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बलिया स्थापना दिवस पर तीन दिवसीय महोत्सव का शुभारंभ, मंत्री दयाशंकर सिंह ने किया उद्घाटन

बलिया स्थापना दिवस पर तीन दिवसीय महोत्सव का शुभारंभ, मंत्री दयाशंकर सिंह ने किया उद्घाटन

बलिया स्थापना दिवस के अवसर पर तीन दिवसीय बलिया महोत्सव का परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने किया उद्घाटन, बलिया के गौरवशाली इतिहास पर डाला प्रकाश।

बलिया स्थापना दिवस के अवसर पर शनिवार रात बलिया महोत्सव का शुभारंभ पूरे उत्साह और भक्ति भावना के साथ किया गया। गंगा बहुउद्देशीय सभागार में आयोजित इस तीन दिवसीय महोत्सव का उद्घाटन परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह, महिला आयोग की सदस्य सुनीता श्रीवास्तव और पूर्व मंत्री नारद राय ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर सभागार में उपस्थित लोगों ने जोरदार तालियों के बीच बलिया की ऐतिहासिक विरासत और सांस्कृतिक पहचान का उत्सव मनाया।

उद्घाटन समारोह में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने बलिया के गौरवशाली इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बलिया की स्थापना वर्ष 1879 में इसी दिन हुई थी, जब इसे गाजीपुर जनपद से अलग कर नया जनपद बनाया गया था। उन्होंने कहा कि यह धरती महर्षि भृगु की तपस्थली और महादानी बलि की जन्मभूमि रही है। बलिया का नाम देश की स्वतंत्रता के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है, क्योंकि यह आजादी के महानायक मंगल पांडे, चित्तू पांडे, व्यवस्था परिवर्तन के प्रणेता जयप्रकाश नारायण और इच्छाशक्ति के प्रतीक पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की भूमि रही है।

मंत्री ने आगे कहा कि बलिया ने न केवल राजनीति में, बल्कि साहित्य, समाज सेवा और सांस्कृतिक जगत में भी अपनी पहचान बनाई है। हजारी प्रसाद द्विवेदी और परशुराम द्विवेदी जैसे साहित्यकारों ने बलिया की प्रतिभा को विश्व स्तर तक पहुंचाया। उन्होंने कहा कि आज बलिया के लोग बंगाल से लेकर गोवा तक विभिन्न राज्यों में अपनी पहचान और प्रभाव स्थापित किए हुए हैं।

महोत्सव की शुरुआत गणेश यादव द्वारा गणेश वंदना से हुई, जिसने कार्यक्रम में भक्तिमय वातावरण बना दिया। इसके बाद ददरी मेला के थीम सॉन्ग के गायक प्रणव सिंह कान्हा ने ‘जय हो जय हो बागी बलिया’ गीत प्रस्तुत कर दर्शकों में जोश और उत्साह भर दिया। प्रयागराज से आई दीपशिखा और उनकी टीम ने पारंपरिक डेढिया नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों की खूब सराहना पाई। गुलाब देवी कॉलेज की छात्राओं ने ‘बागी बलिया’ गीत पर नाट्य प्रस्तुति दी, जिसमें बलिया की ऐतिहासिक संघर्ष गाथा को जीवंत कर दिया गया। सन्नी पांडे ने भी अपने गीतों से माहौल को ऊर्जावान बना दिया।

कार्यक्रम के आयोजन को लेकर प्रशासन ने व्यापक तैयारी की थी। मूल रूप से महोत्सव का आयोजन रामलीला मैदान में होना था, लेकिन मौसम में आए बदलाव और बारिश के कारण इसे गंगा बहुउद्देशीय सभागार में स्थानांतरित करना पड़ा। बावजूद इसके दर्शकों की भारी भीड़ और उनके उत्साह ने यह साबित किया कि बलिया के लोग अपने गौरवशाली इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर से गहराई से जुड़े हुए हैं।

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