वाराणसी: अनादि काल से आस्था की जीवित राजधानी रही काशी एक बार फिर भक्ति, श्रृंगार और आध्यात्मिक उल्लास की साक्षात साक्षी बनी, जब श्रावण मास के अंतिम सोमवार को श्री श्री 1008 आसभैरव बाबा के दिव्य दरबार में भव्य हरियाली एवं हिम श्रृंगार का आयोजन श्रद्धा और भक्ति के महासंगम में संपन्न हुआ। यह आयोजन मात्र एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति के उस गौरवशाली अध्याय का सजीव चित्रण बना, जिसमें आस्था, दर्शन, तंत्र और योग सभी धाराएं एक साथ प्रवाहित होती दिखीं।
सुबह 4:00 बजे मंगला आरती के साथ जैसे ही बाबा का दरबार खुला, संपूर्ण वातावरण में शंखनाद, घंटियों की ध्वनि और "जय श्री भैरव नाथ" के जयघोष से दिव्यता की बयार बह चली। महंत पं. सूरज गोस्वामी ने वेद मंत्रों और विधिवत परंपराओं के साथ बाबा का पंचामृत स्नान कराया, तत्पश्चात उन्हें श्याम रूप में सुसज्जित कर हरियाली एवं हिम श्रृंगार से अलंकृत किया गया। बाबा का यह अलौकिक रूप भक्तों को इस प्रकार आकर्षित कर रहा था जैसे स्वयं शिव हिमालय से अवतरित हो काशीवासियों को दर्शन दे रहे हों।
आसभैरव बाबा काशी के आदि रक्षक, संकटमोचक और न्याय के प्रतीक रूप हैं। 'आस' का अर्थ होता है आश्रय, और इस रूप में भैरव बाबा अपने भक्तों को अभय, रक्षा और कृपा प्रदान करते हैं। काशी में भैरव को शिव का कोतवाल माना गया है, और ऐसा विश्वास है कि बिना भैरव की अनुमति कोई भी काशी में आध्यात्मिक पूर्णता प्राप्त नहीं कर सकता। श्री श्री 1008 आसभैरव मंदिर उसी परंपरा की एक दिव्य कड़ी है, जिसकी स्थापना प्राचीन काल में तांत्रिक साधकों द्वारा की गई मानी जाती है। यह मंदिर साधना, सिद्धि और सुरक्षा का अद्वितीय केंद्र बन चुका है।
हरियाली श्रृंगार के अंतर्गत बाबा को अशोक, कामिनी की पत्तियों, फूलों और मौसमी फलों से सजाया गया। वहीं हिम श्रृंगार में उन्हें चंदन, कर्पूर, भस्म, दूध, पुष्पवर्षा और चांदी के आभूषणों से आच्छादित किया गया, जिससे उनका स्वरूप ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो कैलाशपति स्वयं भैरवरूप में अवतरित हुए हों। श्याम वस्त्रों में सज्जित बाबा का विग्रह जब दीपों और विद्युत सज्जा के बीच प्रकट हुआ तो श्रद्धालु भक्ति विह्वल हो उठे।
प्रातः से ही दूर-दराज़ से आए भक्तों का तांता मंदिर में लगा रहा। काशी विश्वनाथ के दर्शन को आए श्रद्धालु विशेष रूप से आसभैरव बाबा का यह दिव्य श्रृंगार देखने मंदिर पहुंचे। लोगों ने पूरे परिवार सहित पूजा-अर्चना कर सुख, समृद्धि, निरोगता और पारिवारिक मंगलकामनाओं के लिए बाबा से आशीर्वाद मांगा। महाआरती के बाद विशेष भोग अर्पित किया गया और प्रसाद का वितरण हुआ, जिससे बाबा की कृपा सब तक पहुँची।
इस आयोजन को सफल बनाने में श्री आसभैरव मंदिर समिति के कार्यक्रम संयोजक दिलीप गोस्वामी, प्रदीप गोस्वामी, मीडिया प्रभारी रवि कौशिक, मंदिर सेवक आयुष अग्रवाल, राहुल विश्वकर्मा, रजनीश सहित आज भैरव दरबार आयोजन समिति का विशेष योगदान रहा। सभी ने पूरी निष्ठा से अपनी सेवा दी, जिससे आयोजन अत्यंत व्यवस्थित और प्रभावशाली रूप से सम्पन्न हुआ।
इतिहास साक्षी है कि काशी में भैरव साधना का विशेष महत्व रहा है। भैरव तंत्र में बताया गया है कि भैरव साधना से साधक को तुरंत फल, रक्षा, शत्रुनाश और गुप्त आध्यात्मिक सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। काशी में 8 अष्ट भैरवों की पूजा का भी विधान है, जिनमें आसभैरव का स्थान विशेष है। काशी के संत-महात्माओं, योगियों और तांत्रिकों की साधना स्थली रहे इस मंदिर में श्रावण मास का यह उत्सव आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर रहा।
श्रावण मास के इस अंतिम सोमवार को श्री श्री 1008 आसभैरव बाबा का यह अलौकिक श्रृंगार न केवल एक धार्मिक उत्सव था, बल्कि काशी की आत्मा, श्रद्धा और सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत प्रमाण भी था। यह आयोजन हर उस श्रद्धालु के लिए अविस्मरणीय बन गया जो बाबा के दर्शनों का लाभ प्राप्त कर साक्षात दिव्यता से साक्षात्कार कर सका। काशी की यह रात एक बार फिर यह सिद्ध कर गई कि जहाँ श्रद्धा होती है, वहाँ ईश्वर स्वयं प्रकट होते हैं। और भैरव बाबा तो स्वयं काशी की रक्षा में सतत उपस्थित हैं।
वाराणसी: श्रावण में हुआ आसभैरव बाबा का दिव्य हरियाली हिम श्रृंगार, भक्तों का उमड़ा सैलाब

वाराणसी में श्रावण के अंतिम सोमवार को आसभैरव बाबा का भव्य हरियाली एवं हिम श्रृंगार किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों ने दर्शन किए।
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