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वाराणसी: काल भैरव मंदिर में वार्षिक श्रृंगार-अन्नकूट उत्सव, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

वाराणसी: काल भैरव मंदिर में वार्षिक श्रृंगार-अन्नकूट उत्सव, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

काल भैरव मंदिर में वार्षिक श्रृंगार व अन्नकूट उत्सव धूमधाम से मनाया गया, श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव से दर्शन किए।

काशी के कोतवाल कहे जाने वाले काल भैरव मंदिर में वार्षिक श्रृंगार और अन्नकूट का भव्य आयोजन पूरे श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर मंदिर परिसर भक्ति भाव से सराबोर नजर आया और सुबह से ही बाबा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। मंदिर में विशेष सजावट की गई और विधि विधान के साथ पूजन अर्चन हुआ। आयोजन के दौरान बाबा को छप्पन प्रकार के भोग अर्पित किए गए जिनमें विविध फल मिष्ठान और पारंपरिक प्रसाद शामिल रहे। पूरे वातावरण में शंख ध्वनि और जयकारों की गूंज बनी रही जिससे श्रद्धालुओं की आस्था और अधिक प्रगाढ़ होती दिखी।

मंदिर के महंत योगेश्वर बाबा काल भैरव ने बताया कि परंपरा के अनुसार प्रत्येक वर्ष बाबा का वार्षिक श्रृंगार और अन्नकूट उत्सव मनाया जाता है। इस अवसर पर श्री श्री बाबा 1008 श्री काल भैरव जी को विशेष वस्त्र धारण कराए गए और विधिवत श्रृंगार आरती संपन्न की गई। श्रृंगार और आरती के बाद मंदिर के कपाट भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिए गए। बाबा के अलौकिक स्वरूप के दर्शन के लिए लंबी कतारें देखने को मिलीं और भक्त श्रद्धा भाव से सुख समृद्धि और सुरक्षा का आशीर्वाद मांगते नजर आए। महंत ने बताया कि वार्षिक श्रृंगार के अवसर पर रात्रि ग्यारह बजे तक दर्शन पूजन का क्रम जारी रहेगा।

काशी को शिव की नगरी माना जाता है जहां बाबा विश्वनाथ नगर के राजा के रूप में पूजे जाते हैं। मान्यता के अनुसार गंगा तट पर भैरव बाबा को ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिली और वहीं शिवजी ने उन्हें तप करने का आदेश दिया। शिवजी के आशीर्वाद से काल भैरव को काशी का कोतवाल कहा गया और तभी से इस स्वरूप में उनकी पूजा की परंपरा चली आ रही है। बाद में उसी स्थान पर काल भैरव मंदिर की स्थापना हुई। काशी में यह भी मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ के दर्शन के बाद काल भैरव के दर्शन करना अनिवार्य है क्योंकि इनके बिना बाबा विश्वनाथ के दर्शन अधूरे माने जाते हैं।

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