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वाराणसी में मानवाधिकार दिवस पर विशाल मानव श्रृंखला, सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज

वाराणसी में मानवाधिकार दिवस पर विशाल मानव श्रृंखला, सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज

वाराणसी में मानवाधिकार दिवस पर आशा ट्रस्ट और लोक समिति ने सामाजिक बुराइयों के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने हेतु मानव श्रृंखला बनाई।

वाराणसी में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर सोमवार को बेनीपुर बाजार एक महत्वपूर्ण सामाजिक पहल का साक्षी बना। आशा ट्रस्ट और लोक समिति के संयुक्त प्रयास से छात्र छात्राओं, किशोरियों, महिलाओं और ग्रामीणों ने मिलकर मानवाधिकारों की रक्षा और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए एक बड़ी मानव श्रृंखला बनाई। यह श्रृंखला बेनीपुर मुख्य बाजार से कल्लीपुर तक लगभग एक किलोमीटर तक फैली रही, जिसमें प्रतिभागियों ने हाथों में तख्तियां लेकर मौलिक अधिकारों के संरक्षण का संदेश दिया।

श्रृंखला में शामिल लोगों ने बाल विवाह, दहेज प्रथा, महिला हिंसा और यौन उत्पीड़न जैसी गंभीर समस्याओं के खिलाफ नारे लगाए। बच्चों और युवाओं ने जोर देकर कहा कि कोई भी व्यक्ति हिंसा या शोषण को चुपचाप सहन न करे और समाज में बदलाव लाने के लिए जागरूकता जरूरी है। पूरे कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण समाज में मानवाधिकार संबंधी जागरूकता बढ़ाना और नागरिकों को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी देना था।

लोक समिति के संयोजक नंदलाल मास्टर ने कहा कि गरीबों, दलितों, महिलाओं और मजदूरों के खिलाफ होने वाली हिंसा और शोषण के मुद्दों पर खुलकर बात करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हिंसा शारीरिक ही नहीं, मानसिक और सामाजिक भी होती है और समाज को इसे समझकर इसके खिलाफ सक्रिय होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि आम लोगों को कानूनों की जानकारी होनी चाहिए, ताकि वे अपने अधिकारों की रक्षा कर सकें और उत्पीड़न की स्थिति में कानूनी सहायता ले सकें।

कार्यक्रम में मौजूद दिहाड़ी मजदूर संगठन के संयोजक रामबचन ने पुलिस हिरासत में नागरिक अधिकारों पर विस्तार से बात की। उन्होंने बताया कि पुलिस किसी व्यक्ति के साथ अमानवीय बर्ताव नहीं कर सकती और गिरफ्तारी के बाद 24 घंटे के भीतर कोर्ट में पेश करना अनिवार्य है। उन्होंने यह भी बताया कि पूछताछ के दौरान पुलिस कर्मियों को अपनी वर्दी और नेमप्लेट पहनना आवश्यक है। किसी महिला को बिना कारण थाने में रोका नहीं जा सकता, यह भी कानून का स्पष्ट प्रावधान है।

इस आयोजन में बेनीपुर और आसपास के विद्यालयों की छात्राएं, किशोरी प्रशिक्षण केंद्रों की लड़कियां और स्वयं सहायता समूह की महिलाएं बड़ी संख्या में शामिल हुईं। सभी ने मानव श्रृंखला बनाकर यह संदेश दिया कि समाज में समानता, न्याय और मानवाधिकारों के लिए सतत प्रयास जरूरी हैं।

कार्यक्रम में नंदलाल मास्टर, रामबचन, सुनीता वर्मा, अब्दुल रहमान, संगीता सोनी, रुखसाना बानो, सीमा, श्यामसुंदर सहित कई सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे। मानवाधिकार दिवस पर आयोजित यह कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता बढ़ाने और सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ वातावरण तैयार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।

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