News Report
Search Icon
TRUTH BEHIND THE NEWS

वाराणसी: BHU में प्रशासनिक अनियमितताओं के खिलाफ छात्रों का उग्र प्रदर्शन, कुलपति से इस्तीफे की मांग

वाराणसी: BHU में प्रशासनिक अनियमितताओं के खिलाफ छात्रों का उग्र प्रदर्शन, कुलपति से इस्तीफे की मांग

बीएचयू में ट्रॉमा सेंटर प्रभारी को हटाने के विरोध में छात्रों का आंदोलन उग्र हो गया, छात्रों ने कुलपति कार्यालय का घेराव कर प्रो. संजय कुमार के इस्तीफे की मांग की है, जांच में बाधा डालने का आरोप लगाया।

वाराणसी: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) इन दिनों गंभीर प्रशासनिक असंतोष और नैतिक मूल्यों के क्षरण के आरोपों से घिरा हुआ है। विश्वविद्यालय में ट्रॉमा सेंटर प्रभारी एवं सर सुंदरलाल चिकित्सालय के अधीक्षक को हटाए जाने को लेकर भड़का छात्र आंदोलन दो महीने से अधिक समय से जारी है और अब यह आंदोलन व्यापक विरोध में बदलता जा रहा है। छात्रों का कहना है कि यह केवल एक प्रशासनिक फैसला नहीं, बल्कि उच्चस्तरीय मनमानी और जवाबदेही से बचने की कोशिश है।

छात्र संगठनों ने विश्वविद्यालय परिसर में कुलपति कार्यालय का घेराव कर कार्यकारी कुलपति प्रो. संजय कुमार से तत्काल इस्तीफे की मांग की। उन्होंने कुलपति पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वह इस संवेदनशील विवाद पर न सिर्फ पूरी तरह निष्क्रिय बने हुए हैं, बल्कि जांच प्रक्रिया में भी अड़ंगे डाल रहे हैं। छात्रों ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कुलपति ने नैतिकता के आधार पर स्वयं पद नहीं छोड़ा, तो विश्वविद्यालय के केंद्रीय कार्यालय को बंद कर चरणबद्ध और उग्र आंदोलन चलाया जाएगा।

छात्र नेता डॉ. कुंवर पुष्पेंद्र प्रताप सिंह ने मीडिया को जानकारी दी कि उक्त प्रकरण में कुलपति द्वारा गठित जांच समिति को सात दिनों में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी। लेकिन अब समिति पर बाहरी दबाव डाला जा रहा है, जिससे रिपोर्ट लंबित हो गई है। उन्होंने कहा कि यह न केवल प्रशासनिक प्रक्रिया में अनुचित हस्तक्षेप है, बल्कि यह कुलपति पद की मर्यादा और विश्वविद्यालय की स्वायत्तता को भी ठेस पहुंचाता है।

वहीं, विश्वविद्यालय के एक अन्य छात्र प्रतिनिधि डॉ. मृत्युंजय तिवारी 'आज़ाद' ने आरोप लगाया कि यह देरी किसी साधारण भूल या लापरवाही का परिणाम नहीं, बल्कि दोषियों को बचाने की एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि इस रवैये से जांच की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर गहरा प्रश्नचिह्न लग गया है और इससे छात्रों का विश्वविद्यालय प्रशासन से भरोसा उठता जा रहा है।

छात्र अभिषेक कुमार सिंह ने कुलपति पर पद का दुरुपयोग करने और नैतिक जिम्मेदारी से विमुख होने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह आचरण महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की भावनाओं और BHU की मूल परंपराओं के विरुद्ध है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय सिर्फ एक शैक्षणिक संस्थान नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और नैतिक विचारधारा का केंद्र है, जिसकी प्रतिष्ठा को इस प्रकार की प्रशासनिक दुर्बलता और नैतिक शिथिलता से गहरी चोट पहुंच रही है।

छात्रों का कहना है कि यदि उनकी मांगों पर जल्द और ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो यह आंदोलन न केवल BHU तक सीमित रहेगा, बल्कि देशभर के विश्वविद्यालयों में नैतिक और पारदर्शी प्रशासन की मांग को लेकर एक बड़ा छात्र आंदोलन शुरू किया जाएगा।

प्रशासन की ओर से अब तक कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है, जिससे स्थिति और अधिक गंभीर होती जा रही है। विश्वविद्यालय में शिक्षण व्यवस्था पर भी इसका प्रभाव दिखने लगा है। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या BHU प्रशासन छात्रों की चेतावनियों को गंभीरता से लेकर समय रहते सकारात्मक कदम उठाता है या यह आंदोलन विश्वविद्यालय के इतिहास में एक नई संघर्षपूर्ण परिघटना के रूप में दर्ज होगा।

FOLLOW WHATSAPP CHANNEL

LATEST NEWS