वाराणसी: आईएमएस बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर की इमरजेंसी में आने वाले गंभीर मरीजों के त्वरित उपचार के लिए अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित एक नई तकनीक ट्रॉमा सेंटर बीएचयू स्कोरिंग सिस्टम (TCBHU-SS) कारगर सहयोगी बनेगी। मरीज के आते ही यह डिजिटल टूल डॉक्टर द्वारा दर्ज प्रारंभिक जानकारी का तुरंत विश्लेषण करता है और चोट की गंभीरता का सटीक आंकलन प्रस्तुत करता है। संबंधित चिकित्सक के मोबाइल पर उसी क्षण विस्तृत रिपोर्ट पहुँच जाती है, जिससे उपचार की प्राथमिकताएँ तय करने में देर नहीं लगती। इमरजेंसी ट्रायेज को इस पैमाने पर स्वचालित करने वाला ट्रॉमा सेंटर, संस्थान के अनुसार, देश का पहला है।
ट्रॉमा सेंटर में हर दिन वाराणसी व आसपास के जिलों के अलावा बिहार, झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों से सड़क दुर्घटनाओं और अन्य कारणों से घायल 200 से अधिक मरीज पहुँचते हैं। भारी संख्या, विविध प्रकार की चोटें और परिजनों में व्याप्त डर, ये सभी कारक अक्सर शुरुआती मिनटों में निर्णय लेने को कठिन बनाते हैं। नई प्रणाली का उद्देश्य इन्हीं शुरुआती, जीवन-निर्णायक पलों जिसे चिकित्सा भाषा में 'गोल्डन ऑवर' कहा जाता है। को संरचित और तेज़ निर्णय-सहयोग से बचाना है, ताकि सबसे गंभीर मरीज तक गहन चिकित्सा सबसे पहले पहुँच सके।
प्रणाली का कार्य-प्रवाह सरल लेकिन अत्यंत लक्षित है। जैसे ही कोई मरीज इमरजेंसी में लाया जाता है, एक प्रशिक्षित डॉक्टर या डेटा कोऑर्डिनेटर मोबाइल पर TCBHU-SS एप्लिकेशन खोलकर मरीज की स्थिति से जुड़ी मूलभूत लेकिन महत्वपूर्ण जानकारियाँ दर्ज करता है। चोट का प्रकार, सांस लेने की गति और गुणवत्ता, ब्लड प्रेशर, रक्तस्राव की स्थिति, होश की अवस्था और अन्य जीवन-निर्देशक संकेत। जानकारी सहेजते ही एआई मॉडल सेकंडों में डेटा का विश्लेषण कर एक स्कोर तैयार करता है, जो चोट की गंभीरता और मृत्यु-जोखिम की अनुमानित संभावना दर्शाता है। यही स्कोर मेडिकल टीम को बताता है कि किन मरीजों को तुरंत आईसीयू/रेससिटेशन बे में ले जाना प्राथमिक होगा और किसे अगली पंक्ति की निगरानी में रखा जा सकता है।
ट्रॉमा सेंटर प्रभारी प्रो. सौरभ सिंह ने बताया कि ट्रॉमा केस में गोल्डन ऑवर का महत्व अत्यधिक होता है। चोट लगने के बाद जितनी जल्दी समुचित उपचार शुरू होता है, परिणाम उतने बेहतर होते हैं। उनके अनुसार, पिछले एक महीने से ट्रॉमा सेंटर बीएचयू स्कोरिंग सिस्टम का ट्रायल चल रहा है और उसके अनुभव बेहद उत्साहजनक रहे हैं। यह टूल ट्रायेज, अर्थात मरीजों की स्थिति के आधार पर प्राथमिकता तय करने की प्रक्रिया को अधिक सटीक, पारदर्शी और तेज़ बनाता है, जिससे डॉक्टरों की टीम तत्काल और समन्वित निर्णय ले पाती है।
नई तकनीक का सबसे बड़ा लाभ सामूहिक दुर्घटनाओं या सड़क हादसों के दौरान दिखाई देता है, जब एक साथ कई घायल मरीज पहुँचते हैं। हर मरीज का डेटा अलग पेज पर भरा जाता है और सिस्टम कुछ ही पलों में सभी प्रविष्टियों का तुलनात्मक विश्लेषण कर देता है। परिणामस्वरूप यह स्पष्ट हो जाता है कि किसकी हालत सबसे नाज़ुक है और किसे किस स्तर की देखभाल, गहन चिकित्सा, सर्जिकल हस्तक्षेप या उन्नत निगरानी की तत्क्षण आवश्यकता है। इससे मानव संसाधन, बेड, वेंटिलेटर और ब्लड-प्रोडक्ट्स जैसे सीमित संसाधनों का सही आवंटन संभव होता है और उपचार की कतार में अनिश्चितता कम होती है।
तीमारदारों के लिए भी यह प्रणाली राहत का कारण बनेगी। प्रारंभिक मूल्यांकन के आधार पर उपचार-योजना और अगले कदम स्पष्ट होने से परिजनों को बार-बार अलग-अलग काउंटरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते। सूचना के त्वरित संप्रेषण के कारण चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ और डायग्नोस्टिक टीम एक ही पृष्ठ पर रहते हैं और मरीज को आवश्यक हस्तक्षेप, जैसे एयरवे मैनेजमेंट, ब्लीडिंग कंट्रोल, फ्लुइड रेससिटेशन या तत्काल इमेजिंग, समय पर मिल जाता है।
तकनीकी दृष्टि से, TCBHU-SS चिकित्सकों के अनुभव का विकल्प नहीं बल्कि निर्णय-सहयोगी (decision support) साधन है। यह रिकॉर्ड किए गए क्लिनिकल संकेतों को एक समान मानकों में बदलकर प्रस्तुत करता है ताकि विभिन्न शिफ्टों, टीमों और केस-लोड के बीच भी प्राथमिकता निर्धारण में संगति (consistency) बनी रहे। संरचित डेटा का लाभ यह भी है कि आगे चलकर उपचार के परिणामों की समीक्षा, गुणवत्ता सुधार और प्रशिक्षण के उद्देश्यों के लिए विश्वसनीय आधार उपलब्ध रहता है। जिससे पूरी इमरजेंसी सेवा निरंतर बेहतर होती है।
आईएमएस-बीएचयू ट्रॉमा सेंटर में एआई आधारित इस पहल से उम्मीद है कि गंभीर घायलों के लिए पहले घंटे के भीतर लिए जाने वाले निर्णय और अधिक तत्पर व तथ्य-आधारित होंगे। बढ़ते केस-लोड के बीच यह प्रणाली न केवल चिकित्सकीय टीम की कार्यक्षमता बढ़ाएगी, बल्कि मरीजों और उनके परिजनों के लिए भरोसे और पारदर्शिता का नया मानक स्थापित करेगी। संस्थान का मानना है कि यदि यही मॉडल व्यापक स्तर पर अपनाया गया, तो देश भर के ट्रॉमा केयर नेटवर्क में मानकीकृत, तेज़ और साक्ष्य-समर्थित ट्रायेज संभव हो सकेगा। और यही वास्तविक लक्ष्य है: मौके पर पहुँची हर ज़िंदगी को बेहतर लड़ने का मौका देना।
IMS BHU में AI आधारित TCBHU स्कोरिंग सिस्टम शुरू, गंभीर मरीजों को मिलेगा त्वरित उपचार

वाराणसी के आईएमएस-बीएचयू ट्रॉमा सेंटर में AI आधारित TCBHU सिस्टम शुरू हुआ, जिससे गंभीर मरीजों की पहचान व त्वरित उपचार संभव होगा।
Category: uttar pradesh varanasi health
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