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भदोही: आरक्षी पर यौन शोषण, धोखाधड़ी और प्रताड़ना का आरोप, चार पर मुकदमा दर्ज

भदोही: आरक्षी पर यौन शोषण, धोखाधड़ी और प्रताड़ना का आरोप, चार पर मुकदमा दर्ज

भदोही के आरक्षी हारिश वासे खान पर शादी का झांसा दे दहेज मांगने और शारीरिक-मानसिक प्रताड़ना का गंभीर मुकदमा दर्ज किया गया है।

आजमगढ़/भदोही: उत्तर प्रदेश पुलिस की छवि एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। भदोही जिले में तैनात एक आरक्षी पर शादी का झांसा देकर संबंध बनाने, दहेज की मांग करने और शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना देने का गंभीर आरोप लगा है। पीड़िता ने आरक्षी के साथ उसकी मां, भाई और बहन को भी आरोपित करते हुए मुकदमा दर्ज कराया है।

पीड़िता ने बताया कि उसकी पहचान करीब चार वर्ष पूर्व एसओजी आजमगढ़ में तैनात आरक्षी हारिश वासे खान से हुई थी। धीरे-धीरे संबंध गहरे हुए और आरोपी ने विश्वास जीतकर उसे अपनी पत्नी की तरह पुलिस लाइन में साथ रखा। इस दौरान दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बने और युवती गर्भवती हो गई। लेकिन, पीड़िता का आरोप है कि आरोपी और उसके परिजनों ने दबाव बनाकर उसका गर्भपात करा दिया।

पीड़िता का कहना है कि जून 2024 में आरोपी ने नोटरी पर उससे निकाह कर रिश्ता सार्वजनिक किया। शुरुआत में सबकुछ ठीक रहा, लेकिन बाद में हालात बिगड़ने लगे। युवती का आरोप है कि आरोपी और उसके परिवार ने दहेज में 10 लाख रुपये की मांग शुरू कर दी। रकम पूरी न होने पर लगातार प्रताड़ना बढ़ती गई। पीड़िता ने बताया कि बढ़ते विवाद को देखते हुए आरक्षी ने उसे आजमगढ़ शहर में किराए के मकान में शिफ्ट कर दिया। इसी बीच आरोपी का ट्रांसफर भदोही हो गया, जिसके बाद उसका रवैया पूरी तरह बदल गया। आरोप है कि हारिश वासे खान और उसके परिजन लगातार पीड़िता को मारपीट, धमकी और मानसिक उत्पीड़न का शिकार बनाते रहे। न्याय की उम्मीद में पीड़िता ने डीआईजी वाराणसी जोन को लिखित शिकायत सौंपी। मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस ने आरक्षी हारिश वासे खान, उसकी मां आसमा, भाई दानिश और बहन मोनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।

इस संबंध में कोतवाल यादवेंद्र पांडेय ने पुष्टि करते हुए कहा, आरक्षी हारिश वासे खान समेत चार आरोपियों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत किया गया है। जांच चल रही है, आरोप गंभीर हैं और जल्द ही गिरफ्तारी की जाएगी।

पुलिस सूत्रों के अनुसार, मामले में यौन शोषण, दहेज प्रताड़ना, धोखाधड़ी और धमकी जैसी धाराएँ लगाई गई हैं। अगर आरोप साबित होते हैं तो सख्त सजा का प्रावधान है।

कानून विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले में महिला को न केवल यौन शोषण का सामना करना पड़ा, बल्कि दहेज प्रताड़ना और मानसिक उत्पीड़न भी सहना पड़ा। महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा करने वाला पुलिसकर्मी खुद आरोपी बन जाए, तो यह न केवल पीड़िता के लिए बल्कि पूरे विभाग की साख पर भी गहरा धब्बा है।

इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि महिलाओं से जुड़े मामलों में पुलिस की जवाबदेही कितनी मजबूत है और क्या विभाग अपने ही दोषी कर्मचारियों पर निष्पक्ष कार्रवाई कर पाएगा। केस दर्ज हो चुका है और जांच प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अब देखने वाले बात ये है, कि आरोपी आरक्षी और उसके परिवार के खिलाफ पुलिस कितनी तेजी से कार्रवाई करती है और पीड़िता को कब तक न्याय मिल पाता है।

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