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वाराणसी: बीएचयू अस्पताल में सुरक्षा पर डॉक्टरों की गंभीर चिंता, दी हड़ताल की चेतावनी

वाराणसी: बीएचयू अस्पताल में सुरक्षा पर डॉक्टरों की गंभीर चिंता, दी हड़ताल की चेतावनी

वाराणसी के बीएचयू अस्पताल में रेजिडेंट डॉक्टरों ने सुरक्षा में लगातार हो रही चूक पर चिंता जताते हुए सेवाएं रोकने की चेतावनी दी।

वाराणसी में स्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के सर सुंदरलाल अस्पताल और आयुर्विज्ञान संस्थान में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर रेजिडेंट डॉक्टरों ने गंभीर चिंता जताई है। लगातार हो रही सुरक्षा चूक और डॉक्टरों पर बढ़ते हमलों के विरोध में रेजिडेंट डॉक्टर्स वेलफेयर सोसाइटी, आईएमएस-बीएचयू ने विश्वविद्यालय के कुलपति को पत्र भेजकर आठ बिंदुओं में तत्काल कार्रवाई की मांग की है। डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए तो वे अपनी सेवाएं, जिनमें इमरजेंसी सेवाएं भी शामिल हैं, बंद करने को मजबूर होंगे।

डॉक्टरों ने पत्र में लिखा है कि अस्पताल परिसर अब असुरक्षित होता जा रहा है। पिछले कुछ महीनों में कई डॉक्टरों से मारपीट, अभद्रता और महिला डॉक्टरों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं सामने आई हैं। सितंबर 2024 में महिला रेजिडेंट डॉक्टर के साथ हुई छेड़छाड़ की घटना के बाद प्रशासन ने सुरक्षा बढ़ाने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। डॉक्टरों का कहना है कि न तो पर्याप्त सुरक्षा गार्ड तैनात किए गए हैं और न ही बायोमेट्रिक प्रवेश प्रणाली लागू की गई है। इस लापरवाही के कारण परिसर में डर और असंतोष का माहौल है।

पत्र में रेजिडेंट डॉक्टरों ने कुलपति से आठ प्रमुख मांगें रखी हैं जिनमें प्रशिक्षित सुरक्षा गार्डों की संख्या बढ़ाना, संवेदनशील क्षेत्रों जैसे आईसीयू और इमरजेंसी में विशेष गार्डों की तैनाती, बुजुर्ग गार्डों को गैर-संवेदनशील क्षेत्रों में स्थानांतरित करना, सभी वार्ड और आईसीयू में बायोमेट्रिक एक्सेस सिस्टम लागू करना, डॉक्टरों के ड्यूटी रूम में प्रवेश नियंत्रण व्यवस्था सुनिश्चित करना, इमरजेंसी और क्रिटिकल केयर एरिया में अलार्म सिस्टम व सीसीटीवी निगरानी लगाना, नाइट पेट्रोलिंग टीम की स्थायी व्यवस्था करना और अस्पताल परिसर में यूपी मेडिकेयर प्रोटेक्शन एक्ट 2013 का सार्वजनिक प्रदर्शन शामिल है।

रेजिडेंट डॉक्टरों का कहना है कि लगातार हो रही घटनाओं से उनका मनोबल टूट रहा है। एक डॉक्टर ने बताया कि अस्पताल में ड्यूटी के दौरान उन्हें सुरक्षा की चिंता रहती है, जो मरीजों की सेवा में बाधा बनती है। डॉक्टरों ने यह भी कहा कि यह केवल उनकी सुरक्षा का सवाल नहीं बल्कि पूरे अस्पताल वातावरण की गरिमा और सुचारू संचालन का विषय है।

रेजिडेंट डॉक्टरों के प्रतिनिधि डॉ गौरव ने कहा कि अगर प्रशासन ने इस बार भी केवल आश्वासन तक बात सीमित रखी, तो वे मजबूर होकर सेवाएं रोक देंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी नई घटना की स्थिति में पूरी जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन की होगी।

सर सुंदरलाल अस्पताल वाराणसी सहित पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रमुख चिकित्सा केंद्र है, जहां हर दिन हजारों मरीज इलाज के लिए आते हैं। ऐसे में डॉक्टरों की यह चेतावनी अस्पताल प्रबंधन और विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए गंभीर संदेश है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इन मांगों पर कितनी जल्दी और कितनी सख्ती से कार्रवाई करता है।

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