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बदायूं: दो बाईकों की टक्कर में चार लोगों की मौत, गांव में पसरा मातम

बदायूं:  दो बाईकों की टक्कर में चार लोगों की मौत, गांव में पसरा मातम

बदायूं के करखेड़ी गांव में गुरुवार देर शाम हुए भीषण सड़क हादसे में एक ही बिरादरी के चार लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, जिससे पूरे गांव में मातम पसर गया और कोहराम मच गया।

बदायूं: करखेड़ी गांव में शुक्रवार की सुबह का सूरज बेहद मनहूस खबर के साथ उगा। हर ओर सिर्फ मातम था, हर आंख नम थी, और हर चेहरा गमगीन। गांव में एक ऐसा मंजर देखने को मिला, जिसने हर दिल को झकझोर कर रख दिया। गुरुवार देर शाम एक भीषण सड़क हादसे में एक ही बिरादरी के चार लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। शुक्रवार सुबह जब एक साथ चार अर्थियां उठीं, तो पूरे गांव में कोहराम मच गया। महिलाएं दहाड़ें मारकर रो पड़ीं और पुरुषों की आंखों से बहते आंसू भी रुके नहीं। यह वह क्षण था जब करखेड़ी गांव ने एक ही समय पर चार बेटों को खो देने का असहनीय दुःख महसूस किया।

गांव के बाहर श्मशान घाट की ओर बढ़ती चारों अर्थियां इस बात की गवाही दे रही थीं कि किस तरह एक पल की चूक ने चार जिंदगियों को लील लिया और चार परिवारों को कभी न भरने वाला जख्म दे दिया। वजीरगंज थाना क्षेत्र में बगरैन-करखेड़ी मार्ग पर गांव अलउआ के पास गुरुवार की देर शाम दो बाइकों की जबरदस्त भिड़ंत हो गई थी। टक्कर इतनी जोरदार थी कि दोनों बाइकों पर सवार सभी लोग सड़क पर ही गिर पड़े। इस दर्दनाक हादसे में करखेड़ी गांव निवासी अतर सिंह (40) पुत्र विजेंद्र मीणा, उनके रिश्तेदार और बुजुर्ग बाबा बच्चू सिंह (60), दूसरी बाइक पर सवार संजय (28) पुत्र बच्चू और सोमपाल सिंह (55) पुत्र जागन सिंह की मौके पर ही मौत हो गई। हादसे में गंभीर रूप से घायल अशोक (28) पुत्र भेदेव को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी हालत नाजुक बनी हुई है।

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शवों को कब्जे में लेकर देर रात ही पोस्टमॉर्टम कराया। शुक्रवार तड़के जब चारों शव गांव पहुंचे, तो माहौल पूरी तरह गमगीन हो गया। शवों को काली प्लास्टिक में लिपटा देखकर परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया। मां, बहनें, बेटियां और पत्नियां शवों से लिपटकर करुण क्रंदन करने लगीं, जैसे पूरे गांव की आत्मा एक साथ चीत्कार कर उठी हो। गांव में हर घर में मातम पसरा था, किसी घर में चूल्हा नहीं जला, कोई बच्चा स्कूल नहीं गया, और कोई पुरुष खेतों की ओर नहीं गया।

सुबह करीब नौ बजे जब चारों शवों की एक साथ अंतिम यात्रा शुरू हुई, तो वह दृश्य देख हर कोई स्तब्ध रह गया। करखेड़ी ही नहीं, आस-पास के गांवों से भी सैकड़ों लोग इस अंतिम यात्रा में शामिल हुए। किसी ने कांधा दिया, किसी ने अश्रुपूरित नेत्रों से अंतिम विदाई दी, लेकिन हर चेहरा यही कह रहा था कि यह क्षति अपूरणीय है। गांव की श्मशान भूमि पर चारों का एक साथ दाह संस्कार किया गया। चिता की लपटों में एक साथ चार लोगों के पार्थिव शरीरों का विलीन हो जाना पूरे गांव के लिए एक ऐसा दृश्य बन गया जिसे शायद ही कोई भुला पाए।

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