वाराणसी जिले में असि और वरुणा नदियों का पुनरोद्धार अब एक जनपद एक नदी परियोजना के तहत किया जाएगा। इस महत्वाकांक्षी योजना पर 112 करोड़ रुपये खर्च होंगे और इसे तीन चरणों में छह साल की अवधि में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। शासन से इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल चुकी है, जिसके बाद काशी देश का पहला जिला होगा जहां इस योजना में दो नदियों को शामिल किया गया है। जिला प्रशासन के निर्देश पर आईआईटी बीएचयू ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और नगर निगम के सहयोग से असि नदी के लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है।
रिपोर्ट में असि नदी की मौजूदा स्थिति, चुनौतियों और समाधान का पूरा रोडमैप दिया गया है। वरुणा नदी की स्थिति पर सिंचाई विभाग पहले ही रिपोर्ट शासन को भेज चुका है। अध्ययन में सामने आया है कि नदी किनारे 49 डंपिंग साइट हैं जिनमें से 30 सक्रिय रूप से उपयोग में हैं। दर्जनों नाले बिना किसी शोधन के नदी में गिरते हैं जिससे जल प्रदूषण बढ़ रहा है। इसके अलावा असि क्षेत्र के तालाब भी गंभीर संकट में हैं। भिखमपुर और बंगालीपुर जैसे तालाब जो कभी झील की तरह दिखाई देते थे अब गहरे गड्ढों में बदल चुके हैं। इन्हें गहरा कर लाखों लीटर अतिरिक्त जल संचित करने और असि नदी के पुराने मार्ग को फिर से सक्रिय करने की योजना है ताकि बारिश और नहर का पानी सीधे नदी में प्रवाहित हो सके।
रिपोर्ट तैयार करने वाली टीम ने नदी किनारे रहने वाले 259 परिवारों से बातचीत भी की। इनमें से 77 प्रतिशत परिवार दस साल से अधिक समय से उसी इलाके में रह रहे हैं। अधिकांश लोगों ने माना कि नदी किनारे हरित क्षेत्र विकसित होने से न केवल पर्यावरण सुधरेगा बल्कि स्थानीय रोजगार और आर्थिक गतिविधियों में भी बढ़ोतरी होगी।
अध्ययन में यह भी सामने आया कि असि नदी के किनारे 22 प्रकार के पौधे और 28 प्रजातियों के जीव जंतु पाए जाते हैं। इनका संरक्षण करने के साथ ही नीम, पीपल, बांस, हिबिस्कस और बायो फेंसिंग पौधों जैसे कैक्टस और कांटेदार झाड़ियों को लगाने की सिफारिश की गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे नदी किनारे कटान रुकेगा, हरियाली बढ़ेगी और पक्षियों व जीव जंतुओं का आवास सुरक्षित होगा।
परियोजना को लागू करने के लिए तीन चरण निर्धारित किए गए हैं जिनकी अवधि एक से छह वर्ष तक होगी। इसमें आईआईटी बीएचयू, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, जल निगम, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, स्थानीय निकाय और सामाजिक संगठनों की भागीदारी होगी। जिला प्रशासन का कहना है कि इस परियोजना के पूरा होने से काशी की जीवनरेखा कही जाने वाली असि और वरुणा नदियों का स्वरूप पूरी तरह बदल जाएगा और यह क्षेत्र पर्यावरणीय और सामाजिक दृष्टि से मजबूत बनेगा।
परियोजना के तहत 11 प्रमुख कार्य शामिल किए गए हैं। इनमें नदी की खुदाई और डी सिल्टिंग, तालाबों का पुनर्जीवन, प्राचीन नदी मार्ग का पुनर्स्थापन, गंगा नहर से जल प्रवाह, शुद्धिकरण संयंत्रों से नदी को जल उपलब्ध कराना, घर घर के अपशिष्ट जल का स्थानीय उपचार, ठोस कचरा हटाना, जैव विविधता संरक्षण, नदी किनारे हरित और पैदल मार्ग का निर्माण, सामाजिक आर्थिक जोन का विकास और नालों पर इंटरसेप्टर लगाना शामिल है।
डीएम सत्येंद्र कुमार ने कहा कि रिपोर्ट शासन को भेजी जा चुकी है और अब चरणबद्ध तरीके से इस पर कार्य शुरू होगा। उनके अनुसार यह योजना न केवल नदियों को पुनर्जीवित करेगी बल्कि पूरे क्षेत्र की तस्वीर बदल देगी।
आईआईटी बीएचयू और एनएमसीजी की मदद से नदियों का होगा वैज्ञानिक पुनर्जीवन

वाराणसी में असि व वरुणा नदियों का 112 करोड़ की लागत से 'एक जनपद एक नदी' परियोजना के तहत पुनरोद्धार होगा, 6 साल में पूरा होगा।
Category: uttar pradesh varanasi environment
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