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लखनऊ: सीबीआई ने 10 लाख की रिश्वत लेते दो नारकोटिक्स इंस्पेक्टरों को किया गिरफ्तार

लखनऊ: सीबीआई ने 10 लाख की रिश्वत लेते दो नारकोटिक्स इंस्पेक्टरों को किया गिरफ्तार

लखनऊ में सीबीआई ने कोडीन सिरप मामले में दस लाख की रिश्वत लेते दो नारकोटिक्स इंस्पेक्टरों को रंगे हाथ गिरफ्तार किया।

लखनऊ: प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मंगलवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स (CBN) के दो इंस्पेक्टरों को रंगे हाथ गिरफ्तार किया। आरोप है कि इन अधिकारियों ने एक नर्सिंग होम संचालक को प्रतिबंधित दवा ‘कोडीन सिरप’ के मामले में फंसाने की धमकी देकर 10 लाख रुपये की भारी-भरकम रिश्वत की मांग की थी। सीबीआई टीम ने बेहद सटीक योजना और ट्रैप ऑपरेशन के तहत इस पूरे खेल का भंडाफोड़ किया।

गिरफ्तार किए गए दोनों इंस्पेक्टर महिपाल सिंह और रवि रंजन पर आरोप है कि उन्होंने देवा नर्सिंग होम के मालिक गयासुद्दीन अहमद से सीबीएन की कार्रवाई में उसका नाम हटाने और फर्जी तरीके से जोड़ने के नाम पर धन उगाही की। जांच एजेंसी को सूचना मिली थी कि ये दोनों इंस्पेक्टर पहले से ही गयासुद्दीन से लगातार संपर्क में थे और सौदेबाजी चल रही थी। कॉल रिकॉर्डिंग और ऑडियो साक्ष्यों से यह पुष्टि भी हुई कि 10 लाख रुपये में पूरा समझौता तय हुआ।

गौरतलब है कि 26 जुलाई को अमीनाबाद की ओल्ड मेडिसिन मार्केट स्थित एक गोदाम से सीबीएन टीम ने भारी मात्रा में नशीली दवाएं जब्त की थीं। इस छापेमारी में 20 लाख से अधिक टेबलेट्स और 5700 कोडीन सिरप की बोतलें मिली थीं। बरामद दवाओं में अल्प्राजोलम की करीब 18.47 लाख गोलियां भी शामिल थीं, जिन्हें अवैध रूप से नशे के कारोबार में उपयोग किया जा रहा था। इस कार्रवाई के बाद ही फार्मा कंपनियों से जुड़े लेन-देन और आपूर्ति श्रृंखला की जांच शुरू हुई थी।

यही वह केस था, जिसमें नाम जोड़ने और हटाने के नाम पर इंस्पेक्टरों ने नर्सिंग होम मालिक से घूस की मांग की। इस घटनाक्रम ने सीबीआई को भी सतर्क कर दिया और पूरा ऑपरेशन गुपचुप तरीके से तैयार किया गया।

सूत्रों के अनुसार सीबीआई ने 26 अगस्त को ट्रैप बिछाने की योजना बनाई। तीन अलग-अलग टीमों को जिम्मेदारी दी गई।पहली टीम लोकेशन पर नजर रखती रही, दूसरी टीम लेन-देन के प्वाइंट पर तैनात रही और तीसरी बैकअप के लिए तैयार रही। रिश्वत की रकम में नकली करेंसी के बंडल लगाए गए, जिन पर विशेष क्यूआर कोड थे ताकि लेन-देन का पूरा सबूत जुटाया जा सके।

गयासुद्दीन की मदद से हिडन कैमरे और ऑडियो डिवाइस पहले ही सेट कर दिए गए थे। जैसे ही महिपाल सिंह और रवि रंजन ने गयासुद्दीन से रिश्वत की रकम ली, सीबीआई टीम ने चारों तरफ से घेराबंदी कर दोनों को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया।

गिरफ्तारी के बाद दोनों इंस्पेक्टरों से देर रात तक पूछताछ चली। उनके पास से पूरे 10 लाख रुपये बरामद किए गए। साथ ही सीबीआई ने इस मामले में गयासुद्दीन अहमद और सुनील जायसवाल पर भी केस दर्ज किया है। जांच एजेंसी ने एक अन्य इंस्पेक्टर आदेश योगी को भी हिरासत में लिया है।

मंगलवार शाम को जब सीबीआई टीम ने मंदिर मार्ग स्थित उप नारकोटिक्स आयुक्त कार्यालय में छापेमारी की, तो वहां अफरा-तफरी मच गई। कर्मचारियों के आने-जाने पर रोक लगाकर हर कमरे की गहन तलाशी ली गई। आरोपियों के घर और अन्य ठिकानों पर भी देर रात तक छापेमारी जारी रही।

सीबीआई अधिकारियों का मानना है कि यह रिश्वतखोरी किसी एक केस तक सीमित नहीं है। शुरुआती जांच से संकेत मिले हैं कि पुराने कई मामलों में भी इसी तरह का खेल खेला गया हो सकता है। अब एजेंसी ने कई पुराने केसों की फाइलें दोबारा खंगालनी शुरू कर दी हैं।

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