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बांकेबिहारी मंदिर तोषखाना विवाद, हाईपावर्ड कमेटी करेगी 1971 इन्वेंटरी की जांच

बांकेबिहारी मंदिर तोषखाना विवाद, हाईपावर्ड कमेटी करेगी 1971 इन्वेंटरी की जांच

वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर के तोषखाने को लेकर उठे सवालों पर अब हाईपावर्ड कमेटी 1971 की इन्वेंटरी की जांच कर प्रशासन से जवाब तलब करेगी।

वृंदावन के प्रसिद्ध श्री बांकेबिहारी मंदिर के तोषखाने को लेकर एक बार फिर नए घटनाक्रम उभर रहे हैं। मंदिर के खजाने और उसकी सही स्थिति को लेकर लंबे समय से उठ रहे सवालों का समाधान अब हाईपावर्ड कमेटी की बैठक में खोजा जाएगा। इस बैठक में 1971 में तैयार की गई पुरानी इन्वेंटरी और उसकी प्रमाणिकता को लेकर मंदिर प्रशासन और सेवायतों से जवाब तलब किया जाएगा।

जानकारी के अनुसार वर्ष 1971 में जब श्री बांकेबिहारी मंदिर का तोषखाना खोला गया था, तब सोने-चांदी की छड़ियां, रत्न, चांदी का छत्र और कुछ पुराने बर्तन ही बरामद हुए थे। उस समय भी सेवायतों के बीच खजाने को लेकर मतभेद रहे। जब तोषखाना खुला, तो सेवायतों ने सवाल उठाया कि आखिरकार ठाकुर जी के खजाने का शेष हिस्सा कहां गया। इसके बाद जांच की मांग उठी और इतिहासकारों तथा मंदिर के वरिष्ठ सेवायतों की सिफारिश पर पता चला कि कुछ सामग्री श्री बांकेबिहारी जी के नाम से मथुरा स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में बक्सों में जमा कराई गई थी।

तत्कालीन मुंसिफ कोर्ट ने इन सभी सामग्री की पूरी इन्वेंटरी बनाई और उसकी प्रतिलिपि मंदिर प्रबंध समिति को सौंप दी। उस समय की समिति में मथुरा निवासी प्यारेलाल गोयल अध्यक्ष थे, जबकि कृष्णगोपाल गोस्वामी, दीनानाथ गोस्वामी, केवलकृष्ण गोस्वामी, रामशंकर गोस्वामी और शांतिचरण पिंडारा सदस्य थे। इन्वेंटरी की जानकारी तत्कालीन प्रबंधक कुंदनलाल चतुर्वेदी और समिति के सभी सदस्यों को भी दी गई थी। इन्वेंटरी की प्रतिलिपि उस समय बैंक में सुरक्षित रखी गई थी।

अब 29 अक्तूबर को होने वाली हाईपावर्ड कमेटी की बैठक में इस पुराने दस्तावेज को लेकर नए सवाल उठेंगे। कमेटी अध्यक्ष मंदिर प्रबंधक और सेवायत सदस्य से स्पष्टीकरण मांगेंगे कि 1971 की इन्वेंटरी के अनुसार खजाने की वर्तमान स्थिति क्या है। यह बैठक मंदिर प्रशासन और इतिहासकारों के लिए भी महत्वपूर्ण होगी क्योंकि इसके जरिए कई सालों से उठ रहे सवालों और अटकलों को समाप्त करने की उम्मीद है।

मंदिर के खजाने को लेकर लंबे समय से चर्चाएं होती रही हैं। सेवायतों का कहना है कि तोषखाने की वास्तविक स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए और जो सामग्री बैंक में जमा कराई गई थी, उसकी जानकारी सभी संबंधित पक्षों को हो। अब होने वाली बैठक में यह तय होगा कि पुराने दस्तावेजों के आधार पर आगे क्या कदम उठाए जाएंगे और किस तरह से खजाने की वास्तविक स्थिति का पता लगाया जाएगा।

मंदिर प्रशासन ने बैठक को लेकर पूरी तैयारी कर ली है और उम्मीद जताई है कि 1971 की इन्वेंटरी खुलने से कई पुराने रहस्य सुलझेंगे। इस प्रक्रिया में इतिहासकारों, सेवायतों और प्रशासन के बीच सहयोग आवश्यक माना जा रहा है।

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