई बदलाव नहीं किया गया। इस असंतुलित व्यवस्था का सीधा नतीजा यह निकल रहा है कि लंका की ओर से बड़े और ऊंचे वाहन बिना किसी रोक-टोक के पुल पार कर रामनगर की तरफ प्रवेश कर जा रहे हैं और वहां लगे कम ऊंचाई वाले हाइट गेज से टकरा रहे हैं।
स्थानीय लोगों और राहगीरों के अनुसार, कल और आज में कई बार ऊंचे एंबुलेंस वाली गाड़ी, और अन्य भारी वाहन रामनगर की तरफ लगे हाइट गेज से टकरा चुके हैं। कई एम्बुलेंस वाले का तो ऊपर का पूरा छत ही उखड़ गया। हर बार यह स्थिति न सिर्फ अफरा-तफरी का माहौल बनाती है, बल्कि यह किसी बड़े हादसे का स्पष्ट संकेत भी है। सवाल यह उठता है कि यदि हाइट गेज की ऊंचाई घटाई गई थी, तो यह कार्य दोनों ओर समान रूप से क्यों नहीं किया गया? क्या यह एक गंभीर तकनीकी चूक है या फिर प्रशासनिक समन्वय की कमी का परिणाम?
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि लंका की तरफ न तो कोई स्पष्ट चेतावनी बोर्ड लगाया गया है, न ही सूचना पट्ट, जिससे वाहन चालकों को पहले से ही यह जानकारी मिल सके कि आगे कम ऊंचाई का हाइट गेज मौजूद है। यातायात पुलिस और स्थानीय प्रशासन की भूमिका भी इस पूरे मामले में संदेह के घेरे में है। आखिर क्यों लंका की ओर से आने वाले ऊंचे वाहनों को पुल पर चढ़ने से पहले रोका नहीं जा रहा? क्या यातायात नियंत्रण और सुरक्षा के बुनियादी नियमों की अनदेखी की जा रही है?
इस अव्यवस्था ने अब स्थानीय नागरिकों को गहरे असमंजस में डाल दिया है। लोगों का कहना है कि यह स्थिति समझ से परे है कि पूरा तंत्र आखिर किस तरह काम कर रहा है। क्या प्रशासन किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहा है? या फिर जिम्मेदार विभाग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर आंखें मूंदे बैठे हैं? पुल जैसे संवेदनशील स्थान पर इस तरह की लापरवाही न केवल प्रशासनिक उदासीनता को दर्शाती है, बल्कि आम जनता की जान को भी जोखिम में डाल रही है।
रामनगर और लंका क्षेत्र के नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और राहगीरों ने इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि दोनों ओर हाइट गेज की ऊंचाई समान की जाए, स्पष्ट और बड़े चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं तथा लंका की तरफ यातायात पुलिस की स्थायी तैनाती की जाए, ताकि ऊंचे वाहनों को समय रहते रोका जा सके। साथ ही, यह भी आवश्यक है कि इस पूरे प्रकरण की जिम्मेदारी तय हो और संबंधित विभागों से जवाबदेही मांगी जाए।
यह मामला अब केवल एक तकनीकी चूक नहीं रह गया है, बल्कि यह शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सीधा सवाल बन चुका है। यदि समय रहते सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो किसी भी दिन यह लापरवाही एक बड़े हादसे में बदल सकती है, जिसकी जिम्मेदारी से कोई भी बच नहीं पाएगा। सामनेघाट पुल की यह स्थिति आज पूरे विभागीय तंत्र को झकझोरने वाली है और यह अपेक्षा की जा रही है कि शासन, प्रशासन और जनप्रतिनिधि इसे गंभीरता से लेते हुए तत्काल ठोस कार्रवाई करेंगे, ताकि आम जनता सुरक्षित और निर्भय होकर इस पुल का उपयोग कर सके।