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मुरादाबाद: ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा के कार्यक्रम के दौरान बिजली गुल, पांच इंजीनियर निलंबित

मुरादाबाद: ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा के कार्यक्रम के दौरान बिजली गुल, पांच इंजीनियर निलंबित

मुरादाबाद में ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा के निरीक्षण के दौरान चिल्ड्रन पार्क में बिजली गुल होने से असहज स्थिति उत्पन्न हो गई, जिसके चलते विद्युत विभाग के पांच इंजीनियरों को निलंबित कर दिया गया।

मुरादाबाद: प्रदेश के ऊर्जा एवं नगर विकास मंत्री ए.के. शर्मा के मुरादाबाद दौरे के दौरान उस समय असहज स्थिति उत्पन्न हो गई, जब कंपनी बाग स्थित चिल्ड्रन पार्क का निरीक्षण कर बाहर निकलते ही बिजली आपूर्ति बाधित हो गई। शहर के प्रमुख पार्क में यह घटना एक उच्चस्तरीय मंत्री कार्यक्रम के दौरान हुई, जिससे न केवल सरकारी तंत्र की आपसी समन्वय की कमी उजागर हुई, बल्कि इसके प्रत्यक्ष परिणामस्वरूप विद्युत विभाग के पांच इंजीनियरों को निलंबन का सामना करना पड़ा। इस घटनाक्रम ने ऊर्जा विभाग और नगर निगम के बीच चल रही खींचतान को भी सार्वजनिक मंच पर ला दिया।

मंत्री ए.के. शर्मा रविवार को मुरादाबाद में स्मार्ट सिटी परियोजनाओं की प्रगति का निरीक्षण करने पहुंचे थे। वह कंपनी बाग स्थित नवविकसित चिल्ड्रन पार्क में बने 5-डी मोशन सेंटर का निरीक्षण कर जैसे ही बाहर निकले, अचानक बिजली चली गई। मौके पर मौजूद विद्युत निगम के इंजीनियरों ने तत्काल तकनीकी तर्क देते हुए बताया कि ट्रांसफार्मर पर लोड अधिक पड़ने की वजह से उसका फ्यूज उड़ गया। पार्क में एक साथ कई भारी विद्युत उपकरण जैसे फव्वारे, लाइट्स, स्क्रीन और मोटरें चालू कर दी गईं थीं, जिससे ट्रांसफार्मर ने ओवरलोड होकर काम करना बंद कर दिया।

इस बिजली कटौती ने जहां विभागीय लापरवाही को उजागर किया, वहीं दो प्रमुख निगमों, नगर निगम और विद्युत निगम के बीच समन्वय की भारी कमी की पोल खोल दी। विद्युत विभाग के अफसरों ने इस घटना का ठीकरा नगर निगम पर फोड़ा, आरोप लगाया कि चिल्ड्रन पार्क की तकनीकी परीक्षण प्रक्रिया से पहले विद्युत विभाग से कोई समन्वय नहीं किया गया। दूसरी ओर, नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि मंत्री का दौरा पहले से निर्धारित था और विद्युत टीम को इसको लेकर पहले ही अलर्ट किया गया था। ऐसे में पूरी जिम्मेदारी विद्युत विभाग की बनती है, जिसने निरीक्षण के वक्त बिजली आपूर्ति की पुख्ता व्यवस्था नहीं की।

हालांकि घटना के तत्काल बाद मंत्री शर्मा ने कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी और वह बुद्धि विहार स्थित स्पंदन सरोवर का निरीक्षण करने निकल पड़े। लेकिन जब वहां पहुंचने पर पता चला कि वहां भी बिजली आपूर्ति बाधित है, तो उन्होंने तुरंत अपने निजी सहायक को निर्देश दिया और पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PVVNL) से पांच अधिकारियों के निलंबन का आदेश जारी कराया।

निलंबित अधिकारियों में शामिल हैं:

1.अरविंद सिंघल, मुख्य अभियंता

2.सुनील अग्रवाल, अधीक्षण अभियंता

3.प्रिंस गौतम, अधिशासी अभियंता

4.राणा प्रताप, सहायक अभियंता (SDO)

5.ललित कुमार, अवर अभियंता (JE)

इन सभी पर कार्य में लापरवाही, पूर्व समन्वय में असफलता, और मंत्री के निरीक्षण के दौरान सार्वजनिक असुविधा फैलाने के आरोप लगाए गए हैं। PVVNL की एमडी आईएएस ईशा दुहन ने इन अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए विभागीय जांच के आदेश भी दिए हैं।

बिजली आपूर्ति की यह चूक सिर्फ तकनीकी समस्या नहीं थी, बल्कि प्रशासनिक संवादहीनता और आपसी तालमेल की कमी का स्पष्ट संकेत थी। मंत्री के सख्त रुख के बाद पूरे मुरादाबाद बिजली विभाग में हड़कंप मच गया। निलंबन के आदेश सामने आने के बाद सीनियर इंजीनियरों से लेकर जूनियर तक के फोन बंद हो गए और अधिकांश अधिकारी मीडिया और जनप्रतिनिधियों से दूरी बनाने लगे।

यह घटनाक्रम उस समय सामने आया है जब उत्तर प्रदेश सरकार स्मार्ट सिटी परियोजनाओं को जमीन पर उतारने के लिए शहरों में निरीक्षण और निगरानी की प्रक्रिया को तेज कर रही है। ऐसे में मंत्री के दौरे पर बिजली कटौती होना न केवल प्रशासनिक असफलता है, बल्कि जनता में व्यवस्था के प्रति अविश्वास भी उत्पन्न करता है।

राजनीतिक दृष्टि से भी यह मामला महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि मंत्री शर्मा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबी और ऊर्जा विभाग के प्रमुख नीति-निर्माताओं में माने जाते हैं। उनकी ओर से की गई कार्रवाई यह संकेत देती है कि राज्य सरकार अब 'ज़ीरो टॉलरेंस' की नीति पर बिना अपवाद के कार्य कर रही है, और अधिकारियों की जवाबदेही तय करने में कोई ढील नहीं दी जाएगी।

अब देखने वाली बात यह होगी कि यह कार्रवाई मुरादाबाद में चल रहे विकास कार्यों को गति दे पाती है या इससे विभागीय मनोबल पर असर पड़ेगा। फिलहाल, इस एक घटना ने बिजली व्यवस्था के बुनियादी ढांचे और सरकारी विभागों के आपसी तालमेल पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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