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प्रदेश के 1160 शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिरों का संचालन बजट विवाद में अटका

प्रदेश के 1160 शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिरों का संचालन बजट विवाद में अटका

बजट विवाद और विभागीय समन्वय की कमी से 1160 शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिरों का संचालन प्रभावित हुआ।

प्रदेश के 1160 शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिरों का संचालन बजट विवाद में अटका हुआ है। नगरीय विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग के बीच समन्वय की कमी के कारण इन केंद्रों के लिए जारी की जाने वाली धनराशि अब तक खर्च नहीं हो पाई है। 15वें वित्त आयोग के अरबन हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर कंपोनेंट से निकायों के खातों में 220 करोड़ रुपये भेजे जा चुके हैं, लेकिन पिछले पांच महीनों से इन आरोग्य मंदिरों का किराया और बिजली बिल तक अदा नहीं हो सका है। इससे इन केंद्रों के संचालन पर सीधा असर पड़ा है और कई स्थानों पर सेवाओं में बाधा आने लगी है।

15वें वित्त आयोग और प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन के तहत प्रदेश में 1687 शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिर स्वीकृत किए गए थे। इनमें से 1160 केंद्रों के नियमित संचालन के लिए 220 करोड़ रुपये की धनराशि पहले ही जारी कर दी गई थी। उद्देश्य यह था कि शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया जाए और प्राथमिक चिकित्सा जनता तक सुचारु रूप से पहुंच सके।

लेकिन जारी धनराशि के उपयोग को लेकर विभागों के बीच अस्पष्टता के कारण अब तक भुगतान प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई है। नगर विकास विभाग के सहायक निदेशक लेखा अखिल सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को पत्र भेजकर यह स्पष्ट किया गया है कि धन किस खाते में ट्रांसफर किया जाए। उनके अनुसार, गाइडलाइन मिलते ही राशि संबंधित खातों में भेज दी जाएगी।

इसी मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के महाप्रबंधक सामुदायिक स्वास्थ्य डॉ सूर्यांश ओझा ने कहा कि जुलाई में ही आवश्यक गाइडलाइन भेज दी गई थी। इसमें स्पष्ट निर्देश थे कि आयुष्मान आरोग्य मंदिर जिला स्वास्थ्य समिति के माध्यम से संचालित होते हैं, जिनके अध्यक्ष जिलाधिकारी होते हैं। ऐसे में धनराशि समिति के खाते में भेजी जा सकती है। इसके अलावा, निकाय चाहें तो सीएमओ के माध्यम से सीधे बिल प्रस्तुत कर भुगतान करा सकते हैं।

इन निर्देशों के बावजूद बजट जारी न होना प्रशासनिक लापरवाही का संकेत है और इससे स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। कई जिलों में आरोग्य मंदिरों के संचालन पर संकट गहराने लगा है। किराया, बिजली बिल और अन्य संचालन व्यय न मिलने से स्थानीय कर्मचारियों को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि शहरी गरीबों के लिए आयुष्मान आरोग्य मंदिर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यहां शुरुआती जांच, दवा वितरण और स्वास्थ्य परामर्श जैसी जरूरी सेवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। ऐसे में बजट की देरी सीधे जनता की सुविधा से जुड़ी है।

प्रदेश सरकार जल्द ही विभागीय समन्वय की समस्या को सुलझाएगी, ऐसी उम्मीद जताई जा रही है, ताकि सभी आरोग्य मंदिरों में सेवाएं निर्बाध रूप से जारी रह सकें।

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