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भदोही में बनेगा विश्व का सबसे ऊंचा धातु मंदिर, स्थापित होगा विशाल शिवलिंग

भदोही में बनेगा विश्व का सबसे ऊंचा धातु मंदिर, स्थापित होगा विशाल शिवलिंग

भदोही के सुंदरबन क्षेत्र में विश्व के पहले और सबसे ऊंचे विशाल धातु मंदिर का निर्माण कार्य शुरू, विशाल शिवलिंग भी स्थापित होगा।

भदोही: जिले के सुंदरबन क्षेत्र में विश्व के सबसे ऊंचे और पहले विशाल धातु मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। इस अनोखे और भव्य मंदिर में विश्व का सबसे ऊंचा शिवलिंग स्थापित किया जाएगा। यह मंदिर अपनी वास्तुकला और धार्मिक महत्व के कारण न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बनने जा रहा है।

पीठाधीश्वर राज लक्ष्मी मंडा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह मंदिर 180 फीट ऊंचा और 150 फीट चौड़ा होगा। पूरी संरचना शुद्ध धातु से बनाई जा रही है, जिससे यह धार्मिक आस्था और आधुनिक इंजीनियरिंग का अद्भुत उदाहरण बनेगा। मंदिर का गर्भगृह भूमि की सतह से लगभग 45 फीट नीचे तैयार किया जा रहा है। यह डिजाइन आध्यात्मिक गहराई और स्थायित्व दोनों को दर्शाता है।

गर्भगृह के भीतर विश्व का सबसे विशाल 9 फीट ऊंचा और 9 टन वजनी शिवलिंग स्थापित किया जाएगा। इसके साथ ही डेढ़ फीट ऊंचाई के 12 ज्योतिर्लिंगों की भी स्थापना की जाएगी। ये सभी ज्योतिर्लिंग देश के बारह प्रसिद्ध तीर्थस्थलों का प्रतीक हैं। राज लक्ष्मी मंडा ने बताया कि इन 12 ज्योतिर्लिंगों को स्वयं वे 12 चक्के वाले ट्रेलर ट्रक पर रखकर यात्रा पर ले गई थीं।

यह यात्रा अत्यंत प्रेरणादायक और ऐतिहासिक रही। उन्होंने रामेश्वरम, श्रीशैलम, घृष्णेश्वर, त्र्यंबकेश्वर, भीमाशंकर, सोमनाथ, नागेश्वर, ओंकारेश्वर, महाकालेश्वर, केदारनाथ, बैद्यनाथ और काशी विश्वनाथ सहित सभी प्रमुख ज्योतिर्लिंग स्थलों की यात्रा की। हर स्थान पर जाकर उन्होंने शिवलिंगों का अभिषेक किया और उनका पूजन संपन्न किया।

यह पूरी यात्रा लगभग 10,780 किलोमीटर लंबी थी, जो 22 राज्यों और 315 से अधिक जनपदों से होकर गुजरी। 48 दिनों की कठिन और पवित्र यात्रा के बाद 17 अप्रैल 2022 को ये सभी ज्योतिर्लिंग सकुशल भदोही के सुंदरबन लाए गए। अब इन्हीं पवित्र ज्योतिर्लिंगों की स्थापना इस विशाल धातु मंदिर के गर्भगृह में की जाएगी।

भदोही के लिए यह गौरव का विषय है कि यहां द्वादश ज्योतिर्लिंग संगम क्षेत्र की स्थापना की जा रही है। इस मंदिर के बनने से न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि यह क्षेत्र आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में विकसित होगा। आने वाले वर्षों में यह मंदिर विश्व स्तर पर हिंदू संस्कृति और आस्था का प्रतीक बनने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।

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