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वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय में बीपीएड दो वर्षीय प्रोग्राम को फिर मिली मान्यता

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय में बीपीएड दो वर्षीय प्रोग्राम को फिर मिली मान्यता

बीएचयू में बीपीएड दो वर्षीय प्रोग्राम को नवोदय विद्यालय समिति और केंद्रीय विद्यालय संगठन ने पुनः मान्यता दी।

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा विभाग में बीपीएड छात्रों की लंबी मुहिम आखिरकार सफल हो गई है। विभाग में पढ़ रहे छात्रों की मुख्य मांग दो वर्षीय बीपीएड प्रोग्राम की मान्यता को लेकर थी और अब यह मांग औपचारिक रूप से पूरी हो चुकी है। नवोदय विद्यालय समिति और केंद्रीय विद्यालय संगठन ने छात्रों की आपत्ति को गंभीरता से लेते हुए पुराने चयन नियम को फिर से लागू करने का फैसला किया है। इस निर्णय के सामने आने के बाद विभाग में पढ़ने वाले छात्र गुरुवार को पूरे दिन उत्साहित दिखे और उन्होंने कहा कि उनकी मेहनत और संघर्ष को उचित परिणाम मिला है, जिससे पूरे देश के उन विद्यार्थियों का भी भला हुआ है जिन्होंने बीपीएड की डिग्री प्राप्त की है। छात्रों का कहना है कि स्नातक किसी भी विषय के साथ दो वर्षीय बीपीएड प्रोग्राम को फिर से मान्यता मिलना उन लाखों युवाओं के लिए राहत की खबर है जो इस डिग्री के आधार पर खेल शिक्षा क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं। बीते दिनों चयन प्रक्रिया में हुए बदलाव के कारण बीपीएड छात्रों के भविष्य को लेकर कई सवाल उठे थे, लेकिन उनकी अपील सुनने के बाद नवोदय विद्यालय समिति और केंद्रीय विद्यालय संगठन ने स्थिति का पुनर्मूल्यांकन किया और छात्रों की दलीलों को स्वीकार करते हुए पुरानी प्रक्रिया बहाल कर दी।

इस पूरी मुहिम को आगे बढ़ाने में विश्वविद्यालय के कुलपति की त्वरित पहल महत्वपूर्ण रही। शारीरिक शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विक्रम सिंह, सहायक प्रोफेसर डॉ कृष्णकांत, हर्ष राय और संदीप कुमार ने छात्रों का प्रतिनिधित्व करते हुए एक टीम बनाई और दिल्ली जाकर मामले को संबंधित अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के सामने रखा। इस प्रतिनिधिमंडल की यात्रा का पूरा खर्च विश्वविद्यालय ने वहन किया। दिल्ली में प्रतिनिधिमंडल ने सांसद मनोज तिवारी, सांसद जयंत चौधरी, शिक्षा राज्य मंत्री, एकलव्य आवासीय विद्यालय कमिश्नर, नवोदय विद्यालय समिति कमिश्नर सहित कई अधिकारियों से मुलाकात की। प्रतिनिधियों ने स्पष्ट किया कि चयन प्रक्रिया में किए गए बदलाव से देश भर के लगभग 95 प्रतिशत बीपीएड छात्रों का भविष्य प्रभावित हो रहा था और इस निर्णय से उन छात्रों की नौकरी के अवसर सीधे प्रभावित हो सकते थे। उन्होंने यह भी बताया कि उनका कोर्स एनसीटीई से मान्यता प्राप्त है, इसलिए चयन प्रक्रिया में परिवर्तन तार्किक नहीं था।

अधिकारियों ने छात्रों और प्रतिनिधियों की बात ध्यान से सुनी और आवश्यक विचार विमर्श के बाद नए नियम को रद्द कर पुराने नियम को बहाल करने का निर्णय लिया। इस फैसले से उन सभी छात्रों को सीधी राहत मिली है जिन्होंने खेल को अपना जीवन समर्पित किया है और उसके बाद बीपीएड की पढ़ाई पूरी की है। गुरुवार की सुबह जैसे ही यह जानकारी विभाग में पहुंची, छात्रों ने एक दूसरे को बधाई दी और नारे लगाकर कुलपति, डीन, रजिस्ट्रार, विभागाध्यक्ष और सभी शिक्षकगण के प्रति आभार व्यक्त किया। छात्रों ने हर हर महादेव और जय महामना के नारे लगाते हुए अपनी खुशी जाहिर की।

यह निर्णय केवल शैक्षणिक प्रक्रिया की बहाली नहीं है, बल्कि यह उदाहरण भी है कि जब छात्र और शिक्षक एकजुट होकर अपनी बात सार्थक तरीके से सामने रखते हैं तो सकारात्मक परिणाम सामने आते हैं। शारीरिक शिक्षा विभाग की यह जीत अन्य विभागों के लिए भी प्रेरणा बन गई है। बीएचयू के बीपीएड छात्रों ने अपनी एकजुटता, प्रयास और धैर्य से एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है जो आने वाले समय में उनके करियर और भविष्य के लिए अत्यंत उपयोगी साबित होगी।

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